ट्रेन के टॉयलेट में पूरा परिवार, 36 घंटे का सफर… बोले- गंदगी और बदबू के ब… – भारत संपर्क
बिहार जा रही ट्रेन में बैठा परिवार.
छठ पूजा से पहले बिहार लौट रहे प्रवासी मजदूरों का हाल इस बार भी बेहाल है. पंजाब और हरियाणा से बिहार जाने वाली लगभग हर ट्रेन खचाखच भरी हुई हैं. हालत यह है कि सैकड़ों लोग अब डिब्बों के टॉयलेट में बैठकर सफर कर रहे हैं. एक-एक टॉयलेट में 10 से 12 लोग किसी तरह ठूंसे हुए हैं. कुछ खड़े हैं, कुछ फर्श पर बैठकर अपने घर पहुंचने की उम्मीद में सफर कर रहे हैं.
खिड़की और दरवाजों पर लटके लोग
अमृतसर से बिहार के सहरसा जा रही एक ट्रेन में बुधवार सुबह का नजारा दिल दहला देने वाला था. डिब्बों में तिल भर जगह नहीं थी. खिड़कियों और दरवाजों पर लोग लटके हुए थे, जबकि कई परिवारों ने मजबूरी में टॉयलेट को ही अपनी सीट बना लिया. बिहार के सहरसा जिले का एक नौ लोगों का परिवार, जिसमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं. अमृतसर स्टेशन से सुबह आठ बजे ट्रेन में सवार हुआ. भीड़ इतनी थी कि सीट तो दूर, खड़े होने की जगह भी नहीं मिली. आखिरकार पूरे परिवार को टॉयलेट में ही बैठना पड़ा.
रिजर्वेशन नहीं मिला, फिर भी जा रहे
36 घंटे के इस लंबे सफर में यह परिवार गंदगी और बदबू के बीच रहकर घर पहुंचेगा. परिवार के मुखिया ने बताया कि, हमने महीनों पहले टिकट कराने की कोशिश की थी, लेकिन रिजर्वेशन नहीं मिला. मजबूरी में अब टॉयलेट में बैठकर ही जाना पड़ रहा है. छठ का पर्व है, घर जाना जरूरी है. उनकी पत्नी ने रोते हुए कहा, छोटे बच्चे हैं, बुजुर्ग है. ये सफर सजा जैसा लग रहा है, लेकिन छठ तो छठी मैया का पर्व है, कैसे न जाएं?
बिहार जाने वाली ट्रेनों का यही हाल
पंजाब, हरियाणा और दिल्ली से बिहार की तरफ जाने वाली सभी ट्रेनों में यही हाल है. भीड़ इस कदर है कि स्टेशन पर प्रवेश करने तक में लोगों को धक्का-मुक्की झेलनी पड़ रही है. कई मजदूर खुले शब्दों में सरकार से नाराजगी जताते दिखे. एक युवक ने कहा कि, अगर बिहार में रोजगार मिलता तो हमें पंजाब-हरियाणा नहीं आना पड़ता. अब छठ पर घर जाना है, ट्रेन में जगह नहीं, फिर भी जाना पड़ेगा.
वोटर लिस्ट से नाम कटने का डर
कई यात्रियों ने यह भी कहा कि इस बार छठ पूजा के साथ-साथ बिहार चुनाव की हलचल भी एक वजह है. लोगों को डर है कि अगर वे घर नहीं पहुंचे तो कहीं वोटर लिस्ट से नाम न कट जाए. रेलवे सूत्रों के अनुसार, बिहार जाने वाली सभी प्रमुख ट्रेनों में रिजर्वेशन दो महीने पहले ही फुल हो गया था. अतिरिक्त ट्रेनें चलाने की घोषणा तो की गई हैं, लेकिन इतनी बड़ी भीड़ के आगे वे भी नाकाफी साबित हो रही हैं.
