एफडी और पीपीएफ से क्याें बेहतर हैं टैक्स सेविंग म्युचुअल…- भारत संपर्क

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एफडी और पीपीएफ से क्याें बेहतर हैं टैक्स सेविंग म्युचुअल…- भारत संपर्क

सरकार को अपनी कमाई की जानकारी देने का मौसम आ गया है. जी हां, प्रत्येक नौकरीपेशा अब इस जुगत में लगा है कि कैसे ना कैसे करके अपने इंवेस्टमेंट को शो करे को टैक्स देने से छुटकारा पाए. यही टैक्स आम लोगों की सेविंग को कम कर देता है. वैसे टैक्स सेविंग हरेक आदमी की फाइनेंशियल प्लानिंग का हिस्सा होना चाहिए. मार्केट में टैक्स सेविंग के ऑप्शंस मौजूद हैं. जिसमें पीपीएफ, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट यानी एनएससी, टैक्स सेविंग एफडी, इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम आदि शामिल है.

वैसे टैक्स सेविंग के इन ऑप्शंस में से इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस), जिसे टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड के रूप में भी जाना जाता है, ने पिछले दशक में टैक्सपेयर्स के बीच काफी पॉपुलैरिटी हासिल की है. इंडिविजुअल के साथ एचयूएफ भी ईएलएसएस या टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं और टैक्स बेनिफिट क्लेम कर सकते हैं.

सेबी टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड को ओपन-एंडेड इक्विटी स्कीम्स के रूप में डिफाइन करता है, जो लॉक-इन पीरियड और टैक्स बेनिफिट के साथ आते हैं. ये फंड अपने असेट्स का मिनिमम 80 फीसदी इक्विटी और इक्विटी-संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं और उनके पास सभी सेक्टर्स और मार्केट कैप स्पेक्ट्रम में निवेश करने की फ्लेक्सीबिलिटी है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर टैक्स सेविंग म्यूचुअल बाकी ऑप्शंस जैसे पीपीएफ, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट यानी एनएससी, टैक्स सेविंग एफडी से बेहतर क्यों है…

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कम लॉक-इन पीरियड

ईएलएसएस या टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड 3 साल की अनिवार्य लॉक-इन पीरियड के साथ आते हैं जो अन्य टैक्स-सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स की तुलना में सबसे कम है. इसका मतलब है कि आप टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश की तारीख से 3 साल पूरा होने के बाद अपना पैसा निकाल सकते हैं. नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट और टैक्स सेविंग एफडी दोनों की लॉक-इन अवधि 5 साल है. दूसरी ओर, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) में योगदान 15 साल के लिए लॉक होता है, जबकि नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में योगदान 60 साल की उम्र तक लॉक-इन रहता है. ऐसे में टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में आपका पैसा लंबे समय तक लॉक नहीं रहता है और कम समय होने की वजह से आसानी से निकाल भी सकते हैं.

जोरदार कराते हैं कमाई

इक्विटी-ओरिएंटिड होने की वजह से ईएलएसएस या टैक्स सेविंग म्यूचुअल नॉन-मार्केट से जुड़े टैक्स-सेविंग ऑप्शंस की तुलना में अपने निवेशकों को अधिक रिटर्न देने की क्षमता रखता है. विशेष रूप से, इकोनॉमिक ग्रोथ को बढाने के लिए आरबीआई रेपो रेट में इजाफा किया हुआ है. जिसकी वजह से टैक्स सेवर बैंक एफडी, पीपीएफ और एनएससी जैसी नॉन-मार्केट-लिंक्ड टैक्स सेविंग स्कीम्स पर ब्याज दरें वर्तमान में कई वर्षों के निचले स्तर पर हैं. टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड निवेशकों के पैसों में इजाफा करने के लिए बाजार की स्थितियों के आधार पर विभिन्न प्रकार के स्टॉक/सेक्टर/मार्केट कैप में निवेश करते हैं और कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा रिटर्न देने की कोशिश करते हैं.

धारा 80सी के तहत टैक्स बेनिफिट

दूसरी इक्विटी-ओरिएंटिड स्कीम्स के अपोजिट, ईएलएसएस या टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड अपने निवेशकों को टैक्स सेविंग बेनिफिट भी देते हैं. एक वित्तीय वर्ष के दौरान ईएलएसएस में 1.5 लाख रुपये तक का निवेश आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कटौती के लिए पात्र है. हाईएस्ट टैक्स ब्रैकेट में आने वाले निवेशक टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में निवेश करके प्रभावी रूप से कुल कर देनदारी में 48,600 रुपए तक बचा सकते हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि भले ही आप किनी ही टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में सेविंग कर लें, अन्य दूसरी टैक्स सेविंग निवेश कर लें कोई सीमा नहीं है, लेकिन धारा 80 सी के तहत आपको टैक्स सेविंग में फायदा सिर्फ 1.5 लाख रुपए तक ही होगा.

बाजार के उतार चढाव का असर कम

टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड भी शेयर बाजार के प्रदर्शन पर काफी डिपेंड करते हैं. जो लोग शेयर बाजार में निवेश करते हैं वह बाजार की स्थिरता को देखकर निवेश करते हैं और थोडी अस्थिरता से पैसा वापस खींच लेते हैं. लेकिन टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड निवेशकों को इस स्थिरता और अस्थिरता के फेर से बचाने की कोशिश करते हैं. 3 साल का लॉक इन पीरियड होने की वजह से कोई भी निवेशक पैसा नहीं निकाल पाता है और इतने समय में शेयर बाजार की अस्थिरता आ असर खत्म हो जाता है. ऐसे में आपके निवेश को कंपाउंडली बढ़ाने में मदद करता है.

एसआईपी की सुविधा

सबसे अहम बात आपको टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड में भी एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान की सुविधा मिलती है. एसआईपी रूट से ईएलएसएस में निवेश कम से कम 500 रुपए की छोटी निवेश राशि के साथ किया जा सकता है. एसआईपी के माध्यम से निवेश करने से इंटीग्रल रुपया-कॉस्ट एवरेजिंग फीचर से आपके पोर्टफोलियो पर अस्थिरता के प्रभाव को कम किया जा सकता है और बदले में, संभावित रूप से आपके वेल्थ में इजाफा हो सकता है. इसके अलावा, यह निवेश के लिए एक अनुशासित दृष्टिकोण विकसित करता है, जो आपके म्यूचुअल फंड से बेहतर रिटर्न हासिल करने के लिए जरूरी है.

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