रेयर अर्थ मेटल्स पर इस ‘आर्मी’ से डील करेगा भारत! चीन से…- भारत संपर्क

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रेयर अर्थ मेटल्स पर इस ‘आर्मी’ से डील करेगा भारत! चीन से…- भारत संपर्क
रेयर अर्थ मेटल्स पर इस 'आर्मी' से डील करेगा भारत! चीन से लेकर अमेरिका तक सब हैरान

रेयर अर्थ मेटल

भारत में रेयर अर्थ मेटल्स की किल्लत है. चीन ने इसके एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. ऐसे में भारत ने इसका दूसरा रास्ता निकालना शुरू कर दिया है. जिससे चीन से लेकर अमेरिका तक सब हैरान है. वास्तव में भारत ने रेयर अर्थ मेटल्स के लिए मयांमार की ओर रुख कर लिया है. जहां उसकी सरकार से नहीं बल्कि एक विद्रोही संगठन से डील कर सकती है. इस संगठन का नाम कचीन इंडीपेंडेंस आर्मी है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत एक शक्तिशाली विद्रोही ग्रुप की सहायता से म्यांमार से रेयर अर्थ पृथ्वी के सैंपल लेने का काम कर रहा है.

अगर सैंपल में रेयर अर्थ की पुष्टी हो जाती है तो इससे भारत को काफी फायदा होगा और चीन से निर्भरता काफी कम हो जाएगी. रॉयटर्स की रिपोर्ट में सूत्रों ने कहा कि भारत की माइनिंग मिनिस्ट्री ने सरकारी और निजी कंपनियों से उत्तर पूर्व म्यांमार की उन खदानों से नमूने एकत्र करने और ट्रांसपोर्ट की संभावना तलाशने को कहा है जो काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी के कंट्रोल में हैं. सूत्रों ने बताया कि सरकारी माइनिंग कंपनी आईआरईएल और निजी कंपनी मिडवेस्ट एडवांस्ड मैटेरियल्स – जिन्हें पिछले साल रेसर अर्थ मेग्नेंट्स के व्यावसायिक निर्माण के लिए सरकारी धन प्राप्त हुआ था – इस चर्चा में शामिल थीं.

केआईए ने शुरू किया सैंपल कलेक्शन

सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार घरेलू लैब में सैंपल की ​टेस्टिंग करेगी. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनमें हैवी रेयर अर्थ की पर्याप्त मात्रा है जिसे इलेक्ट्रॉनिक वाहनों और दूसरे एडवांस कंपोनेंट्स में उपयोग किए जाने वाले मेग्नेंट्स में प्रोसेस्ड किया जा सकता है. रॉयटर्स ने आर्मी ग्रुप के अधिकारी के हवाले से कहा कि केआईए ने भारत के एनालिसिस के लिए नमूने एकत्र करना शुरू कर दिया है. केआईए अधिकारी के अनुसार, ग्रुप इस बात का आकलन करने पर भी सहमत हुए हैं कि क्या भारत को थोक निर्यात संभव है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत के विदेश और माइन मंत्रालयों की ओर से कोई बयान नहीं दिया गया है. ना ही आईआरईएल और मिडवेस्ट ने भी कोई आधिकारिक बयान दिया. KIA की ओर से भी कोई बयान नहीं दिया गया है.

भारत चाहता है लॉन्गटर्म डील?

म्यांमार के अल्पसंख्यक काचिन समुदाय की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए 1961 में KIA का गठन किया गया था और तब से यह देश के सबसे शक्तिशाली सशस्त्र समूहों में से एक बन गया है. म्यांमार की सेना द्वारा 2021 में तख्तापलट के बाद, जिससे देशव्यापी विद्रोह शुरू हो गया, KIA चीन समर्थित जुंटा के खिलाफ प्रतिरोध का एक गढ़ बनकर उभरा.

पिछले साल, इसने जुंटा-संबद्ध ताकतों से काचिन राज्य में चिपवे-पंगवा खनन क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया, जो डिस्प्रोसियम और टेरबियम जैसे हैवी रेयर अर्थ की ग्लोबल सप्लाई का बड़ा हिस्सा पैदा करता है. KIA चीन को खनिज सप्लाई जारी रखे हुए है, लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भामो शहर पर KIA और जुंटा सैनिकों के बीच चल रही लड़ाई को लेकर उनके संबंधों में खटास आ गई है.

बीजिंग, सैन्य शासन को अपने क्षेत्र में स्थिरता की गारंटी मानता है और उसने केआईए पर पीछे हटने का दबाव डाला है. बदले में, मिलिशिया पड़ोसी देश भारत के साथ अपनी सक्रियता बढ़ा रही है. दिल्ली के अधिकारी केआईए के साथ रेयर अर्थ पदार्थों की सप्लाई के लिए एक लॉन्गटर्म डील चाहते हैं, लेकिन दो लोगों ने बताया कि दूरदराज और अविकसित पहाड़ी क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में इस पदार्थ को लाने-ले जाने की लॉजिस्टिक चुनौतियां हैं.

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