World Heart Day 2025: बच्चों में भी बढ़ रही है हार्ट से जुड़ी समस्या, एक्सपर्ट…


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आज के समय में बिगड़ते लाइफस्टाइल और खानपान के कारण हार्ट से जुड़ी समस्याएं काफी देखने को मिल रही हैं. कई हार्ट अटैक की खबरें सुनने में आती रहती हैं. हाल ही में कुछ समय पहले महाराष्ट्र में कोल्हापुर जिले में एक दस साल के बच्चे कीहार्ट अटैक से मौत की हो गई. ऐसे में देखा जाए तो यह समस्या न सिर्फ बड़ों बल्कि बच्चों में भी काफी देखने में मिल रही है. पहले जहां हाई बीपी और डायबिटीज जैसी समस्या बुजुर्गों में देखने को मिलती थी, वहीं आज के समय में बच्चों और युवाओं में भी गंभीर समस्या देखने को मिल रही हैं.
बच्चे को हार्ट से जुड़ी समस्या से बचाने के लिए कुछ खास बातों का ख्याल रखना जरूरी होता है. लेकिन बच्चों की जगह पेरेंट्स को इसमें काफी अवेयर रहना होगा. ताकि बच्चे को आगे चलकर या इस समय हार्ट से जुड़ी किसी तरह की समस्या न हो. आइए जानते हैं इसके बारे में एक्सपर्ट की राय
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
धर्मशिला नारायण अस्पताल प्रीडिक्टर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर विकास गुप्ता ने बताया कि बच्चों में जन्म से बच्चों में हार्ट की बीमारियां हैं, वो भारत में 1000 में से 8 या बच्चों को होती है जिसमें हार्ट में होल या वॉल टाइट होना शामिल है. इसका मुख्य कारण स्पष्ट नहीं है. लेकिन इसके लिए जेनेटिक और एंनवाइयमेंटल फेक्टर माने जाते हैं. इसमें से कुछ समस्या बहुत क्रिटिकल होती है, जिसमें तुरंत इलाज कराने की जरूरत होती है. अगर बच्चा अच्छे से दूध नहीं पी रहा है, उनका वजन नहीं बढ़ रहा या उसे बार-बार निमोनिया हो रहा है को फिर एक्सपर्ट से एक बार सलाह कर सकते हैं. इसके अलावा कुछ मामलों में अगर परिवार में किसी को 40 या 45 की उम्र में हार्ट अटैक आया हो, तो ये जेनेटिक हो सकती है. ऐसे में बच्चों के रेगुलर हेल्थ चेकअप करवाते रहना चाहिए.

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प्रेग्नेंसी के समय ध्यान रखें
अगर प्रेग्नेंसी के समय मां को शुगर, ब्लड प्रेशर या थायराइड जैसी कुछ समस्या है, तो बच्चे को आगे चलकर यह परेशानी हो सकती है. ऐसे में डॉक्टर से चेकअप करा सही इलाज की जरूरी है. न्यूट्रिशन डेफिसिएंसी से भी बच्चे की सेहत पर असर पड़ सकता है. इसलिए इसके बारे में एक्सपर्ट से सलाह कर सकते हैं.
सही डाइट और लाइफस्टाइल
सबसे जरूरी हो बच्चे को जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा नमक और चीनी खाने से परहेज करवाएं. इसके अलावा हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और ड्राई फ्रूट्स को उनकी डाइट का हिस्सा बनाएं, ताकि उन्हें सभी तरह के पोषक तत्व मिलते रहें. पेरेंट्स भी अपनी डाइट हेल्दी रखें क्योंकि जैसा वह देखेंगे वैसा की सीखेंगे.
एक्सरसाइज की आदत
बच्चों को खेलने-कूदने के लिए प्रेरित करें. आज के समय में ज्यादातर बच्चे मोबाइल या टीवी में बिजी रहते हैं, लेकिन इससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है. इसलिए बच्चों को रोजाना 30 मिनट या फिर 1 घंटे की फिजिकल एक्टिविटी जरूरी करवाएं. कोई स्पॉट्स क्लासेस भी ज्वाइन करवा सकते हैं. खेल के दौरान अगर बच्चे को सांस फूलना या कोई दूसरी तरह की समस्या होती है, तो इसके बारे में भी एक्सपर्ट से सलाह करना जरूरी है.
संकेतों पर ध्यान दें
अगर बच्चे के बरताव या फिर सेहत में बदलाव नजर आ रहे हैं, तो इसके बारे में एक्सपर्ट से सलाह जरूर करें. क्योंकि किसी समस्या को नजरअंदाज करने से भी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए शरीर में दिख रहें संकेतों को समझें.