Egypt Turkey Relation: मिडिल ईस्ट के दो बड़े सुन्नी मुस्लिम देशों के बीच क्यों खिंचीं… – भारत संपर्क

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Egypt Turkey Relation: मिडिल ईस्ट के दो बड़े सुन्नी मुस्लिम देशों के बीच क्यों खिंचीं… – भारत संपर्क
Egypt Turkey Relation: मिडिल ईस्ट के दो बड़े सुन्नी मुस्लिम देशों के बीच क्यों खिंचीं दुश्मनी की तलवारें?

तुर्की और इजिप्ट के बीच क्यों है दुश्मनी?/AFP

हाल ही में तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने मिस्र की यात्रा की है. तुर्की राष्ट्रपति का ये दौरा एक दशक बाद हुआ है, दोनों मुस्लिम देशों के बीच 2013 से ही रिश्ते खराब चल रहे थे. मिस्र और तुर्की के बीच मजबूत धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं, लेकिन राजनयिक रिश्तों में 2013 के बाद दरारें आ गई थी. आइये जानते हैं तुर्की और इजिप्ट के बीच क्यों है दुश्मनी?

2005 में मिस्र और तुर्की ने रिश्तों को मजबूत करते हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट साइन किए. लेकिन दोनों देशों के बीच दूरी 2013 में फौज के तख्तापलट के बाद आई, 2013 में फौज ने मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति और तुर्की के करीबी मोहम्मद मुर्सी को सत्ता से बेदखल कर दिया. तख्तापलट के बाद दोनों देशों ने अपने-अपने दूत वापस बुला लिए और राजनयिक रिश्तों को खत्म कर दिया. हालांकि इस यात्रा के बाद गाजा में मानवीय संकट पर एर्दोगन और सीसी ने साथ मिलकर काम करने का फैसला किया और रिश्तों को मजबूत करने की बात कही.

2011 अरब आंदोलन

2011 में जब अरब देशों में आंदोलन की आग भड़की तो उसकी चपेट में मिस्र भी आया. तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने इस आंदोलन का समर्थन किया और जनता की बात सुनने के लिए कहा था. इस आंदोलन के बाद तत्कालीन राष्ट्रीपति होस्नी मुबारक को फरवरी 2012 में कुर्सी से हटा दिया गया. क्रांति के बाद मुस्लिम ब्रदरहुड के मेंबर मोहम्मद मोरसी को देश का पहला लोकतांत्रिक निर्वाचित राष्ट्रपति चुना गया.

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एर्दोगन की पार्टी और मुस्लिम ब्रदरहुड में कई समानताएं होने की वजह से दोनों देशों के रिशतें और मजबूत हुए. मोहम्मद मोरसी के राष्ट्रपति बनने के बाद एर्दोगन फिर से मिस्र गए और अफ्रीकी देशों के लिए एक लोन समझोते पर साइन कर दोनों देशों की बीच दोस्ती को मजबूत किया.

मोर्सी का तख्तापलट

साल 2013 में तत्कालीन डिफेंस मिनिस्टर अब्देल-फतह अल-सिसी ने मोहमम्द मोर्सी का तख्तापलट कर दिया. जिसके बाद तुर्की राष्ट्रपति ने सिसी को ‘नाजायज तानाशाह’ कहा और मिस्र की नई सरकार को मानने से इंकार कर दिया. धीरे-धीरे तुर्की मिस्र से आने वाले मुस्लिम ब्रदरहुड के नेताओं का केंद्र बन गया और मिस्र में मोर्सी के तख्तापलट विरोधी प्रदर्शनों में एर्दोगन लोकप्रय होते रहे.

मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल-फतह अल-सिसी के साथ अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम का हाथ रहा है. बता दें ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ को पश्चिमी देश इस्लामिक कट्टरपंथ पार्टी के तौर पर देखते हैं. जानकारों के मुताबिक 2013 के तख्तापलट में सिसी को इन देशों का पूरा साथ मिला था. इसके अलावा दोनों देशों में पूर्वी भूमध्य सागर में समुद्री सीमा पर भी विवाद रहा है. भूमध्य सागर में बड़ी मात्रा में गैस भंडार हैं जिसको लेकर मिस्र,ग्रीस और तुर्की आदी में मतभेद है.

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