मोदी सरकार से पहले भारत और कतर के रिश्ते कैसे थे? | india qatar relationships… – भारत संपर्क

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मोदी सरकार से पहले भारत और कतर के रिश्ते कैसे थे? | india qatar relationships… – भारत संपर्क
मोदी सरकार से पहले भारत और कतर के रिश्ते कैसे थे?

भारत-कतर संबंध

प्रधानमंत्री के आलोचक भी इस बात को मानने में गुरेज नहीं करते कि उनके आने के बाज से गल्फ देशों और भारत के बीच निकटता बढ़ी है. इसकी वजह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2014 के बाद लगातार इन देशों की यात्रा पर एक के बाद एक कई दफा जाना और सीईपीए जैसे अहम आर्थिक समझौते करना.

प्रधानमंत्री मोदी 2014 के बाद 7 बार यूएई जा चुके और वह 2015 में जब संयुक्त अरब अमीरात गए तो 35 बरस बाद यूएई जाने वाले भारतीय प्रधानमंत्री थे. इसी तरह कतर को लेकर भी प्रधानमंत्री मोदी और और यूएई के शासक के बीच नजदीकियां दिखी.

8 साल बाद पीएम मोदी की हुई यात्रा

फिलहाल प्रधानमंत्री कतर की राजधानी दोहा ही में हैं. आठ रिटायर्ड भारतीय नौसैनिकों की फांसी की सजा माफी के बाद ये पीएम की पहली कतर यात्रा है. सजा माफी के बाद इनमें से 7 पूर्व अधिकारी अभी हाल ही में भारत आए हैं और इसके लिए भारत सरकार की काफी सराहना भी हुई. इसकी वजहें कई हैं. भारत-कतर की दोस्ती की बात बगैर मनमोहन सिंह के जिक्र के पूरी नहीं होगी.

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भारत और कतर के मजबूत संबंधों की सबसे अहम वजह व्यापार और आर्थिक तौर पर एक दूसरे का सहयोग रहा. 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के निमंत्रण पर 2016 के दौरान दोहा गए थे. ये दौरा इसलिए खास था क्योंकि इससे पहले लगभग 8 साल पहले भारत के प्रधानमंत्री का कतर दौरा हुआ था. तब मनमोहन सिंह के आधिकारिक दौरे की वजह से दोनों देश करीब आए थे.

मनमोहन सिंहः रिश्तों को मिला नया मकाम

उससे पहले तत्कालीन कतर के शेख 1999, 2005, 2012 और 2015 में भारत आ चुके थे. मगर जब साल 2008 के नवंबर में मनमोहन सिंह बतौर पीएम कतर गए तो दोनों देशों के बीच एक समुद्री रक्षा समझौते को मंजूरी मिली. तब इस समुद्री रक्षा समझौते को मील का पत्थर कहा गया. बाद में इस सिलसिले में दोनों देशों के बीच और दो बैठकें भी हुई.

इसी साल भारत और कतर के बीच एनर्जी सेक्टर में भी एक ऐतिहासिक करार हुआ जिसके तहत कतर ने भारत के ऊर्जा क्षेत्र में 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर निवेश का वादा किया. साथ ही ओमान के रास्ते कतर से भारत तक एक डीप-सी गैस पाइपलाइन के प्रस्ताव पर भी सहमति बनी.

ये दोनों बहुत बड़े फैसले थे जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान हुए थे. भारत और कतर की निकटता की एक वजह प्रवासी की संख्या भी है. 2023 तक कतर में भारतीयों की आबादी लगभग 7.5 लाख थी जो कतर की कुल आबादी के तकरीबन 25 फीसदी थे.

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