माता-पिता बच्चों को जरूर सिखाएं ये बातें, प्राइवेसी की समझेंगे अहमियत


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बदलते जमाने में बच्चों की परवरिश का तरीका भी काफी बदल गया है और इसलिए पेंरेंट्स को भी थोड़ा सा खुद को अपडेट करना चाहिए. हर माता-पिता अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं, लेकिन आज के टाइम में बेहद जरूरी है कि बच्चों को प्राइवेसी की अहमियत भी समझाई जाए. पहले के टाइम में इन सारी चीजों पर इतनी बात नहीं होती थी, लेकिन अब ये बच्चों को ये समझाना अपनी निजी जानकारी, दूसरों के प्राइवेट स्पेस और लिमिटेशन क्या हैं. इससे बच्चे सोशल मीडिया से लेकर बाहरी दुनिया में न सिर्फ अपनी सुरक्षा को लेकर सजग रहते हैं. इससे उन्हें ये पता होता है कि दूसरों को कितना स्पेस देना है और अपनी प्राइवेसी का ध्यान कैसे रखना है.
मॉर्डन पेरेंटिंग में बच्चों को डांटने की बजाय उन्हें प्यार से समझाने पर ज्यादा जोर दिया जाता है, जिसमें उनको इमोशनल फ्रीडम देने के साथ ही सुरक्षित वातावरण देना होता है, जिससे वो जिम्मेदारियों को समझें और बैलेंस के साथ फ्यूचर के लिए तैयार रहें. चलिए जान लेते हैं कि बच्चों को कौन सी बातें सिखानी चाहिए ताकि वो पर्सनल स्पेस या प्राइवेसी की अहमियत को समझें.
डोर नॉक करना सिखाएं
बच्चों को सिखाएं कि पेरेंट्स से लेकर किसी के भी कमरे में जाने से पहले डोर जरूर नॉक करें. इससे बच्चे दूसरों की प्राइवेसी की रिस्पेक्ट करना समझते हैं और अपनी प्राइवेसी का भी ध्यान रखना सीखते हैं. ये आदत उनके फ्यूचर में भी काम आएगी. इसके लिए उनसे प्यार से बात करें और बातों ही बातों में उन्हें पर्सनल स्पेस, प्राइवेसी जैसी चीजों को समझाएं.
गुड टच, बैड टच समझाएं
बच्चों को ये समझाना बहुत जरूरी है कि आपकी बॉडी सिर्फ आपकी है. फैमिली से लेकर बाहर या दोस्त तक…इसे आपकी इजाजत के बिना कोई टच नहीं कर सकता है. उन्हें गुड टच और बैड टच में फर्क समझाएं. इससे वो खुद की प्राइवेसी और सुरक्षा के बारे में जागरुक होंगे.

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लिमिटेशन तय करना सिखाएं
बच्चों को यह बताना बहुत जरूरी है कि अपने आसपास जगहों के बारे में दूसरों से बातें शेयर न करें. जब तक किसी के साथ सहज न हो तो उसे ज्यादा करीब न आने दें और न का मतलब न ही होता है फिर चाहे सामने वाला प्यार से ही क्यों न ट्रीट कर रहा हो. खुद से या फैमिली से जुड़ी बातें अनजाने लोगों से शेयर न करें.
डिजिटल सुरक्षा को लेकर जागरुक करें
बच्चों को आज के टाइम में डिजिटल सुरक्षा के बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है. सोशल मीडिया से लेकर ऑनलाइन गेम तक कई ऐसे फ्रॉड चल रहे हैं, जिनमें बच्चों को निशाना बनाया जाता है, इसलिए उन्हें ये समझाएं कि ऑनलाइन अपनी कोई भी जानकारी दूसरों के साथ शेयर न करें और अगर कोई ऐसा करता है तो आपको तुरंत बताएं.