मुर्गे ने बोला कूकड़ूकू, लालच में गुलदार भागा चला आया… पिंजरे में हो गया … – भारत संपर्क
पहले बकरे बांधने की पद्धति अपनाई जाती थी.
बिजनौर में गुलदारों (तेंदुओं) को पकड़ने के लिए वन विभाग ने अब चिकन पार्टी फार्मूला निकाला है. चिकन (मुर्गों) के लालच में गुलदार पिंजरों में फंस रहे हैं और यह तरीका काफी कारगर साबित हो रहा है. वन विभाग ने पिछले चार महीनों में कुल 30 गुलदार पिंजरे लगाकर पकड़े हैं. इनमें से 15 गुलदार मुर्गों के शिकार के चक्कर में पिंजरों में कैद हुए हैं.
बिजनौर वन विभाग के एसडीओ अंशुमान मित्तल ने बताया कि पहले पिंजरों में बकरेबकरियां बांधी जाती थीं, लेकिन उनकी चोरी होने की घटनाएं बढ़ गई थीं. एक बकरे की कीमत छहसात हजार रुपये तक होती है, जिसकी चोरी की आशंका हमेशा बनी रहती थी. इसके बाद पिंजरों में मुर्गे बांधना शुरू किया गया.
मुर्गे दोतीन सौ रुपये में मिल जाते हैं और पिंजरे में बंद करने पर तेज आवाज में शोर मचाते हैं और बांग भी देते हैं. उनकी गंध भी गुलदारों को अपनी ओर आकर्षित करती है. इसी वजह से यह फार्मूला सफल हो रहा है.
दरअसल, पिछले चार-पांच वर्षों में बिजनौर के गन्ने के खेतों और आम के बागानों में गुलदारों ने अपना ठिकाना बना लिया है. यहां भोजन प्रचुर मात्रा में मिलता है और रहने के लिए सुरक्षित जगहें भी हैं, जिसके कारण गुलदारों की आबादी तेजी से बढ़ रही है. इसके चलते वे खेतों में काम कर रहे किसानमजदूरों पर हमला कर उनकी जान ले रहे हैं.
बीते कुछ वर्षों में करीब 70 लोगों की गुलदारों के हमले में मौत हो चुकी है, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
बिजनौर वन प्रभाग के डीएफओ ज्ञान सिंह के मुताबिक, जिले में 100 पिंजरे गुलदारों की आवाजाही वाले स्थानों पर लगाए गए हैं. पिछले एक वर्ष में 120 गुलदारों को पिंजरों के माध्यम से पकड़कर गोरखपुर, मिर्जापुर, दिल्ली, कानपुर, उत्तराखंड और सोनभद्र के चिड़ियाघरों व जंगलों में छोड़ा जा चुका है.
वन विभाग की पांच टीमें दिनरात गांवगांव जाकर लोगों को गुलदारों से बचाव के प्रति जागरूक कर रही हैं. हर गांव में एकदो वन मित्र (स्वयंसेवक) भी बनाए गए हैं.
पहले पिंजरों में बकरे या कुत्ते बांधे जाते थे, लेकिन लगभग 1213 पिंजरों से बकरे चोरी हो गए थे. इसी वजह से अब मुर्गों को पिंजरों में बांधा जा रहा है. उनकी गंध और आवाज से लालच में आकर गुलदार पिंजरों में फंस रहे हैं.
