गायब सीटें, नदारद स्टैंड और टूटी पिच… ये है कानपुर का ग्रीन पार्क स्टेडिय… – भारत संपर्क

हमारे देश में क्रिकेट को एक खेल के तौर पर नहीं बल्कि एक त्योहार के रूप में लिया जाता है. क्रिकेट की दीवानगी इस देश में इस कदर है कि यहां पर क्रिकेट खिलाड़ियों को भगवान और क्रिकेट के मैदान को मंदिर से कम नहीं समझते. हालांकि समय का चक्र और सरकारों की उदासीनता कई बार इन मंदिरों के इतिहास को विलुप्त कर देती हैं या फिर यह कह सकते हैं कि इसका इतिहास बेरुखी की वजह से धीरे-धीरे विलुप्त हो जाता है. कुछ ऐसी ही कहानी है उत्तर प्रदेश के पहले और प्रदेश के इकलौते टेस्ट स्टेडियम ग्रीन पार्क की. आज हम आपको बताते हैं इस क्रिकेट स्टेडियम का गौरवमई इतिहास और इसकी खत्म होती चमक की कहानी…
ग्रीन पार्क का इतिहास देश की आजादी से पहले का है. बात है साल1945 की… जब इस क्रिकेट स्टेडियम को कानपुर में तैयार किया गया था. इसके नाम के पीछे भी अलग कहानी है. यहां पर अंग्रेजों की एक मैडम ग्रीन घुड़सवारी करने आया करती थीं. जब यह स्टेडियम बनकर तैयार हुआ तो इसका नामकरण उनके ही नाम पर कर दिया गया, ग्रीन पार्क. कानपुर में यह क्रिकेट स्टेडियम गंगा के किनारे बना हुआ है. इसकी हरी भरी घास वाली आउटफील्ड की चर्चा ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशी क्रिकेटर्स तक मशहूर थी. यहां पर पहला टेस्ट मैच 1952 में खेला गया और ग्रीन पार्क देश के उन चुनिंदा टेस्ट सेंटर में शुमार हो गया जहां पर पांच दिवसीय क्रिकेट मैच खेला जा सकता था. आज भी अगर बात करें तो यह प्रदेश का इकलौता टेस्ट सेंटर है.
डिजिटल युग में मैनुअल स्कोरबोर्ड हुए विलुप्त
ग्रीन पार्क मैदान का न केवल लंबा इतिहास है बल्कि ये अपने अंदर कई खूबियां भी समेटे हुए है. एक वक्त था जब सबसे ज्यादा चर्चा यहां के स्कोर बोर्ड और काली मिट्टी के पिच की होती थी. सबसे पहले बात करें मानव द्वारा संचालित स्कोरबोर्ड की. इस स्टेडियम में 1957 के दशक में मानव संचालित स्कोरबोर्ड की स्थापना की गई थी. यह स्कोरबोर्ड दुनिया का सबसे बड़ा मानव संचालित स्कोरबोर्ड था.
डिजिटल बोर्ड आने के बाद भी अभी पांच साल पहले तक यह स्कोरबोर्ड काम करता था और पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र था. इस स्कोरबोर्ड को संचालित करने के लिए कुल 35 लोगों की टीम लगती थी और 135 पुली का इस्तेमाल किया जाता था. पांच साल पहले यह रखरखाव में कमी और डिजिटल युग की वजह जर्जर हो गया और इसका इतिहास भी इसके साथ विलुप्त हो गया.
उन्नाव की काली मिट्टी का पिच में नहीं होता इस्तेमाल
इसके साथ ही यहां की पिच को बनाने में अभी तक उन्नाव की काली मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता था. यहां की मिट्टी क्रिकेट पिच के मुताबिक है. इसमें क्ले 60 से 70 प्रतिशत है. जो पिच को बेहतर बनाने के अनुकूल है. यहां की मिट्टी ऐसी है जिसके कारण पिच जल्दी फटती है. इस मिट्टी की पिच बल्लेबाजों के साथ गेंदबाजों की भी मददगार रहती है. अब इस मिट्टी की उपलब्धता भी खत्म हो गई है इसलिए अब ग्रीन पार्क की पिच बनाने के लिए उरई, जालौन, झांसी, वाराणसी की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाने लगा है.
सुविधाओं के अभाव का रोना, आईपीएल के मुकाबले बंद
ग्रीन पार्क की लोकप्रियता को देखते हुए यहां शुरुआत में आईपीएल के मैच भी हुए थे. इसके लिए इस मैदान में फ़्लड लाइट का इतंजाम किया गया था. उसके बाद यूपीसीए के साथ टीम के प्रायोजकों ने यहां पर सुविधाओं के अभाव की आवाज उठानी शुरू कर दी. सबसे पहले यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट ना होना, मौजूदा एयरपोर्ट में नाइट लैंडिंग की सुविधा ना होना, फाइव स्टार होटल्स की कमी आदि का कारण बता कर आईपीएल के मैच यहां बंद कर दिए गए. इसके साथ ही धीरे-धीरे टी 20 और वन डे मैच भी यहां बंद हो गए. अब ज्यादा से ज्यादा 2-4 साल में जब टेस्ट मैच के रोटेशन में नंबर आता है तो यहां टेस्ट मैच हो जाता है. इसके अलावा यह विश्व विख्यात क्रिकेट मैदान सिर्फ घरेलू क्रिकेट के लिए रह गया है.
दर्शकों के बैठने की जगह का बुरा हाल
ग्रीन पार्क स्टेडियम की बात करें तो यहां पर एक समय तकरीबन 45,000 दर्शकों के बैठने की क्षमता हुआ करती थीं. धीरे धीरे यह कम होती गई और आज बमुश्किल इसकी क्षमता 25,000 के आस पास है. इसकी कई दर्शक दीर्घा जैसे सी बालकनी, स्टूडेंट गैलरी की हालत काफी जर्जर है. ग्रीन पार्क ऐसे स्टेडियम में से था जहां अलग से स्टूडेंट गैलरी मौजूद है. डिस्काउंट रेट पर यहां छात्रों को टिकट्स उपलब्ध कराए जाते हैं. कुछ समय पहले स्टेडियम में पानी के निकासी की समस्या भी आ गई थी. पानी निकासी का इतंजाम ना होने से भी यहां अंतरराष्ट्रीय मैच होने की संभावनाओं पर नजर लगेगी. 2024 में भारत-बांग्लादेश के बीच हुए टेस्ट मैच में आउटफील्ड पर बारिश का पानी भर गया था जिसके बाद मैच रेफरी ने इस स्टेडियम को एक डीमेरिट प्वाइंट दिया था.
दावे बड़े-बड़े, धरातल पर कुछ नहीं
जब भी यहां पर कोई अंतरराष्ट्रीय स्तर का मैच होता है तो स्थानीय नेताओं से लेकर सरकार तक और यूपीसीए से लेकर बीसीसीआई के आकाओं तक यह दावा किया जाता है कि इस ऐतिहासिक स्टेडियम की सूरत बदल दी जाएगी. इसके बाद जैसे ही मैच खत्म होता है वैसे ही वही पुराना ढाक के तीन पात. यूपीसीए यहां को लेकर पूरी तरह से उदासीन हो चुका है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि उनका पूरा काम लखनऊ शिफ्ट हो गया है. सरकार के साथ जो यूपीसीए का एएमयू हुआ था उसका पालन भी ठीक से नहीं किया जाता है. इसी महीने के अंत में भारत ए और ऑस्ट्रेलिया ए के बीच में मैच होना है. देखने वाली बात ये होगी कि इसके बाद ग्रीन पार्क का स्वरूप बदलता है या नहीं.
आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा ग्रीन पार्क
ग्रीन पार्क की दुर्दशा पर बात करते हुए सांसद रमेश अवस्थी ने बताया कि रिनोवेशन के लिए डीपीआर तकरीबन तैयार हो चुकी है. इसको भव्य और आधुनिक स्वरूप दिया जाएगा. यहां की दर्शक क्षमता 50 हजार के करीब होगी और पार्किंग के अलावा सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. यहां पर आने वाले समय में टी20, आईपीएल, वन डे सभी मैच कराए जाएंगे. जो वादा कानपुर की जनता से किया है उसको जरूर पूरा किया जाएगा.