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लोगों की आजीविका में डीएमएफ की 10 फीसदी राशि का इस्तेमाल, डीएमएफ की गाइडलाइन में किया गया बदलाव

कोरबा। डीएमएफ की गाइडलाइन में बदलाव किया गया है। नई गाइडलाइन के अनुसार हर पांच साल में कोयला खदान से प्रभावित होने वाले लोगों की सूची अपडेट की जाएगी। इस सूची में लोगों के नाम, पता, गांव और संबंधित खदान से प्रभावित होने का ब्यौरा रखा जाएगा। इसके अलावा डीएमएफ को सालाना प्राप्त होने वाली कुल राशि में से 10 फीसदी राशि का इस्तेमाल लोगों की आजीविका के लिए निर्धारित किया जाएगा।
खनिज न्यास मद की राशि के इस्तेमाल को लेकर लगातार आ रही गड़बडिय़ों के बीच केंद्र सरकार ने डीएमएफ की गाइडलाइन में बदलाव किया है। नए बदलाव के बाद कानून को पहले से अधिक मजबूत बनाया गया है। उम्मीद है कि अब अफसर इस फंड में ज्यादा गड़बड़ी नहीं कर पाएंगे।नई गाइडलाइन में बदलाव को लेकर केंद्र सरकार की ओर से 15 जनवरी को सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित होने वाले क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है। बताया गया है कि अब कोयला खदान के व्यास से 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाला क्षेत्र ही प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित माना जाएगा। अप्रत्यक्ष क्षेत्र के लिए खदान के व्यास से यह दायरा 15 से 25 किलोमीटर के बीच का होगा। डीएमएफ से 50 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च करने के लिए अब पीएसयू को दिया जाएगा। प्रशासन की ओर से 50 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च नहीं किया जाएगा। इसके अलावा कई अन्य बदलाव भी नई गाइडलाइन में किये गए हैं। इसके अलावा इस फंड के इस्तेमाल में आने वाली गड़बडिय़ों को दूर करने की बात कही गई है। कहा गया है कि फंड के इस्तेमाल में अनियमितता पाए जाने पर इसकी शिकायत केंद्र सरकार से की जा सकती है।इस संबंध में जांच दो माह में पूरी करनी होगी। केंद्र जरूरी समझे तो अपनी टीम भेजकर भी गड़बडिय़ों की जांच करवा सकता है। राज्य सरकार को सुधार करने के लिए निर्देश दे सकता है। नई गाइडलाइन में नए, पुराने या चल रहे कार्य को सस्पेंड करने का भी प्रावधान है।कोयला खदान से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर पडऩे वाले प्रभाव का आंकलन भी किया जाएगा। इसके तहत यह पता लगाया जाएगा कि उनके क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता कैसी है। इसे प्रदर्शित करने के लिए जगह-जगह स्क्रीन आदि लगाने का निर्देश भी जारी किया गया है। प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य की जांच के लिए मेडिकल मोबाइल यूनिट चालू करने कहा गया है।
नई गाइडलाइन में सरकार ने उच्च प्राथमिकता को भी तय कर दिया है। इसके तहत अब डीएमएफ में आने वाली सालाना राशि में से 70 फीसदी राशि का इस्तेमाल उच्च प्राथमिकता के कार्यों में किया जा सकता है। ये कार्य उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में होंगे जो कोयला खदान के चारों ओर 15 किलोमीटर की परिधि में रहते हैं। 30 फीसदी राशि अन्य कार्यों के लिए खर्च की जाएगी।

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