सीरिया में 5 अक्टूबर को संसदीय चुनाव होने हैं…लेकिन जनता को खबर तक नहीं! – भारत संपर्क


सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल शरा
सीरिया में रविवार को संसदीय चुनाव होने जा रहे हैं. ये देश के लिए ऐतिहासिक पल है, क्योंकि यह चुनाव पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के सत्ता से हटने के बाद पहली बार हो रहे हैं. 2024 दिसंबर में विद्रोहियों के तेज़ हमले में असद का शासन गिरा था, जिससे देश में पांच दशक पुरानी असद परिवार की तानाशाही का अंत हो गया. अभी अंतरिम सरकार की कमान अहमद अल शरा के हाथों में हैं.
यह चुनाव सीरिया में लोकतांत्रिक बदलाव की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है. हालांकि, यह एक प्रत्यक्ष मतदान नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष चुनाव होगा, जिसमें जनता सीधे तौर पर वोट नहीं डालेगी. मगर फिर भी कई सीरियाई नागरिकों को ये मालूम ही नहीं है कि उनके देश में इस तरह का चुनाव हो रहा है.
कैसे होते थे सीरिया में चुनाव
पिछले 50 सालों से असद परिवार के शासन में सीरिया में चुनाव तो नियमित रूप से होते रहे, लेकिन जनता के लिए वे सिर्फ दिखावे भर थे. असद के नेतृत्व वाली बाथ पार्टी संसद पर हमेशा हावी रही और परिणाम पहले से तय माने जाते थे. असल प्रतिस्पर्धा चुनाव से पहले पार्टी के अंदर होती थी, जब सदस्य अपने नाम सूची में ऊपर लाने की कोशिश करते थे.
जनता को खबर ही नहीं कल वोटिंग है
दिलचस्प बात यह है कि राजधानी दमिश्क की सड़कों पर चुनाव का कोई माहौल नहीं दिख रहा. शनिवार तक शहर की मुख्य सड़कों और चौकों पर न तो उम्मीदवारों के पोस्टर लगे थे, न कोई जनसभा या प्रचार रैली हुई. कई नागरिकों को तो यह तक नहीं मालूम था कि अगले ही दिन देश में चुनाव होने वाले हैं. क्योंकि उन्हें खबर ही नहीं है कि कल वोट पड़ेंगे.
आम चुनाव न कराने की क्या दलील है?
सीरिया की अंतरिम सरकार का कहना है कि उसने सार्वभौमिक मतदान (universal suffrage) की बजाय यह प्रणाली इसलिए अपनाई है क्योंकि युद्ध और विस्थापन के चलते देश की जनसंख्या का सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. लाखों सीरियाई नागरिक अपने घरों से बेघर हो चुके हैं, जिससे सीधा जनमत संग्रह संभव नहीं हो पाया.
इस बार के चुनाव से कुछ उम्मीदे हैं?
हालांकि, इस बार के चुनाव भी पूरी तरह लोकतांत्रिक नहीं कहे जा सकते. देश की पीपुल्स असेंबली की ज़्यादातर सीटों पर मतदान जिला-स्तरीय इलेक्टोरल कॉलेजों के जरिए होगा, जबकि करीब एक-तिहाई सीटें अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा द्वारा सीधे नियुक्त की जाएंगी.
पीपुल्स असेंबली (संसद): देश की संसद में कुल 210 सीटें होंगी.
चुनाव की संरचना: इनमें से दो-तिहाई (लगभग 140 सीटें) का चुनाव किया जाएगा, जबकि एक-तिहाई (करीब 70 सीटें) अंतरिम राष्ट्रपति द्वारा सीधे नियुक्त की जाएंगी.
इलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली: चुनी जाने वाली सीटों के लिए देश के अलग-अलग जिलों में इलेक्टोरल कॉलेज मतदान करेंगे.
लगभग 6,000 सदस्य देशभर के 50 जिलों में मतदान करेंगे. इन कॉलेजों के जरिए करीब 120 सीटों पर प्रतिनिधियों का चयन होगा. हर जिले को दी जाने वाली सीटों की संख्या वहां की जनसंख्या के आधार पर तय की गई है. चुनी गई यह संसद 30 महीनों (ढाई साल) तक काम करेगी
चुनावी प्रक्रिया को लेकर चिंता क्या है?
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह लोकतांत्रिक नहीं है, क्योंकि आम जनता को प्रत्यक्ष रूप से वोट देने का मौका नहीं मिलेगा. अधिकांश सीटों पर मतदान इलेक्टोरल कॉलेज करेंगे और बची हुई सीटें सीधे नियुक्त की जाएंगी. इससे चुनाव की पारदर्शिता और जनता की वास्तविक भागीदारी को लेकर सवाल उठ रहे हैं.