6 हफ्ते लंबे चुनावों से बढ़ी RBI की मुश्किल, दुविधा में पड़ा…- भारत संपर्क

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6 हफ्ते लंबे चुनावों से बढ़ी RBI की मुश्किल, दुविधा में पड़ा…- भारत संपर्क
6 हफ्ते लंबे चुनावों से बढ़ी RBI की मुश्किल, दुविधा में पड़ा भारतीय रिजर्व बैंक

लंबे चुनाव की वजह से देश बैंकों के सामने लिक्विडिटी की समस्‍या आ गई है.

दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव भारत में चल रहा है. देश के इतिहास में भी लोकसभा चुनाव का इतना लंबा कार्यक्रम कभी नहीं देखा गया. इसी वजह से देश का सेंट्रल बैंक भी काफी मुश्किल में आ गया है. रिजर्व बैंक इस दुविधा में है कि आखिर अब किया क्या जाए? वास्तव में चुनाव के दौरान सरकारी खर्च में लगाम लग जाती है. जिसका असर देश के बैंकों की लिक्विडिटी पर साफ देखने को मिलता है. जरा इसे समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर इस लंबे चुनाव की वजह से सरकारी खर्च को कैसे नुकसान हो रहा है और देश के बैंकों के सामने लिक्विडिटी समस्या कैसे खड़ी हो गई है?

लिक्विडिटी बढ़ाने को किया उपाय

लोकसभा चुनाव में मतदान 19 अप्रैल को शुरू हुआ और 7 चरणों तक चलने वाले इस चुनावी महाकुंभ का आखिरी फेज 1 जून को खत्म होगा. वहीं वोटों की गिनती यानी चुनावी परिणाम 4 जून को सामने आएंगे. आम तौर पर, चुनावों के दौरान सरकारी खर्च धीमा हो जाता है और नई सरकार बनने और बजट पेश होने के बाद ही इसमें तेजी आती है. शुक्रवार को, सरकार ने 40,000 करोड़ रुपए (4.8 बिलियन डॉलर) के बांड को बायबैक करने का ऐलान किया था. जो बैंकिंग सिस्टम में फंड को फ्लोट करेगी. इस फैसले के बाद सोमवार को 2-5 साल में मैच्योर होने वाले बांड पर यील्ड 3-5 बेसिस प्वांट कम हो गई. वहीं लॉन्ग टर्म की यील्ड में गिरावट देखने को मिली. रॉयटर की रिपोर्ट ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा कि सिक्योरिटीज का बैयबैक लिक्विडिटी बढ़ाने का एक टूल है और इससे सिस्टम में लिक्विडिटी कम करने में मदद मिलती है.

पिछले साल कितना किया था खर्च

अर्थशास्त्रियों के अनुसार, भारत के एवरेज बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी 20 अप्रैल से घाटे में है और इस महीने घाटे में या न्यूट्रल के करीब रहने की उम्मीद है. आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा कि बायबैक घोषणा लिक्विडिटी बढ़ाने की एक कवायद हो सकती है क्योंकि हमारे पास अंतरिम बजट और आम चुनाव है, इसलिए सरकारी खर्च सामान्य से कम है. इक्विरस ग्रुप की अर्थशास्त्री अनिता रंगन के अनुसार, अप्रैल-जून 2023 में सरकारी खर्च 2.78 लाख करोड़ रुपए था, और उससे एक साल पहले की समान अवधि में यह 1.75 लाख करोड़ रुपए था. उन्होंने कहा, “इस साल अप्रैल-जून का खर्च चुनावों के दौरान काफी कम होगा.

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ऐसे भी किया है निवेश

भारत के केंद्रीय बैंक ने भी शॉर्ट टर्म लिक्विडिटी फ्लो में इजाफा किया है. सिटी बैंक के इकोनॉमिस्ट ने सोमवार को एक नोट में कहा कि अप्रैल के मिड से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वैरिएबल रेट रेपो ऑक्शन के थ्रूू 1.7 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है. उन्होंने कहा कि आरबीआई को अंदाजा हो सकता है कि सरकार में चुनाव संबंधी फैसले लेने में देरी से खर्च में बाधा आ सकती है. जिसका असर बैंकों की लिक्विडिटी में कमी के रूप में देखने को मिल सकता है. सिटी ने कहा कि सेंट्रल बैंक का डिविडेंड मई में सरकार को ट्रांसफर होने की संभावना है लेकिन चुनाव के कारण खर्च में देरी हो सकती है.

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