इस रक्षा बंधन पर भारतीय सेना को छत्तीसगढ़ से भेजीं गईं 12…- भारत संपर्क

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इस रक्षा बंधन पर भारतीय सेना को छत्तीसगढ़ से भेजीं गईं 12…- भारत संपर्क

दिल्ली/बिलासपुर।
रक्षाबंधन 2025 पर छत्तीसगढ़ ने एक बार फिर अपनी राष्ट्रभक्ति और सैनिकों के प्रति सम्मान का अद्भुत उदाहरण पेश किया है। पूर्व सैनिक संगठन “सिपाही” (पूर्व सैनिक महासभा) द्वारा चलाए जा रहे “ऑपरेशन सिपाही रक्षासूत्र” अभियान के तहत इस वर्ष 12 लाख 21 हजार सिपाही रक्षासूत्र भारतीय सेना को समर्पित किए गए। विशेष बात यह रही कि इन सभी राखियों को छत्तीसगढ़ की मिट्टी से तिलक कर सेना के वीर जवानों तक पहुंचाया गया।

सेना मुख्यालय में हुआ सम्मान समारोह

अभियान के तहत 3 अगस्त 2025 को सिपाही रक्षासूत्र लेकर छत्तीसगढ़ से दिल्ली पहुंचे दल का सेना मुख्यालय में भव्य स्वागत किया गया। स्वागत की जिम्मेदारी 18 ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट को दी गई, जो कारगिल युद्ध में टाइगर हिल पर विजय का गौरव प्राप्त कर चुकी है। इसी युद्ध में कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। वे वर्तमान में पूर्व सैनिक संगठन “सिपाही” के प्रमुख संरक्षक हैं।

इसके बाद 6 अगस्त 2025 को रक्षा मंत्रालय के साउथ ब्लॉक स्थित सेना भवन में आयोजित विशेष कार्यक्रम में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और भारतीय सेना के उप-सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र पाल सिंह ने ससम्मान इन 12 लाख 21 हजार रक्षासूत्रों को ग्रहण किया। इस अवसर पर रक्षा प्रमुख (CDS) जनरल अनिल चौहान और थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी सहित सेना के कई शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे।

रक्षा राज्य मंत्री और उप-सेनाध्यक्ष ने आश्वासन दिया कि ये सभी रक्षासूत्र रक्षाबंधन तक सेना की विभिन्न इकाइयों में तैनात जवानों तक पहुंचा दिए जाएंगे।

तीन साल में 28 लाख सैनिकों तक पहुंचा ‘सिपाही रक्षासूत्र’

यह अभियान वर्ष 2023 से लगातार जारी है और अब तक 27 लाख 92 हजार रक्षासूत्र भारतीय सैनिकों को समर्पित किए जा चुके हैं।

2023 में – 6.71 लाख रक्षासूत्र

2024 में – 9 लाख रक्षासूत्र

2025 में – 12 लाख 21 हजार रक्षासूत्र

इस वर्ष का संग्रहण 20 जुलाई को रायपुर से शुरू हुआ और छतरपुर (म.प्र.), ग्वालियर (म.प्र.), धौलपुर (राजस्थान) होते हुए दिल्ली पहुंचा। अभियान में छत्तीसगढ़ से ही 11 लाख 80 हजार रक्षासूत्र एकत्र किए गए, जबकि शेष अन्य राज्यों से आए।

बिना बाहरी अनुदान के चला अभियान

अभियान के लिए किसी भी संस्था या व्यक्ति से सीधा आर्थिक अनुदान नहीं लिया गया।

20% सहयोग भोजन, डीजल और रहने की व्यवस्था के रूप में कुछ संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने किया।

10% खर्च पूर्व सैनिक एवं कोरबा जिला अध्यक्ष दीपक कुमार सिंह ने वहन किया।

70% खर्च संगठन के अध्यक्ष महेन्द्र प्रताप सिंह राणा ने अपनी पेंशन से किया।

व्यापक सामाजिक सहभागिता

अभियान में सिपाही शक्ति (सैन्य मातृशक्ति), पूर्व सैनिक महासभा के 16 संगठन, विभिन्न सामाजिक एवं राष्ट्रवादी संगठन, भाजपा सैन्य प्रकोष्ठ, भाजपा महिला मोर्चा, शैक्षणिक संस्थान और हजारों नागरिक जुड़े। इसे छत्तीसगढ़ में एक त्यौहार और विश्व में सेना के लिए सबसे बड़े अभियान के रूप में देखा जा रहा है।

अभियान का संदेश

“मिट्टी को मां कहते हैं”—इस संदेश के साथ, रक्षासूत्र में एक चुटकी मिट्टी (तिलक हेतु) और राखी के साथ भेजा गया पत्र, जिसमें भेजने वाले का नाम-पता लिखा होता है, सैनिकों तक पहुंचाया जाता है। यह सैनिकों के प्रति सम्मान और नागरिकों में देशभक्ति की भावना जगाने का माध्यम है।

छत्तीसगढ़ का गौरव

अभियान आयोजकों ने कहा—“हमने छत्तीसगढ़ का नाम परम राष्ट्रभक्तों में शामिल करा दिया है। छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया।”


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