Career in Teaching: बीएड की जगह डीएलएड की क्यों बढ़ रही है डिमांड? जानें क्या है…


डीएलए की क्यों बढ़ रही है डिमांडImage Credit source: Freepik
Career in Teaching: 12वीं के बाद शिक्षक बनने का सपना देखने वाले युवाओं के सामने सवाल होता है कि बीएड करें या डीएलएड? बेशक, दोनों कोर्सों से ही शिक्षक बना जा सकता है, लेकिन मौजूदा वक्त के ट्रेंड को देखें तो बीएड की जगह युवाओं को डीएलएड पसंद आ रहा है. कुल जमा मौजूदा वक्त में 12वीं के बाद युवा बीएड के बजाय डीएलएड करने को तरजीह दे रहे हैं.
आइए जानते हैं कि बीएड और डीएलएड में क्या फर्क है. साथ ही जानते हैं कि क्यों बीएड के बजाय डीएलएड की मांग बढ़ी है. इसके पीछे का गणित क्या है?
बीएड क्या है?
बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.Ed.) एक प्रोफेशनल डिग्री है. बीएड मौजूदा वक्त में ग्रेजुएशन के बाद दो साल का डिग्री कोर्स है. तो वहीं कुछ जगहों पर 12वीं के बाद चार वर्षीय कोर्स के तौर पर लागू किया गया है. हालांकि 2027 के बाद बीएड 12वीं के बाद चार वर्षीय पाठ्यक्रम होगा. बीएड करने के बाद कक्षा 6 से 8वीं तक के छात्रों को पढ़ाया जा सकता है. वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद बीएड करने वाले हाई स्कूल और इंटरमीडिएट तक के बच्चों को पढ़ा सकते हैं. बीएड करने के बाद टीजीटी (TGT) और पीजीटी (PGT) जैसी सरकारी शिक्षक भर्तियों के लिए एलिजिबल होते हैं.
डीएलएड क्या है?
डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (DELED ) दो साल का डिप्लोमा कोर्स है. यह खास तौर पर कक्षा 1 से 5 तक के छोटे बच्चों को पढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है. सबसे बड़ा अंतर यह है कि इसे आप 12वीं के बाद सीधे कर सकते हैं. यह उन लोगों के लिए बेहतरीन विकल्प है, जो जल्दी अपना करियर शुरू करना चाहते हैं. इस कोर्स का फोकस बच्चों के विकास, उनकी सीखने की प्रक्रिया और खेल-आधारित शिक्षण विधियों पर होता है.
क्यों बढ़ रही है डीएलएड की मांग?
- जल्दी करियर की शुरुआत: डीएलएड कोर्स 12वीं के बाद ही किया जा सकता है. इसका मतलब है कि आप ग्रेजुएशन का इंतज़ार किए बिना, 12वीं के बाद दो साल में शिक्षक बनने की तैयारी शुरू कर सकते हैं. इससे समय और पैसा दोनों बचता है.
- नई शिक्षा नीति का असर: नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक शिक्षा को 8 कक्षाओं में बांट दिया गया है. मसलन, नई शिक्षा नीति में कक्षाओं का बंटवारा 5+3+3+4 फाॅर्मूले से हुआ है. शुरुआती 5 कक्षाएं फांउडेशन हैं, जिसमें नर्सरी से कक्षा 2 तक की कक्षाएं शामिल हैं, उसके बाद की 3 कक्षाएं के तहत कक्षा 3 से 5 तक को शिक्षा दी जानी है. कुल जमा प्रारंभिक शिक्षा पर विशेष ध्यान है. इसके अनुरूप प्राथमिक शिक्षा के लिए शिक्षकों की मांग बढ़नी तय है.
- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने भी प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बीएड वालों के लिए रास्ते बंद कर दिए हैं, जिससे डीएलएड की अहमियत और बढ़ गई है.
- बाल वाटिका शुरू होने से बढ़ेगी मांग : नई शिक्षा नीति के तहत देशभर में फांउडेशन कोर्सों के लिए बाल वाटिका बनाई जानी हैं. यूपी में 3,000 से अधिक बाल वाटिका शुरू की गईं हैं, जहां बच्चों को खेलकूद, कला, संगीत और प्रारंभिक शिक्षा के माध्यम से सिखाने का प्रयास है. ऐसे में डीएलएड डिग्रीधारियों की मांग बढ़ेगी.
- सीधा और व्यावहारिक प्रशिक्षण: डीएलएड का सिलेबस छोटे बच्चों को पढ़ाने पर केंद्रित होता है. इसमें बच्चों की मानसिकता को समझना, खेल-खेल में पढ़ाना और व्यावहारिक शिक्षण पर ज़्यादा जोर दिया जाता है. इससे डीएलएड करने वाले शिक्षक प्राथमिक शिक्षा के लिए ज्यादा फिट माने जाते हैं.
- रोजगार के अवसर: भारत में गांव-गांव में प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां शिक्षकों की हमेशा जरूरत रहती है. डीएलएड कोर्स करके सरकारी स्कूलों में आसानी से नौकरी पाई जा सकती है.
- कम खर्च में बेहतर विकल्प: ग्रेजुएशन और फिर बीएड करने में समय और पैसा दोनों ज्यादा लगता है. वहीं, 12वीं के बाद डीएलएड करना एक कम खर्चीला रास्ता है,
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