9 धुर के लिए बिक गई 10 बीघा जमीन, 55 साल बाद आया फैसला, 3 पीढ़ियों ने लड़ा…

बिहार के बेगूसराय जिले के चेड़िया बरियारपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले एक व्यक्ति 55 साल बाद कोर्ट से न्याय मिला. दरअसल जमीनी विवाद में पीड़ित परिवार ने करीब 5 बीघे जमीन बेचकर लड़ाई जारी रखी. जिसके बाद बीते 24 मई को कोर्ट ने पीड़ित के हक में फैसला सुनाया. इस दौरान पीड़ित के आंखें खुशी के आसूओं से भर आई. पीड़ित ने कहा कि 55 साल पहले हमारे पूर्वजों ने न्याय के लिए जिस लड़ाई को शुरू किया था उसमें आज कोर्ट ने फैसला सुनाया है.
पूरा मामला चेड़िया बरियारपुर थाना क्षेत्र के बसही की है. तारीख पर तारीख मिलने के बाद आखिर बीते 24 मई को वो पल आ गया जब 54 साल पुराने एक मामले का फैसला हुआ. जमीन के लिए आपसी विवाद में आए इस फैसले के बाद लोगों में खुशी देखी जा रही है, लेकिन इस दौरान दोनों ही पक्ष की तकरीबन 10 बीघे जमीन इस लड़ाई में बर्बाद हो गई. दोनों ही पक्ष ने पांच-पांच बीघा जमीन बेचकर 55 सालों तक कोर्ट में अपना अपना पक्ष रखते रहे.
1971 में शुरू हुआ था विवाद
पूरा मामला चेड़िया बरियारपुर थाना क्षेत्र के बसही के रहने वाले जगदीश यादव एवं जड्डू यादव दोनों ही आपस में रिश्तेदार हैं. उन्होंने जमीन के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. जानकारी के अनुसार जगदीश यादव के नाना को कोई पुत्र नहीं था तो कानूनन उनकी संपत्ति उनके नवासे की होनी थी. वहीं जड्डू यादव इसका विरोध कर रहे थे और जगदीश यादव को वहां नहीं रहने देना चाहते थे. वर्ष 1971 में जगदीश यादव की नौ धुर जमीन पर एक झोपड़ी बनाई जा रही थी, जिसका जगदीश यादव ने विरोध किया और तब यह मामला तत्कालीन बेगूसराय अनुमंडल कोर्ट में चला गया, जहां यह मामला दर्ज हुआ और फिर वादी और प्रतिवादी दोनों ने लड़ाई लड़ी.
कोर्ट के फैसले पर जताई खुशी
इस बीच वर्ष 1979 में जगदीश यादव के पक्ष में कोर्ट का फैसला आया जिसका विरोध जड्डू यादव ने किया, फिर यह मामला टाइटल सूट में चला गया. इस दौरान वादी और प्रतिवादी दोनों की मृत्यु हो गई, लेकिन बाद में उनके वंशजों ने अपने पूर्वजों की लड़ाई लड़ी और इस लड़ाई में बीघे दर बीघे जमीन बिकती रही. मामले की पैरवी करने वाले कई वकील की मृत्यु हो गई. यहां तक की कई न्यायाधीश भी बदल गए. अब कहीं जाकर कोर्ट ने जगदीश यादव के पक्ष में मामले का फैसला सुनाया है, जिसके बाद वादी पक्ष में काफी खुशी है. लेकिन वादी पक्ष के द्वारा यह भी बताया जा रहा है कि इस लड़ाई में उन्होंने अपनी महंगी जमीन भी खो दी है.
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