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अतिथि व्याख्याताओं के भरोसे महाविद्यालयों की पढ़ाई, 268 पद स्वीकृत, 149 पदों पर ही प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक पदस्थ

कोरबा। अटल बिहारी वाजपेयी संबद्ध जिले में 15 सरकारी महाविद्यालय संचालित हैं। इन महाविद्यालयों में प्राध्यापकों के लगभग 268 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 149 पदों पर ही प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक पदस्थ हैं। लेकिन 119 प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापकों के पद रिक्त हैं। इस कारण डिग्री संकायों के विद्यार्थी पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं। शासकीय पीजी कॉलेज की बात करें तो सेटअप 48 प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक की है। हाल ही में प्रमोशन होने के बाद प्राध्यापक की संख्या में इजाफा हुआ है। वहीं 30 सहायक प्राध्यापकों की संख्या एक बार फिर कम हो गई है। अधिकांश महाविद्यालयों में कक्षाएं अतिथि व्याख्याताओं के भरोसे ही संचालित होती है। सरकारी महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों के अधिकांश पद रिक्त हैं। जिनके विरुद्ध शासन स्तर से महाविद्यालय प्रबंधन और कॉलेज स्तर पर जनभागीदारी से शिक्षकों की भर्ती की जाती है। मौजूदा सत्र के लिए भर्ती अभी नहीं की जा सकी है। जिसके कारण उच्च शिक्षा विभाग के एकेडमिक कैलेंडर का पालन नहीं हो पा रहा है। एक जुलाई से नियमित कक्षा शुरू करने की घोषणा जरूर कर दी गई है, लेकिन शिक्षकों की कमी की वजह से अब तक कक्षाओं का नियमित संचालन नहीं हो पा रहा है।अतिथि व्याख्याताओं और जन भागीदारी से शिक्षकों की कॉलेज में नियुक्ति के लिए महाविद्यालय प्रबंधन शासन स्तर से स्वीकृति मिलने का इंतजार कर रहे हैं। अतिथि व्याख्याताओं की पॉलिसी के अनुसार पिछले वर्षों में मापदंडों पर खरा उतरने वाले अतिथि व्याख्याताओं को वापस बुलाने का नियम है, लेकिन मापदंडों को पूरा करने वाले शिक्षक मौजूद न हो तब नए शिक्षकों को भी रखा जा सकता है। वर्तमान परिवेश में उच्च शिक्षा विभाग से महाविद्यालय प्रबंधन को कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है जिसके कारण भर्ती लटकी हुई है। कोरबा जिले में कुल मिलाकर 15 सरकारी महाविद्यालय संचालित हैं। शहर के महाविद्यालय को छोड़ दें, तो अधिकांश स्थानों पर सहायक प्राध्यापकों के स्थान बड़े पैमाने पर रिक्त हैं। जहां सहायक प्राध्यापक सालों से जमे हुए हैं। वहां भी ज्यादातर कक्षाएं अतिथि और स्ववित्तीय शिक्षक ही लेते हैं। कॉलेज में अध्यापन करने वाले छात्रों के अध्यापन का दारोमदार इन्हीं अस्थाई शिक्षकों के कंधों पर रहता है। इनमें से कई तो नेट,सेट अर्हताधारी भी हैं। हालांकि ऐसे नियमित सहायक प्राध्यापक भी हैं जो कक्षाएं लेते हैं। लेकिन उनकी संख्या कम है। ऐसे में अस्थाई शिक्षकों की भर्ती नहीं होने से महाविद्यालय में अध्यापन का कार्य वर्तमान परिवेश में रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।
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महाविद्यालय प्रबंधन कर रहे आदेश का इंतजार
शासन स्तर से अतिथि व्याख्याताओं को वेतन प्रदान किया जाता है। जबकि जनभागीदारी से कॉलेज में नियुक्त शिक्षकों का वेतन कॉलेज प्रबंधन द्वारा प्रदान किया जाता है। इन्हें स्ववित्तीय शिक्षक कहा जाता है। अब तक स्ववित्तीय शिक्षकों की भर्ती के संबंध में कोई स्पष्ट पॉलिसी नहीं थी। कॉलेज प्रबंधन अतिथि व्याख्याताओं भर्ती नियमों का पालन करते हुए जरूरत के अनुसार स्ववित्तीय शिक्षकों की भर्ती कर लेते थे। लेकिन जब कभी विवाद या ऐसे शिक्षकों को अधिकार देने की बात आती। तब प्रबंधन अपना हाथ खींच लेते थे। शासन स्तर से भी समस्याओं का समाधान नहीं हो पता था। इन परिस्थितियों क मद्देनजर शासन ने पिछले वर्ष स्ववित्तीय शिक्षकों की भर्ती के लिए एक पृथक पॉलिसी का ड्राफ्ट जारी किया था। जिसे शैक्षणिक सत्र 2025-26 में लागू किए जाने का उल्लेख ड्राफ्ट में ही किया गया था। महाविद्यालय प्रबंधन इस आशय के आदेश का भी इंतजार कर रहे हैं।

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