गंगा में समाया 44 करोड़ का बांध, गावों में घुसा पानी, पलायन को मजबूर लोग……

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गंगा में समाया 44 करोड़ का बांध, गावों में घुसा पानी, पलायन को मजबूर लोग……
गंगा में समाया 44 करोड़ का बांध, गावों में घुसा पानी, पलायन को मजबूर लोग... भागलपुर में बाढ़ से हालात बेकाबू

भागलपुर में बाढ़ गांवों में घुसा पानी.

बिहार और बाढ़ का पुराना नाता है और इन दोनों के बीच अब नया अध्याय भ्रष्टाचार का जुड़ गया है. यहां जिनके ऊपर जिंदगी बचाने की जिम्मेदारी होती है, वह प्राकृतिक आपदा में खुद की जेब भरने का सुनहरा अवसर तलाश लेते हैं, जिसका परिणाम भयावह मंजर होता है. इसका ही उदाहरण भागलपुर के गोपालपुर में देखने को मिला. यहां 44 करोड़ की लागत से बना रिंग बांध पल भर में गंगा में समा गया, जिससे सैकड़ों परिवारों के ऊपर आफत के बादल मंडराने लगे. चारों ओर तबाही का मंजर दिखने लगा. इलाका पानी-पानी हो गया. जब तक लोग संभल पाते गंगा नदी कई गांवों में प्रवेश कर चुकी थी. आश्चर्य की बात तो यह है कि बाढ़ से पहले इस बांध की मरम्मत में 15 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे, जो पानी के साथ ही बह गया.

भागलपुर जिले के नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत गोपालपुर बिंद टोली रिंग बांध ध्वस्त होने के बाद स्तिथि भयावह है. सैकड़ों परिवारों का हाल बेहाल हो गया है. आधी आबादी ने पलायन कर लिया तो आधे रतजगा कर रहे हैं. लगभग 200 मीटर से अधिक बांध का हिस्सा टूट जाने से दर्जन भर से अधिक गांव में पानी घुस गया है. चारों ओर तबाही का मंजर नजर आता है. गांव के गांव जलमग्न हो गए हैं. बांध ध्वस्त होने के बाद नाव से कटाव स्थल पर टीवी9 डिजिटल की टीम पहुंची.

बांध की मरम्मत में 15 करोड़ रुपए खर्च

यहां बेहद ही भयावह तस्वीर देखने को मिली. कटाव का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. कई घर इसकी चपेट में आ गए हैं. बांध पर रह रहे विस्थापित बाढ़ पीड़ितों का लगातार पलायन जारी है. बता दें कि इस बांध को 2008 में 44 करोड़ की लागत से बनवाया गया था, ताकि जो दर्जनों गांव बाढ़ की त्रासदी झेलते हैं, उसका बचाव हो सके. इस वर्ष इस बांध पर कटाव रोधी कार्य में 15 करोड़ खर्च हुए, लेकिन बांध भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया.

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खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा

अभी गंगा का जलस्तर यहां खतरे के निशान से 58 सेंटीमीटर ऊपर है. आज जलस्तर थोड़ा घटा जरूर है, लेकिन अगले 48 घंटे में फिर जलस्तर बढ़ने की आशंका जताई गई है. लगातार जिलाधिकारी स्थिति का जायजा ले रहे हैं. दर्जन भर SDRF की टीम और NDRF की टीम को गंगा नदी में रेस्क्यू के लिए लगाया गया है. गांव को पूरी तरह से खाली करवाया जा रहा है. वहीं बांध पर बसे लोगों को भी जल्द से जल्द बांध खाली करने का निर्देश दे दिया गया है. बुधवार रात तक पूरी तरह बांध खाली करवाने का निर्देश दिया गया है.

जिलाधिकारी ने क्या कहा?

जिलाधिकारी ने अधिनस्त अधिकारियों के साथ SDRF की बोट से बांध की स्थिति और जलमग्न हुए गांव का जायजा लिया. साथ ही बांध पर री इस्टोरेशन कार्य कराने का निर्देश दिया. जिलाधिकारी नवल किशोर चौधरी ने कहा कि बांध पर जो लोग रह रहे हैं, उन्हें पहले से जमीन मुहैया कराई गई है. लोगों ने जबरन बांध को अतिक्रमण कर रखा है. हम कुछ लोगों के लिए लाखों लोगों को परेशानी में नहीं डाल सकते हैं, जहां कट हुआ है, लगातार री स्टोरेशन का कार्य चल रहा है.

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बांध के ध्वस्त होने से उठ रहे सवाल

हालांकि इस बांध के ध्वस्त होने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिरकार 44 करोड़ की लागत से बना रिंग बांध गंगा का घटता जलस्तर तक क्यों नहीं झेल पाया? 15 करोड़ मरम्मती पर खर्च हुआ, वह इतनी आसानी से कैसे बह गया? कई गांव में पानी फैला, जिससे आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त हुआ, इसका जिम्मेवार कौन है? दर्जनों मकान ध्वस्त हुए, उसकी भरपाई कौन करेगा? बांध का बड़ा हिस्सा ध्वस्त हुआ, क्या लापरवाह अफसर और इंजीनियर पर कार्रवाई होगी? अगर यह बांध रात के समय ध्वस्त होता तो जान-माल का बड़ा नुकसान होने की आशंका थी, उसका जिम्मेदार कौन होता? आखिर कब तक इस रिंग बांध का दोबारा से ठोस तरीके से निर्माण करवाया जाएगा?

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