रबी फसल की खेती पिछड़ी, मौसमी उतार चढ़ाव बना कारण,बदली का असर…- भारत संपर्क
रबी फसल की खेती पिछड़ी, मौसमी उतार चढ़ाव बना कारण,बदली का असर जारी रहने के कारण समय पर नहीं हुई बोआई
कोरबा। जिले में पिछले दो माह से मौसमी उतार चढ़ाव बना हुआ है। जिसका असर खरीफ के बाद अब ग्रीष्म फसल पर पड़ने लगा है। किसानों की माने ठंड जितना अधिक तीव्र होता है, गेहूं व मक्का फसल के लिए वह उतना ही अनुकूल होता है। इस बार दिसंबर माह से आसमान में बदली छाने की वजह से ठंड का असर काफूर रहा। जिसका सीधा असर गेहूं की बोआई पर पड़ा है।दिसंबर से जनवरी माह के बीच हुई बेमौसम वर्षा के कारण कारण धान की फसल खेतों में पड़े रहे। कटाई और उठाव में हुई देरी का असर अब ग्रीष्म अनाज की खेती पर पड़ा है। खेतों में गेहूं, मक्का व रागी की खेती पिछड़ गई है। कृषि विभाग की ओर से निर्धारित किए गए 4,850 हेक्टेयर के विरूद्ध बोआई के 86 प्रतिशत क्षेत्र में सिमट गया है। बीते वर्ष यह शत प्रतिशत थी। वहीं दलहन के लिए मौसम अनुकूल होने की वजह से मूंगफली और सरसों को रकबा 11, 800 से बढ़कर 11,898 हेक्टेयर हो गया है।बेमौसम वर्षा की वजह से धान खेत पर ही पड़े रहे। किसान शुष्क बोआई नहीं कर पाए। बीते जिला कृषि विभाग ने गेहूं, मक्का व रागी का लक्ष्य क्रमश: 2326, 1103 व 600 हेक्टेयर था जिसे बढ़ाकर 3000, 1200 व 650 किया। जनवरी माह तक बोआई पूरा करना था। किसान मौसम में सुधार आने का इंतजार करते रहे लेकिन बदली का असर जारी रहने के कारण समय पर बोआई नहीं हुई।अब भी आसमान नहीं खुल पाया है। इस वजह से फसल के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण नहीं मिल पा रहा है। उधर तिलहन के तौर सरसों, मूंगफली, कुसुम फसल के क्षेत्राच्छादन रकबा में भले ही 10 प्रतिशत बढ़त हुई है लेकिन बमौसम वर्षा से बीमारी की संभावना बढ़ गई है। इस बार जिले में मटर और चना की फसल भी बेहतर है। दोनों की उपज लगभग तैयार हो चुकी है। मौसम प्रतिकूल रही तो किसानों के लिए यह घाटे का सौदा हो सकता है। कृषि विभाग के सहायक उपसंचालक डीपीएस कंवर का कहना है कि किसानों को कम लागत अधिक लाभ वाले फसल बोआई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। बेमौसम वर्षा से गेहूं व मक्का की बोआई प्रभावित हुआ है।