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गर्भगृह में तीन शिवलिंग, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के स्वरूप, पाली में स्थित है ऐतिहासिक शिव मंदिर
कोरबा। छत्तीसगढ़ के सभी शिवालयों में पवित्र सावन महीने में भक्तों की भीड़ लगी है। कावड़ियों की लम्बी कतार लगी हुई है। छत्तीसगढ़ में कुछ बेहद अनोखे शिव मंदिर हैं जो अपनी स्थापत्य कला, रहस्य और आस्था के कारण उल्लेखनीय हैं। जिले के पाली में स्थित शिव मंदिर जिसका अपना एक विशेष महत्व है। यह मंदिर न केवल राज्य के सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है, बल्कि यहां आने वाले शिव भक्तों की आस्था भी उतनी ही अटूट है। इस मंदिर में गर्भगृह या गर्भगृह जैसा भाग में तीन शिवलिंग स्थापित हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) स्वरूप माने जाते हैं। तीनों को एक साथ यहाँ पूजनीय माना जाता है। पारंपरिक मंदिर वास्तुशास्त्र के अनुसार गर्भगृह में सिर्फ एक शिवलिंग होना चाहिए, लेकिन पाली मंदिर में तीन होने को पुरातत्व विशेषज्ञ एक ऐतिहासिक घटना से जोड़ते हैं। जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पाली का शिव मंदिर करीब 1200 साल पहले, 9वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था इस मंदिर का गौरवशाली इतिहास भारतीय संस्कृति और यहां के राजा-महाराजाओं की विरासत का जीता-जागता प्रमाण है। यह मंदिर अपनी स्थापत्य कला और अनूठी विशेषताओं के लिए जाना जाता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि प्राचीन काल में युद्ध के दौरान दो मंदिरों के नष्ट होने के कारण इन तीनों शिवलिंगों को एक ही गर्भगृह में रखा गया होगा।
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राजा विक्रमादित्य ने कराया था मंदिर का निर्माण
इस प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में बाणवंशीय राजा विक्रमादित्य ने करवाया था, जो महामंडलेश्वर मालदेव के पुत्र जयमेयू के नाम से भी जाने जाते थे.लगभग 870 ईस्वी में शुरू हुआ इसका निर्माण कार्य 900 ईस्वी तक पूरा हुआ। बाद में 11वीं शताब्दी में कलचुरी वंश के शासक जाज्वल्य देव प्रथम ने इसका जीर्णोद्धार कराया। यह भी मान्यता है कि दोनों राजाओं ने युद्ध में विजय के बाद इस मंदिर का निर्माण कराया था, इसलिए इसे विजय के प्रतीक के तौर पर भी देखा जाता है।