कबाड़ बेचने वाले के बेटे ने रचा इतिहास, 348 Kg वजन उठाकर जीता गोल्ड मेडल – भारत संपर्क

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कबाड़ बेचने वाले के बेटे ने रचा इतिहास, 348 Kg वजन उठाकर जीता गोल्ड मेडल – भारत संपर्क

साईराज परदेशी ने रचा इतिहास. (फोटो- X)
महाराष्ट्र के मनमाड से आने वाले 18 साल के साईराज परदेशी ने 2025 कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में अपने शानदार प्रदर्शन से इतिहास रच दिया. अहमदाबाद में आयोजित इस बड़े टूर्नामेंट में साइराज ने जूनियर पुरुष 88 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडल जीता और कुल 348 किलोग्राम (157 किलोग्राम स्नैच और 191 किलोग्राम क्लीन एंड जर्क) वजन उठाकर नया जूनियर कॉमनवेल्थ रिकॉर्ड बना दिया.
साईराज परदेशी ने रचा इतिहास
साईराज परदेशी भारत के सबसे प्रतिभाशाली युवा खेल सितारों में से एक के रूप में तेजी से उभरे हैं.साइराज का यह प्रदर्शन न केवल उनके लिए, बल्कि भारतीय वेटलिफ्टिंग के लिए भी गर्व का पल है. इस टूर्नामेंट में उनका कुल वजन सीनियर वर्ग के गोल्ड मेडल के विजेता के 347 किलोग्राम से भी एक किलोग्राम ज्यादा रहा, जो उनकी असाधारण क्षमता को बताया है. साईराज ने स्नैच और क्लीन एंड जर्क में नए जूनियर कॉमनवेल्थ रिकॉर्ड स्थापित किए.

कबाड़ बेचने वाले के बेटे हैं साईराज
साईराज परदेशी के पिता कबाड़ बेचने का काम करते हैं. उन्होंने 12 साल की उम्र में 2018 में वेटलिफ्टिंग शुरू की थी. साइराज ने इस साल कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं. उन्होंने मई 2025 में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 81 किलोग्राम वर्ग में तीन नेशनल युवा रिकॉर्ड तोड़े, जिसमें 140 किलोग्राम स्नैच, 172 किलोग्राम क्लीन एंड जर्क और कुल 312 किलोग्राम शामिल थे. इसके अलावा, 2024 में दोहा में आयोजित एशियाई यूथ और जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में उन्होंने 310 किलोग्राम (139 किलोग्राम स्नैच + 171 किलोग्राम क्लीन एंड जर्क) उठाकर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था.
साईराज परदेशी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद कहा, ‘शुरुआत में मेरा लक्ष्य रिकॉर्ड बनाना या एक बार में एक लिफ्ट लेना नहीं था, लेकिन जैसे-जैसे प्रतियोगिता आगे बढ़ी, मैंने अपनी क्षमता के अनुसार अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने का दृढ़ संकल्प लिया. मैं अपने परिवार, कोचों और सरकार को उनके निरंतर सहयोग के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं ओलंपिक खेलों में मेडल जीतने वाला भारत का पहला पुरुष खिलाड़ी बनना चाहता हूं. कर्णम मल्लेश्वरी और मीराबाई चानू पहले ही ऐसा कर चुकी हैं, लेकिन किसी कारण से भारतीय पुरुषों ने मेडल नहीं जीत पाए हैं. मैं इसे बदलना चाहता हूं.’

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