क्या हो सकते हैं हेयर ट्रांसप्लांट के जोखिम कारक – what could be the risks…

बाल किसी के व्यक्तित्व को परिभाषित नहीं करते हैं। पर अगर आप हेयर ट्रांसप्लांट की योजना बना रहे हैं, तो इससे जुड़े शॉर्ट और लॉन्ग टर्म जोखिमों के बारे में भी जान लेना जरूरी है। सही डॉक्टर और सही क्लिनिक की पहचान कैसे की जाए, यह भी जानिए सेहत-संवाद के इस विशेष साक्षात्कार में।
एक अवैज्ञानिक और पुरानी कहावत है कि रईस पुरुषों के सिर से बाल उड़ने लगते हैं। यह कहावत अवैज्ञानिक तो है, मगर यह पुरुषों को उस तनाव से बचाती रही है, जो क्राउन एरिया में बढ़ रहे खालीपन के कारण पुरुषों में जन्म लेता है। बालों का किसी भी व्यक्ति की सेहत पर कोई असर नहीं होता। मगर यह सेहत में हो रहे बदलावों का संकेत हो सकता है। जबकि अपने लुक के प्रति अतिसंवेदनशील लोग इसे आत्मविश्वास से जोड़ लेते हैं। बॉलीवुड और हॉलीवुड में कई ऐसे अभिनेता है जिन्होंने ‘विग’ को ही अपनी परमानेंट पहचान बना लिया है। जबकि अनुपम खेर जैसे लोग भी कम नहीं है, जिन्होंने बिना बालों वाले अपने सिर को अपनी पहचान और आत्मविश्वास दोनों बनाया।
हेल्थ शॉट्स पर हमने हमेशा बॉडी पॉजीटिविटी का समर्थन किया है और बाल भी इसी का हिस्सा हैं। बाल किसी व्यक्ति की पर्सनेलिटी और पहचान तय नहीं करते।
क्यों कम होने लगते हैं बाल?
महिलाओं और पुरुषों दोनों को हेयर फॉल का सामना करना पड़ता है। मगर मेल पैटर्न बाल्डनेस पुरुषों में ज्यादा देखने को मिलता है। जिसमें माथा चौड़ा होने लगता है और हेयर लाइन पीछे और पीछे चली जाती है। कुछ लोगों में यह सिर के बीचोंबीच भी नजर आता है। पुरुषों में इसकी वजह टेस्टोस्टेरोन का “सक्रिय” प्रकार है, जिसे डायहाइड्रोटेस्टोस्टेरोन (DHT) कहा जाता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पर प्रकाशित शोध के अनुसार पुरुषों के एक हिस्से में एक खास तरह का जीन होता है, जो उनके बालों के रोम को डीएचटी के प्रति संवेदनशील बनाता है। हेयर ट्रीटमेंट में इस हॉर्मोन को रिड्यूस करने की कोशिश की जाती है, ताकि बालों का और झड़ना रोका जा सके।


इन दिनों जब युवाओं में कई कारणों से बालों का झड़ना और कम होना बढ़ रहा है, तब हेयर ट्रांसप्लांट ने उन लोगों में उम्मीद जगाई है जो सिर पर घने बाल पसंद करते हैं। मगर कानपुर की हालिया घटना ने इस उपचार पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है कानपुर हेयर ट्रांसप्लांट केस
कानपुर के विनीत दुबे और मयंक कटियार की मौत ने हेयर ट्रांसप्लांट की पूरी इंडस्ट्री में खलबली मचा दी है। मयंक कटियार ने 18 नवंबर 2024 को हेयर ट्रांसप्लांट करवाया था। इसके अगले ही दिन 19 नवंबर को उनकी मौत हो गई। इसी तरह विनीत दुबे ने 13 मार्च 2025 को हेयर ट्रांसप्लांट करवाया था और दो दिन बाद 15 मार्च को उनकी भी मौत हो गई। इन दोनों ने कानपुर के एक ही क्लिनिक से हेयर ट्रांसप्लांट करवाया था।

क्या बालों का उपचार किसी को मौत के मुंह में भी धकेल सकता है? यह एक बड़ा सवाल है, जो ज्यादातर लोगाें को परेशान कर रहा है। इसलिए इस मुद्दे पर विस्तार से बात करने के लिए हमने जाने-माने हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. गजानन जाधव से बात की। डॉ गजानन पुणे के एक प्रतिष्ठित हेयर ट्रांसप्लांट सर्जन, त्वचा रोग विशेषज्ञ, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट और क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ हैं। उनके पास मेडिसिन का 26 वर्षों का और हेयर ट्रांसप्लांट के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव है।
हेल्थ शॉट्स के विशेष स्तंभ सेहत-संवाद में आज उनसे हेयर ट्रांसप्लांट के बारे में बात करते हैं।
Q 1. सबसे पहला और सीधा सवाल, क्या हेयर ट्रांसप्लांट किसी की मृत्यु का कारण बन सकता है?
डॉ गजानन : अब तक हुई हेयर ट्रांसप्लांट सर्जरी में कुल सात से आठ लोगों की इससे मृत्यु हुई है। मगर इनका प्रत्यक्ष कारण हेयर ट्रांसप्लांट ही रहा हो, इस पर संशय है। अभी तक यह कहा जा सकता है कि हेयर ट्रांसप्लांटेशन एक सेफ सर्जरी है।
यह स्किन की सर्जरी है, और स्किन बॉडी को कवर करने वाली एक सुपर्फिशल लेयर होती है। यह आपके शरीर की सुरक्षा भी करती है। मगर इसमें ऐसा कोई ऑर्गन नहीं होता, जो प्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति की जिंदगी चलाने के लिए जिम्मेदार हो।
हमें यह समझना होगा कि हमारी स्किन एक इसेंशियल ऑर्गन नहीं है। यह किडनी, लिवर, ब्रेन, हार्ट या फेफड़ों की सर्जनी जितनी जोखिम भरी भी नहीं है। यह किसी महिला के लिए सी-सेक्शन सर्जरी जितनी जोखिम कारक भी नहीं है। हेयर ट्रांसप्लांट एक अलग तरह की सर्जरी है। जिसमें न तो ब्लीडिंग होती है और न ही कोई मेजर ऑर्गन डैमेज होता है। अगर कोई जोखिम है, तो वह एनेस्थीसिया से संबंधित हो सकता है। इसलिए इसके इस्तेमाल पर बहुत सावधानी बरतने की जरूरत होती है।
इस सर्जरी के दोरान आपको कम से कम 6-12 घंटे तक क्लिनिक में रहना होता है। इन 6-12 घंटों तक क्लिनिक में यह सर्जरी चलती है। इतनी लंबी अवधि के लिए एनेस्थीसिया का सही से इस्तेमाल बहुत जरूरी है। किस स्थिति में एनेस्थीसिया की कितनी डोज देनी है, इसका ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी है। इसमें जरा सी भी लापरवाही बड़े जोखिम का कारण बन सकती है। एनेस्थीसिया ज्यादा होने पर एनाफिलेक्सिस रिएक्शन (anaphylaxis reaction) हो सकता है, जिससे पेशेंट की जान भी जा सकती है।
Q 2. इसके सामान्य जोखिम कारक क्या है, जिन पर व्यक्ति और उनके परिवार को ध्यान देना चाहिए?
डॉ गजानन : सबसे जरूरी यह देखना है कि हेयर ट्रांसप्लांट की वास्तव में जरूरत है या नहीं। अगर आपको गंजापन नहीं है और हेयर फॉल की सामान्य समस्या है, तो आपको दवा और लाइफस्टाइल में बदलाव से आराम मिल सकता है। अगर गंजापन दो से तीन फिंगर से ज्यादा होने लगा है, तब हम ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं। इसके बाद सही डॉक्टर और सही क्लिनिक का चुनाव करना भी एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
डॉक्टर जिसने एमबीबीएस, डर्मेटोलॉजिस्ट और प्लास्टिक सर्जरी में विशेषज्ञता हासिल की हो, वही योग्य डॉक्टर होगा। सर्जरी में उनका कितना अनुभव है, यह देखना भी जरूरी है।
आजकल कुछ मैक्सिलोफेशल सर्जन भी इस तरह की सर्जरी करने लगे हैं, जो मूलत: डेंटिस्ट होते हैं। मगर प्लास्टिक और मैक्सिलोफेशल में विशेषज्ञता हासिल कर लेते हैं। मगर यह सिर्फ डिग्री का ही मामला नहीं है। यह एक तरह की आर्ट है। आपको यह देखना है कि आर्टिफिशियल चीज एक नेचुरल लुक कैसे दे।
तीसरी सबसे जरूरी चीज है अनुभव। यह आपको संभावित जोखिमों के बारे में सावधान रहने के लिए तैयार करता है।

Q 3. मृत्यु के अलावा और कौन से जोखिम हैं, जिनका हेयर ट्रांसप्लांट के बाद सामना करना पड़ सकता है?
डॉ गजानन : अमूमन एनेस्थीसिया के कारण चेहरे और माथे पर सूजन की समस्या देखी गई है, जो दस दिनों के भीतर अपने आप चली जाती है। यह सूजन एक तरह का भारीपन लिए होती है। मगर इसमें दर्द नहीं होता। अगर मरीज को दर्द हो रहा है, तो उस पर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए। यानी कहीं न कहीं कोई गलती हुई है।
इसके अलावा अगर बॉडी में रैश होने लगे हैं, चक्कर आ रहे हैं, बाेलने या सांस लेने में परेशानी हो रही है, उल्टी होने लगे तो भी आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह सर्जरी में गड़बड़ी के संकेत हैं और लापरवाही करने पर खतरनाक हो सकते हैं।
सेकेंडरी काम्प्लिकेशन्स दो से तीन दिन के बाद होती हैं। जिसे डिलेड हीलिंग कहा जाता है। कभी-कभी डॉक्टर पेशेंट को संतुष्ट करने और अच्छे रिजल्ट देने के लिए हाई डेंसिटी में काम करते हैं। जिससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। इसलिए सर्जरी के बार फाॅलोअप बहुत जरूरी है।
अगर अच्छा डॉक्टर आपसे हर दिन की फोटो मंगवाता है, आपसे नियमित बात करता है और फॉलोअप देता है। जिससे किसी भी तरह की जटिलता को तुरंत समझा और ठीक किया जा सके।
हेयर ट्रांसप्लांट के कुछ लॉन्ग टर्म साइड इफेक्ट भी हैं। इनमें पिंपल आना, सिर में भारीपन महसूस होना, बहुत ज्यादा खुजली होना और रुखापन शामिल है। मगर इन सभी का उपचार किया जा सकता है।
Q 4. क्या किसी खास मेडिकल कंडीशन वाले व्यक्ति को हेयर ट्रांसप्लांट के लिए विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है?
डॉ गजानन : यह एक जरूरी सवाल है। अगर आपको डायबिटीज है, बैक्टीरियल इंफेक्शन है, फंगल इंफेक्शन है, हाइपरटेंशन, हार्ट डिजीज है तो आपको हेयर ट्रांसप्लांट (hair transplant) से बचना चाहिए।
Q 5. हेयर ट्रांसप्लांट करवाने से पहले एक व्यक्ति को अपने एक्सपर्ट से क्या–क्या पूछना चाहिए ?
डॉ गजानन : यदि आप पहले से कोई दवाई ले रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेकर यह सुनिश्चित करें कि वह दवा ट्रांसप्लांट के समय चालू रखनी है या बंद करनी है। उदाहरण के तौर पर, यदि आप हार्ट पेशेंट हैं और प्लेटलेट्स कम करने वाली दवाएं (जैसे कि ब्लड थिनर) ले रहे हैं, तो उन्हें बंद करना पड़ता है। वहीं, बीपी और डायबिटीज की दवाएं आमतौर पर जारी रखी जाती हैं। यह सब आपके डॉक्टर की सलाह से तय करना चाहिए।
इसके अलावा, स्मोकिंग और अल्कोहल का सेवन ट्रांसप्लांट से सात दिन पहले और सात दिन बाद बंद करना ज़रूरी होता है। अगर आप 10 से 15 दिन इनसे दूर रह सकते हैं, तो और भी अच्छे रिज़ल्ट मिलते हैं।
अगर आप मिनॉक्सिडिल लगा रहे हैं, तो उसे ट्रांसप्लांट (hair transplant) से कम से कम सात दिन पहले बंद कर देना चाहिए। फिर आप उसे 10 से 15 दिन बाद दोबारा शुरू कर सकते हैं। मेरी सलाह है कि इसे 15 दिन बाद ही दोबारा शुरू करें।
अगर आप ग्रीन टी या कोई और ऐसी चीज़ ले रहे हैं जिससे खून पतला होता है, तो उसे भी बंद करना ज़रूरी है। ट्रांसप्लांट से 2-3 दिन पहले एक्सरसाइज भी बंद कर दीजिए। साथ ही, एक महीना पहले से एंटी-डैंड्रफ शैम्पू का उपयोग शुरू कर दीजिए ताकि स्किन साफ और हेल्दी रहे और डैंड्रफ की समस्या न हो। इससे हेयर ट्रांसप्लांट का रिजल्ट बेहतर आता है।
यदि ट्रांसप्लांट FUT (Follicular Unit Transplantation) तकनीक से किया जा रहा है, तो सिर की स्किन पर हल्के मसाज करने चाहिए। इससे स्किन का लचीलापन (flexibility) बढ़ता है और जब पीछे के हिस्से में टांके लगते हैं, तो वह आसानी से ठीक हो जाते हैं।
Q 6. महिलाओं और पुरुषों में हेयर ट्रांसप्लांट के आंकड़े अभी कैसे हैं? कौन ज्यादा करवाते हैं? और किसके लिए जोखिम कारक ज्यादा हैं ?
जब मैं पुरुषों और महिलाओं में हेयर ट्रांसप्लांटेशन (hair transplant) की बात करता हूं, तो सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि जो पुरुष होते हैं, उनमें गंजापन ज्यादा आम होता है। पुरुषों में आमतौर पर एंड्रोजेनेटिक एलोपेशिया (Male Pattern Baldness) देखने को मिलता है, जिसमें बाल झड़ते-झड़ते पूरा सिर खाली हो जाता है।

वहीं अगर महिलाओं की बात करें, तो उनमें गंजापन उस तरह से नहीं होता जैसा कि पुरुषों में दिखता है। महिलाओं में बालों की डेंसिटी यानी घनत्व कम हो सकता है, लेकिन सिर पूरी तरह गंजा होना बहुत ही रेयर होता है। इसलिए महिलाओं में बाल पतले दिख सकते हैं, लेकिन गंजापन (bald patches) पुरुषों की तुलना में बहुत कम दिखाई देता है।
महिलाओं में हेयर ट्रांसप्लांटेशन कराने की संख्या बहुत ही कम है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव और प्रैक्टिस यही कहता है कि ट्रांसप्लांट कराने वालों में महिलाओं का अनुपात मात्र 1 प्रतिशत होता है।
मैंने अब तक जितने भी हेयर ट्रांसप्लांट किए हैं, उनमें लगभग 93 प्रतिशत केस पुरुषों के होते हैं, और केवल 1 प्रतिशत केस महिलाओं के। यानी महिलाओं में हेयर ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत या मांग बहुत ही सीमित है।
हेयर ट्रांसप्लांटेशन (hair transplant risk) में जोखिम पुरुष और महिला – दोनों के लिए समान होता है, क्योंकि प्रक्रिया दोनों के लिए एक जैसी ही होती है। यह नहीं कहा जा सकता कि पुरुषों में ज्यादा रिस्क होता है या महिलाओं में।
सर्जरी का तरीका, इस्तेमाल होने वाली तकनीक, एनेस्थीसिया और पोस्ट-ऑपरेटिव केयर – ये सभी चीजें दोनों के केस में एक जैसी रहती हैं। इसीलिए, जोखिम का स्तर भी दोनों के लिए बराबर होता है।
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