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रेत खनन पर 4 माह की पाबंदी, अवैध कारोबार रोकना चुनौती, 15 अक्टूबर तक रेत का खनन पूर्णत: रहेगा प्रतिबंधित
कोरबा। वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही नदी-नालों से रेत का खनन बंद हो गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के तहत पूर्व की तरह इस साल भी 15 जून से 15 अक्टूबर तक जिले में रेत का खनन पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। इस अवधि में किसी भी स्थान पर खनन किया जाता है तो उसे अवैध माना जाएगा और खनन और परिवहन से जुड़ी गाडिय़ों पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी। इस अवधि में नदी-नालों से हो रहे रेत के अवैध खनन और परिवहन को रोकने की प्रशासन के पास बड़ी चुनौती होगी। कोरबा जिले में सरकारी और निजी कार्यों में हर साल बड़े पैमाने पर रेत का इस्तेमाल किया जा रहा है। चाहे छोटे-बड़े भवन का निर्माण हो या कांक्रीट की सडक़ों की ढलाई। हर जगह पर आजकल रेत का इस्तेमाल हो रहा है। इसकी आपूर्ति नदी-नालों से होती है। कोरबा शहर में रेत की मांग को पूरा करने के लिए हसदेव नदी से मुख्यत: रेत खनन किया जाता है। इसके लिए हसदेव नदी के तट पर चारपारा और भिलाईखुर्द में दो रेत घाट संचालित हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में अलग-अलग ग्राम पंचायतों में 18 रेत घाटों का संचालन खनिज विभाग की ओर से ग्राम पंचायतों के जरिए कराया जा रहा है। लेकिन वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही सभी जगहों पर रेत के खनन पर खनिज विभाग ने रोक लगा दिया है। इसके लिए विभाग की ओर से एक सूचना रेतघाट चलाने वाले सभी एजेंसियों को दी गई है। इसमें ग्राम पंचायतें प्रमुख हैं। इधर खनिज विभाग की टीम ने दो दिन में अवैध रेत परिवहन के 9 मामले में कार्रवाई की है। विभाग की ओर से बताया गया है कि जिन गाडिय़ों को पकड़ा गया है उसमें ट्रैक्टर के अलावा टीपर भी शामिल हैं।