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जिले के एक ही परिसर में संचालित 391 प्राइमरी स्कूलों को मिडिल स्कूल में किया गया मर्ज, युक्तियुक्तकरण को लेकर शिक्षकों में बना हुआ है असंतोष
कोरबा। प्रदेश में संचालित शासकीय शालाओं में से ई संवर्ग के 5849 तथा टी संवर्ग के 4614 कुल 10463 शालाओं का युक्तियुक्तकरण किया गया है। इससे कोरबा जिला के 391 स्कूल प्रभावित हुए हैं। एक ही परिसर में संचालित शासकीय प्राथमिक स्कूलों को मिडिल स्कूल में मर्ज किया गया है। संचालक लोक शिक्षण छत्तीसगढ़ ने जिले के सम्मिलित शालाओं की सूची संलग्न कर आवश्यक कार्यवाही के निर्देशित किया। युक्तियुक्तकरण को लेकर शिक्षकों में असंतोष हैं, वहीं कई संगठन के नेताओं का कहना है कि इससे स्कूलों की संख्या कम हो गई है। उनका मानना है स्कूलों की संख्या घटने से शिक्षकों की नई भर्ती के द्वार भी बंद हो गए हैं। कोरबा जिले में एक ही परिसर में संचालित शालाओं के समायोजन के बाद प्राथमिक शाला के 287 सहायक शिक्षक और 14 प्रधान पाठक तो मिडिल स्कूल के 147 शिक्षक और 4 प्रधान पाठक अतिशेष थे। जबकि हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में अध्यापन कराने वाले 75 व्याख्याता अधिशेष की श्रेणी में थे। इन सभी को काउंसलिंग के आधार पर नई पदस्थापना दे दी गई है। हालांकि शिक्षक अब भी असंतुष्ट हैं। उनके संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। कुछ शिक्षकों ने काउंसलिंग के बाद हाई कोर्ट का भी रुख किया है।दरअसल युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के आने के बाद साल 2008 में जो सेटअप शिक्षकों की पदस्थापना के लिए लागू किया गया था। उसमें वर्तमान में बदलाव किया गया है। 2008 के सेटअप के अनुसार किसी भी प्राइमरी स्कूल में 1 प्रधान पाठक और 2 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। इसी तरह मिडिल स्कूल में 1 प्रधान पाठक और 4 शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। स्कूलों के सेटअप में से वर्तमान में अपनाई गई युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में एक एक शिक्षक को कम कर दिया गया है। इसका मतलब यह हुआ प्राथमिक शाला में अब एक प्रधान पाठक और 1 सहायक शिक्षक, तो मिडिल स्कूल में अब 1 प्रधान पाठक और 3 शिक्षक ही पदस्थ रह सकते हैं। इससे अधिक की संख्या में यदि शिक्षक कहीं पदस्थ हैं तो उन्हें अतिशेष माना जाएगा और किसी दूसरे रिक्त पद वाले स्कूलों में भेजा जाएगा। जिले में यह प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। अतिशेष शिक्षकों को वनांचल और दूरस्थ स्कूलों में भेजा गया है। जिले में अतिशेष शिक्षकों को नई पदस्थापना देने के बाद भी 90 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं। जहां केवल एक शिक्षक हैं। जिसका मतलब यह हुआ कि प्राइमरी लेवल की 5 कक्षाओं के लिए 90 स्कूलों में केवल एक शिक्षक की मौजूद हैं। जो 5 कक्षा को अकेले संभालेंगे। रिक्त पदों की तुलना में अतिशेष शिक्षकों की संख्या काफी कम है। इसलिए 90 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल 1 शिक्षक की ही पदस्थापना हो सकी है। 90 स्कूल एकल शिक्षकीय रह गए हैं।