तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य नहीं हुआ हासिल, दोनों वनमण्डल…- भारत संपर्क
तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य नहीं हुआ हासिल, दोनों वनमण्डल में 93 फीसदी संग्रहण हो चुका है पूर्ण
कोरबा। कोरबा वनमंडल में 53 हजार 600 मानक बोरा पत्ता संग्रहित करने का लक्ष्य था, लेकिन 93 प्रतिशत पत्ता ही संग्रहित किया जा सका। कटघोरा वनमंडल में 76 हजार 300 मानक बोरा पत्ता संग्रहण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जबकि 93 प्रतिशत पत्ता संग्रहण हो सका। जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य समाप्त हो चुका है, लेकिन इस बार बेमौसम बारिश, हाथी प्रभावित क्षेत्र और बाघ की सूचना के बाद से कोरबा और कटघोरा वनमंडल दोनों ने संग्रहण निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सका है।बताया जा रहा है कि दोनों वनमंडल के 728 फड़ बनाए गए थे। बेमौसम वर्षा की वजह से पत्तों का उपज प्रभावित हुआ है। इस वजह से दोनों वनमंडल पत्तों के संग्रहण लक्ष्य से पीछे रह गया। हालांकि संग्रहित पत्तों का आंकलन के अनुसार बीते वर्ष की तुलना में यह 20 हजार 39 मानक बोरा अधिक है। तेंदूपत्ता की खरीदी में तत्काल भुगतान की प्रक्रिया के कारण पत्ता तोड़ाई को लेकर संग्राहकों में प्रतिस्पर्धा बनी हुई है। पिछले कुछ सालों से संग्रहण के समय मौसम में बदलाव के साथ वर्षा व तेज हवा से काम बाधित होता रहा।बीते वर्ष की तुलना में इस बार इस इसका मौसम मेें बदलाव की वजह से बारिश और आंधी का असर अधिक रहा। इसके अलावा जंगल में हाथी की धमक और बाघ द्वारा मवेशी के हमले की सूचना के बीच तेंदूपत्ता संग्रहण का काम प्रभावित हुआ।
ग्रामीण जंगल की ओर जाने से बचते रहे। कोरबा वनमंडल 38 समितियों में 280 फड़ बनाए गए हैं। कटघोरा में 44 समितियों के लिए 482 फड़ बनाए गए हैं। अंतिम चरण के तोड़ाई के अमानक पत्तों की बिक्री की आशंका को देखते हुए फड़ मुंशियों के पत्तों का आंकलन शुरू कर दिया था। प्रति वर्ष पत्तों के खराब होने का हवाला देकर पांच गड्डी अतिरिक्त पत्ते सरा के नाम पर ली जाती थी। इस बार इस समस्या से मुक्ति दिलाने के लिए गांव-गांव सरा न देने मुनादी कराई गई थी। तोड़ाई काम पूरा होने के बाद सूखे पत्तों को गोदामों मे पहुंचाया जाने लगा है। तेंदूपत्ता संग्रहण के नोडल अधिकारी ने बताया कि मौसमी आपदा से हरे पत्तों को सुरक्षित रखने के लिए फड़ों आसपास वैकल्पिक व्यवस्था जा रही है। संग्रहित पत्तों में सूख चुके पत्तों को गोदाम में संग्रहित कर किया जा रहा है।