H-1B वीजा से जिन भारतीयों को निशाना बना रहे ट्रंप, वही हैं…- भारत संपर्क
अमेरिकी सरकार ने हाल ही में H-1B वीजा शुल्क का ऐलान किया था, जिससे अमेरिका में काम कर रहे भारतीय प्रभावित हुए हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि जिन भारतीयों को ट्रम्प अमेरिका में निशाना बना रहे हैं, वही अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ साबित हो रहे हैं. एक नए इकोनॉमिक स्टडी में सामने आया है कि भारतीय प्रवासी न केवल अमेरिका की GDP बढ़ा रहे हैं बल्कि राष्ट्रीय कर्ज को अरबों डॉलर तक घटाने में मदद कर रहे हैं.
भारतीय प्रवासी: सबसे फायदेमंद प्रवासी
मैनहट्टन इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता डैनियल डि मार्टिनो के ताजा स्टडी के अनुसार, एक औसत भारतीय प्रवासी 30 वर्षों में अमेरिकी सरकार का लगभग 1.6 मिलियन डॉलर (करीब 13 करोड़ रुपये) का कर्ज घटा देता है. उन्होंने बताया कि भारतीय प्रवासी किसी भी अन्य देश के लोगों से अधिक आर्थिक रूप से सकारात्मक हैं.
H-1B वीजा धारक भारतीय हैं असली गेमचेंजर
शोध के मुताबिक, H-1B वीजा धारक जिनमें ज्यादातर भारतीय हैं, अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर सबसे अच्छा असर डालते हैं. एक औसत H-1B प्रोफेशनल 30 सालों में 23 लाख डॉलर तक कर्ज घटा सकता है और GDP में करीब 5 लाख डॉलर की वृद्धि करता है. ऐसे में कह सकते हैं कि जितना ट्रम्प इस वीजा को सीमित करना चाहते हैं, उतना ही वे अपनी अर्थव्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं.
कौन कितना योगदान देता है?
डि मार्टिनो के अनुसार, भारतीयों के बाद चीनी प्रवासी 30 वर्षों में लगभग 8 लाख डॉलर कर्ज घटाते हैं. तीसरे नंबर पर फिलिपीनो प्रवासी हैं, जो 6 लाख डॉलर तक राहत पहुंचाते हैं. वहीं, मैक्सिकन और मध्य अमेरिकी प्रवासी उल्टा बोझ बढ़ा रहे हैं, यानी वे अमेरिकी सरकार पर आर्थिक दबाव डालते हैं.
क्यों फायदेमंद हैं भारतीय प्रवासी?
भारतीय प्रवासी आम तौर पर उच्च शिक्षित, टेक्नोलॉजी और मेडिकल सेक्टर में कुशल होते हैं. वे ज्यादा टैक्स देते हैं, कम सरकारी लाभ लेते हैं और अमेरिकी GDP में बड़ा योगदान करते हैं. यही वजह है कि वे अमेरिकी बजट को मजबूत करने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं.
ट्रम्प का कर्ज घटाने का वादा और हकीकत
ट्रम्प ने राष्ट्रपति रहते हुए वादा किया था कि वे अमेरिका का कर्ज कम करेंगे, लेकिन हालात उल्टे हैं. अमेरिकी राष्ट्रीय कर्ज अब 38 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच गया है. यानी ट्रम्प के कार्यकाल के दौरान यह कर्ज तेजी से बढ़ा है, जबकि वही भारतीय जिन्हें वे निशाना बनाते हैं, दरअसल कर्ज घटाने में मददगार साबित हो रहे हैं.
ग्रीन कार्ड देने पर नया सुझाव
शोधकर्ता ने सुझाव दिया है कि अमेरिका को ज्यादा ग्रीन कार्ड भारतीयों को देने चाहिए और अन्य देशों के वीजा को अस्थायी रूप से सीमित करना चाहिए ताकि भारत के लाखों लंबित आवेदन पहले निपट सकें. वर्तमान में भारतीयों को ग्रीन कार्ड पाने के लिए दशकों तक इंतजार करना पड़ता है, जबकि अन्य देशों के लोगों को सिर्फ 2 साल लगते हैं.
