अपोलो में भर्ती मजदूर ने भी तोड़ा दम, दो की गई जान – परिजन…- भारत संपर्क

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अपोलो में भर्ती मजदूर ने भी तोड़ा दम, दो की गई जान – परिजन…- भारत संपर्क

बिलासपुर/सीपत।
सीपत स्थित एनटीपीसी की यूनिट-5 में बुधवार को हुए भीषण हादसे में एक और मजदूर की मौत हो गई। हादसे में गंभीर रूप से घायल प्रताप सिंह (27) ने गुरुवार देर रात अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। इससे पहले पोड़ी गांव निवासी श्याम साहू (25) की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस तरह इस दुर्घटना में अब तक दो मजदूरों की जान जा चुकी है।

हादसा बुधवार को यूनिट-5 के प्री-एयर हीटर प्लेटफॉर्म पर मेंटेनेंस के दौरान हुआ था। 21 फीट ऊंचाई पर काम कर रहे छह मजदूर अचानक प्लेटफॉर्म टूटने से नीचे गिर पड़े। घटना में मौके पर ही श्याम साहू की मौत हो गई थी, जबकि प्रताप सिंह समेत संत कुमार (20), प्रिंस उर्फ अशोक (22) और मनीष वर्मा (24) घायल हो गए थे। प्रताप की हालत गंभीर होने पर उसे तुरंत अपोलो अस्पताल रेफर किया गया, जहां गुरुवार रात उसने अंतिम सांस ली। बाकी तीन घायलों का एनटीपीसी अस्पताल में इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई।

क्षमता से अधिक भार बना हादसे का कारण
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्लेटफॉर्म पर क्षमता से अधिक भार होने के कारण यह दुर्घटना हुई। हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। जिला प्रशासन, पुलिस और एनटीपीसी प्रबंधन के अधिकारी तुरंत घटनास्थल पहुंचे और राहत-बचाव कार्य किया गया।

जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई का आश्वासन
एनटीपीसी के जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि हादसे की जांच के आदेश दिए गए हैं। वहीं, एएसपी राजेंद्र जायसवाल ने कहा कि मजदूरों और जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों के बयान दर्ज किए जाएंगे। जांच में लापरवाही सामने आने पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

10-10 लाख मुआवजा और नौकरी का निर्णय
हादसे के बाद जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और एनटीपीसी प्रबंधन की संयुक्त बैठक हुई। इसमें निर्णय लिया गया कि मृतक श्याम साहू और प्रताप सिंह के परिजन को एनटीपीसी और ठेका कंपनी मेसर्स गोरखपुर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड की ओर से 5-5 लाख रुपए, कुल 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। इसके साथ ही प्रताप सिंह की पत्नी को संविदा आधार पर अर्धकुशल श्रेणी में नौकरी दी जाएगी।

मेंटेनेंस कार्य 10 दिन से चल रहा था
बताया गया कि यूनिट-5 के बॉयलर में मेंटेनेंस का कार्य करीब 10 दिन पहले शुरू हुआ था। इस काम के लिए गोरखपुर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर दिया गया था, जो स्थानीय मजदूरों से काम करवा रही थी। हादसे ने एक बार फिर औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


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