Yah swasthya sthitiyan ban sakti hai motape ka Karan. – ये स्वास्थ्य…
स्वास्थ्य की सभी पहलुओं को मेंटेन करने के बाद भी यदि आपका वजन बढ़ रहा है, अपने नजदीकी डॉक्टर से मिलकर अपनी जांच करवाएं और देखें की आखिर इसके पीछे क्या कारण है (causes of obesity)।
यह तो हम अक्सर सुनते हैं कि मोटापा स्वास्थ्य संबंधी कई बीमारियों का प्राथमिक कारण है। परंतु क्या आपको यह मालूम है, की कई ऐसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, जिनकी वजह से व्यक्ति का वजन बढ़ सकता है। सामान्य तौर पर भोजन करने एक हेल्दी लाइफस्टाइल मेंटेन करने के बावजूद यदि आपको कुछ प्रकार की शारीरिक समस्याएं हैं, तो आपका वजन तेजी से बढ़ता है। स्वास्थ्य की सभी पहलुओं को मेंटेन करने के बाद भी यदि आपका वजन बढ़ रहा है, अपने नजदीकी डॉक्टर से मिलकर अपनी जांच करवाएं और देखें की आखिर इसके पीछे क्या कारण है (causes of obesity)।
मोटापे का कारण बनने वाली बीमारियों से संबंधित जरूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए हेल्थ शॉट्स ने ग्लेनीगल्स हॉस्पिटल्स परेल मुंबई, इंटरनल मेडिसिन, वरिष्ठ सलाहकार डॉ. मंजूषा अग्रवाल से बात की। तो चलिए जानते हैं, इन समस्याओं के बारे में अधिक विस्तार से।
मोटापा क्या है?
डॉक्टर के अनुसार “मोटापा एक पुरानी स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें व्यक्ति शारीरिक गतिविधि के दौरान जितनी कैलोरी जलाता है, उससे ज़्यादा कैलोरी का सेवन करता है। इससे वज़न बढ़ सकता है, जिसका असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है।”
“मोटापे के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि स्वस्थ भोजन के बजाय पैकेज्ड या जंक फ़ूड चुनना, सीमित गतिशीलता, एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठे रहना, बहुत ज़्यादा तनाव लेना, आनुवंशिकी और कुछ मेडिकल स्थियां।”
धीमे मेटाबॉलिज्म से बढ़ता है मोटापा (causes of obesity)
डॉक्टर की माने तो इस डिजिटल दुनिया में, लोग अपना ज़्यादातर समय लैपटॉप, टेलीविज़न, मोबाइल फ़ोन जैसी इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन के सामने बिताते हैं, जो उनकी गतिशीलता को काफ़ी हद तक सीमित कर देता है। यह आपके मेटाबॉलिज्म को धीमा कर सकता है, जिससे कुछ लोगों के लिए भोजन पचाना मुश्किल हो जाता है। बार-बार एक साथ ज़्यादा मात्रा में खाना, ख़ास तौर पर तैलीय या जंक फ़ूड खाना मोटापे सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं को आमंत्रित कर सकता है।
इन 4 स्वास्थ्य स्थितियां भी बन सकती हैं मोटापे का कारण (Health condition that causes obesity)
डॉ मंजूषा अग्रवाल के अनुसार “कई स्वास्थ्य स्थितियां ऐसी हैं जो संभावित रूप से आपके वज़न को बढ़ाने में योगदान दे सकती हैं। हार्मोनल असंतुलन, हाइपोथायरायडिज्म, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, PCOD (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज़), कुछ प्रकार के कैंसर और ऑस्टियोआर्थराइटिस मोटापे से जुड़ी सामान्य स्वास्थ्य स्थितियां हैं। यही कारण है कि मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को खत्म करने के लिए अपने वज़न को नियंत्रित रखना ज़रूरी हो जाता है।”
1. हाइपोथायरायडिज्म (hypothyroidism)
हाइपोथायरायडिज्म कम थर्मोजेनेसिस, कम मेटाबॉलिक दर से जुड़ा है, और इसके कारण उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और मोटापा बढ़ सकता है।
2. हार्मोनल असंतुलन (hormonal imbalance)
कई हार्मोन इस बात को प्रभावित कर सकते हैं, कि आपका शरीर कैसे संकेत देता है। हार्मोंस इस बात को दर्शाते हैं की आपको भोजन की आवश्यकता है और आपका शरीर ऊर्जा का उपयोग कैसे करता है, इसलिए कुछ हार्मोन के असंतुलन के परिणामस्वरूप फैट स्टोरेज के रूप में वजन बढ़ सकता है। उदाहरण के लिए, अतिरिक्त कोर्टिसोल (एक हार्मोन) और कम थायराइड हार्मोन (हाइपोथायरायडिज्म) मोटापे का कारण बनते हैं।
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3. डायबिटीज (diabetes)
ब्लूडस्ट्रीम में शुगर का उच्च स्तर बहुत हानिकारक हो सकता है और कई समस्यायों का कारण बन सकता है। ब्लड शूगर के स्तर को कम करने की कोशिश करने के लिए, लीवर अतिरिक्त ब्लड शुगर को फैट सेल्स में बदल देता है, जो इसे शरीर में फैट के रूप में संग्रहीत करते हैं।
4. पीसीओएस (PCOS)
पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में वजन बढ़ना और मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध पर इसके प्रभाव के माध्यम से, स्टेरॉयडोजेनेसिस और हाइपरएंड्रोजेनिज्म को बढ़ाता है। इसके कारण वेट गेन हो सकता है।
एक्सपर्ट के अनुसार इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है
जीवनशैली में कुछ सामान्य बदलाव जैसे कि स्वस्थ भोजन, नियमित रूप से लगभग 30 मिनट तक शारीरिक गतिविधि या व्यायाम करना, अपने स्क्रीन टाइम को सीमित करना और अपने दिमाग और शरीर को आराम देने के लिए बाहर जाना, और पैकेज्ड या जंक फूड खाने से बचना जिसमें अत्यधिक मात्रा में वसा, अतिरिक्त चीनी और संरक्षक होते हैं।
अगर आपका वजन कम-ज्यादा होने लगे या बहुत ज़्यादा वजन बढ़ने लगे तो अपने डॉक्टर से सलाह लें, क्योंकि यह कई अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है। शारीरिक समस्याओं का पता आप खुद नहीं लगाया जा सकता, इसलिए डॉक्टर से मिले और जरूरी जांच करवाएं और समस्या के पकड़ में आने पर जरूरी दवाइयां लें और परहेज करें। इससे स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा।
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