प्याज नहीं, अबकी बार ‘लहसुन’ रुला रहा महंगाई के आंसू, दाम…- भारत संपर्क
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चुनाव में लहसुन रुलाएगी महंगाई के आंसू Image Credit source: Unsplash
चुनाव से ठीक पहले इस बार प्याज नहीं बल्कि लहसुन लोगों को महंगाई के आंसू रुला रहा है. इसके बढ़ते दामों ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है. प्याज के दाम तो जहां रिटेल मार्केट में 30 से 40 रुपए के बीच बने हुए हैं, वहीं लहसुन के दाम अब 550 रुपए के पार पहुंच गए हैं. थोक बाजार में भी लहसुन की कीमत 350 रुपए किलो से ऊपर जा चुकी है.
लहसुन का इस्तेमाल जहां आम लोग रोजमर्रा के खाने में करते हैं. वहीं इसकी एक बड़ी डिमांड फार्मा इंडस्ट्री में भी होती है. लगभग सभी दर्द निवारक बाम और अन्य ऑइंटमेंट में लहसुन के तेल का उपयोग होता है. भारत में लहसुन सबसे ज्यादा गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में पैदा होता है.
थोक भाव पहुंचा 350 रुपए के पार
देश की सबसे बड़ी लहसुन मंडियों में से एक गुजरात की जामनगर मंडी में लहसुन का थोक भाव शनिवार को 300 से 350 रुपए प्रति किलो तक जरूर आया, लेकिन बीते कुछ दिनों में ये 350 रुपए प्रति किलो से भी ऊपर जा चुका है. जबकि देश के अलग-अलग बाजारों में इसकी फुटकर कीमतें 500 से 550 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं. लहसुन के बढ़ते दामों ने जहां आम लोगों की रसोई बजट बिगाड़ा है. वहीं रेस्तरां मालिकों पर इसका बहुत बुरा असर पड़ रहा है.
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इसके उलट देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में प्याज की थोक कीमतों में 100 से 200 रुपए प्रति क्विंटल की मामूली बढ़त ही देखी गई है. यहां प्याज का थोक भाव 15 रुपए प्रति किलो तक ही पहुंचा है. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के डेली प्राइस मॉनिटरिंग डेटा के मुताबिक दिल्ली के खुदरा बाजार में प्याज की कीमतें 30 रुपए प्रति किलो ग्राम ही रही.
MSP के लिए प्याज किसान पहुंच रहे दिल्ली
करीब 2 महीने पहले सरकार ने कीमतों को कंट्रोल करने के लिए प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी. इससे प्याज किसानों को बहुत नुकसान हुआ क्योंकि मंडियों में फसल के दाम गिर गए. अब जब कई राज्यों के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी की मांग लेकर दिल्ली कूच कर रहे हैं, उनमें महाराष्ट्र के प्याज किसान भी शामिल हो रहे हैं. हालांकि सरकार ने किसानों को दिल्ली के बाहर शंभू बॉर्डर के पास ही रोक रखा है.