नगर निगम में 10 साल में घट गया 6.70 प्रतिशत मतदान, वर्ष 2014…- भारत संपर्क

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नगर निगम में 10 साल में घट गया 6.70 प्रतिशत मतदान, वर्ष 2014 में था 69.13, 2019 में 65.75 और इस बार 61.26 प्रतिशत रहा वोटिंग प्रतिशत

कोरबा। जिला प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार नगर निगम के 67 वार्डों में 61.26 फीसदी मतदान हुआ है। कुल मतदाता में से 1 लाख 63 हजार 684 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इसमें पुरुष मतदाता की संख्या 82 हजार 306 और महिला मतदाता की संख्या 81 हजार 377 थी। थर्ड जेंडर के एक ही वोटर ने अपना मत दिया। मतदान के दौरान प्रशासन की ओर से केंद्रों पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई थी। केंद्रों पर एक महिला और एक पुरुष सिपाही को तैनात किया गया था। इसके अलावा पुलिस की पेट्रोलिंग पार्टी भी पोलिंग पर नजर रख रही थी।नगरीय निकाय के चुनाव में मतदान के प्रतिशत के पिछले 15 साल के आंकड़ो में नजर डालें तो वर्ष 2009 में कोरबा नगर पालिका निगम के वार्डों में 60.98 प्रतिशत मतदान हुआ। पांच साल बाद वर्ष 2014 में आंकड़ा बढ़ कर 69.13 प्रतिशत जा पहुंचा। तब कांग्रेस से रेणु अग्रवाल व भाजपा से हरिकांति दुबे मैदान में थे। उस वक्त भी कोरबा सीट महिला सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित किया गया। उसके बाद हुए दो चुनाव में लगातार मतदान प्रतिशत का गिरता जा रहा। वर्ष 2019 में 65.75 प्रतिशत रहा, जो उसके पहले के चुनाव के मुकाबले 3.37 प्रतिशत कम रहा। अभी हुए वर्ष 2025 के चुनाव में मतदान का प्रतिशत गिर कर 61.26 पहुंच गया, यह गिरावट पिछले बार से 3.33 प्रतिशत रहा। यानी 10 साल में 6.70 प्रतिशत मतदान घट गया। इस बार महापौर पद के लिए चुनाव मैदान में भाजपा प्रत्याशी संजू देवी राजपूत, कांग्रेस प्रत्याशी उषा तिवारी सहित 11 उम्मीदवार हैं। मतदान का प्रतिशत कम होने की वजह से भाजपा कांग्रेस खेमे में टेंशन बढ़ गई हैं।बता दे की नगर निगम कोरबा क्षेत्र में 2,67,103 मतदाता हैं। इस बार चुनाव में 82,306 पुरूष एवं 81,377 महिला मतदाताओं ने मतदान किया। इस तरह कुल 1,63,684 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। शहर के अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र के निकाय क्षेत्र के मतदाताओं में अधिक रूझान देखा गया। अगर पिछले 15 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह परंपरा बनती जा रही, हर बार पंचायत और पालिका परिषद क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा मतदाता घर से निकल कर पोलिंग बूथ तक पहुंच रहे। चिंता का विषय यह है कि प्रशासन हर बार जनजागरुकता के लिए खर्च किए जाने वाले बजट में वृद्धि कर रही। स्कूल व कालेजों के साथ रिहायशी व ग्रामीण क्षेत्रों में भी विभिन्न माध्यम से मतदान के लिए जागरूकता का अभियान चलाती है। इस कवायद का उस तरह असर नहीं दिख पा रहा, जैसी अपेक्षा है। कम मतदान के भी अपने- अपने मायने निकाले जा रहे, कोई राजनीतिक दल अपने लिए फायदेमंद मान रहा, तो कोई इससे नुकसान होने की बात कह रहा। वर्ष 2014 के चुनाव में सीधे नौ प्रतिशत मतदान का ग्राफ बढ़ा था, तब कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी।

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