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पुलिस का कसा शिकंजा, 14 चार पहिया व 40 दोपहिया वाहन जब्त, फ्लोरा मैक्स से जुड़े आरोपियों समेत नाते-रिश्तेदारों की चल-अचल संपत्ति की जानकारी जुटा रही पुलिस

कोरबा। प्रशासन-पुलिस द्वारा फ्लोरा मैक्स से जुड़े आरोपियों समेत उनके नाते-रिश्तेदारों की चल-अचल संपत्ति की जानकारी जुटाई जा रही है। वहीं कंपनी की खुद की चल-अचल संपत्ति की जानकारी जुटाकर जब्ती की जा रही है। इसी कड़ी में कोरबा में शहर के बाद रजगामार में बनाए गए क्षेत्रीय कार्यालय को सील कर दिया गया है। अब तक डायरेक्टर-कैशियर समेत टॉप लीडरों के अलावा एजेंटों से 14 चार पहिया वाहन जब्त हो चुके हैं। जिसमें 2 कार, 2 मालवाहक ऑटो व 10 इको वाहन है। वहीं 40 दोपहिया वाहनों की जब्ती हो चुकी है। वाहनों की संख्या, एजेंटों में भी बढ़ रहा है तनाव
कोरबा। शहर में सेंटर खोलकर धोखाधड़ी करने वाली फ्लोरा मैक्स कंपनी के खिलाफ पुलिस की विवेचना व जब्ती कार्रवाई जारी है। जिसमें 100 से अधिक एजेंटों को वाहन बांटने की जानकारी मिलने पर रिकवर किया जा रहा है। फ्लोरा मैक्स कंपनी द्वारा 30 हजार से अधिक महिला निवेशकों से करीब 100 करोड़ से अधिक की ठगी की गई है। मामले में पुलिस की विवेचना विस्तृत हो चुकी है। क्योंकि जैसे-जैसे पुलिस की विवेचना आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे नई जानकारी निकलकर सामने आ रही है। विवेचना के दौरान पुलिस को अब तक 100 से अधिक एजेंट को कंपनी की ओर से कारोबार को बढ़ावा दिलाने पर गिफ्ट में वाहन बांटने की जानकारी मिली है। जिसके आधार पर पुलिस अब संबंधित एजेंटों से संपर्क कर उन्हें थाना तलब कर रही है। जहां कंपनी द्वारा दिए गए वाहनों को जब्त कर रिकवर किया जा रहा है। इसके साथ ही एजेंटों का मामले के संबंध में बयान भी लिया जा रहा है। दूसरी ओर एजेंट भी कंपनी के धोखाधड़ी के बाद निवेशकों के तकादे व उसके बाद पुलिस के बुलावे से तनाव में चल रहे हैं। हालांकि पुलिस कंपनी के लुभावने स्कीम में फंसने के साथ ही अन्य लोगों को जोड़ने वाले एजेंटों के खिलाफ अभी किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर रही है। एक अधिकारी के मुताबिक मामले में उन्हें भी पीड़ित मानते हुए उनका बयान लेकर केस को मजबूत बनाया जा रहा है।
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एजेंटों के नाम से खरीदवाए वाहन

फ्लोरा मैक्स कंपनी द्वारा एजेंटों के जो वाहन गिफ्ट के नाम से दिए गए हैं वे सभी फाइनेंस पर एजेंटों के नाम से खरीदवाए गए हैं। एजेंट जिस तरह से स्वयं फाइनेंस में वाहन खरीदते हैं वैसे ही प्रक्रिया पूरी करके हर महिने कंपनी से मिलने वाले कमीशन-वेतन से किश्त चुका रहे थे। हालांकि कंपनी व्यापार कर रही थी तब एजेंटों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो रही थी। वहीं अब वाहन फाइनेंस करने वाली कंपनियां भी एजेंटों के पास तकादे के लिए पहुंच रही है। जिससे उनकी परेशानी पहले से ज्यादा बढ़ गई है।

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