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रिक्शा वालों को चुनावी प्रचार का मिला काम, प्रचार कर रहे सुबह से शाम, हाईटेक होते चुनाव प्रचार के बीच हाथ रिक्शा अपनी पहचान

कोरबा। हाईटेक होते चुनाव प्रचार के बीच हाथ रिक्शा भी मतदाताओं को अपनी ओर रिझाने सड़क पर उतर चुका है।सामान्य दिनों में बोझ ढोकर हाथ रिक्शा खींचने वाले मजदूरों का बोझ जरूर काम हुआ है। कांग्रेस प्रत्याशी ने लगभग दर्जन भर हाथ रिक्शा वाले दिहाड़ी मजदूरों को प्रचार का काम सौंपा है। जिन्हें हाथ रिक्शा पर फ्लेक्स रखकर शहर के अलग-अलग रूटों में घूमने की जिम्मेदारी दी गई है। रिक्शा के पीछे फ्लेक्स रखकर ये दिनभर शहर में चक्कर लगाते हैं।लाउडस्पीकर पर गाना भी चलता रहता है जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। सभी मजदूरों को अलग-अलग रूट पर प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
लोकसभा चुनाव में जहां एक ओर हाईटक प्रचार हो रहा है। पार्टियों ने जीत के लिए वार रुम तक बनाए हैं वहीं कोरबा में रिक्शा चलाने वाले मजदूर भी अब इस प्रचार की जंग में कूद पड़े हैं। कांग्रेस पार्टी ने रिक्शा चलाने वाले लोगों के रिक्शे में अपने प्रचार का बोर्ड बांध दिया है। ये मजदूर शहर में घूम घूम कर प्रचार का काम कर रहे हैं। बिना सवारी के शहर में प्रचार करने का जहां इनको पैसा मिल रहा है वहां बिना सवारी बिठाए रिक्शे को खीचने में इनको मेहनत नहीं करनी पड़ रही है। पहले जहां इन मजदूरों को एक दिन में 700 से लेकर 1000 रुपए कमाई से मिलते थे। मेहतन भी अधिक करनी पड़ती थी। कभी जरूरत से ज्यादा सामान लादकर भी चलना पड़ता था। थकावट अलग होती थी पर अब इन मजदूरों की मानों लॉटरी निकल आई है। अब इनको तय समय पर प्रचार करना है और मेहनताना भी रोज का 700 फिक्स है। कभी कभी मुसाफिर नहीं मिलने पर ये खाली हाथ भी घर लौट जाते थे पर अब पांच मई तक इनको सात सौ रुपए हर दिन मिलेगा। काम और पैसा दोनों फिक्स होने से ये काफी खुश हैं।हम्माली और मजदूरी करने वालों को अगर तय समय पर पैसा और निश्चित राशि मिल जाती है तो उससे ही उसका मन खुश हो जाता है। नेताओं के वादों पर भले ही ये लोग विश्वास नहीं करें, नेताओं को भले ही पसंद नहीं करें लेकिन ये रिक्शेवाले अब नेताजी के प्रचार का जिम्मा उठाकर पहली बार खुश हुए हैं।

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