Explainer: क्या होती है हॉर्स ट्रेडिंग, क्या चंडीगढ़ के मेयर…- भारत संपर्क

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Explainer: क्या होती है हॉर्स ट्रेडिंग, क्या चंडीगढ़ के मेयर…- भारत संपर्क
Explainer: क्या होती है हॉर्स ट्रेडिंग, क्या चंडीगढ़ के मेयर…- भारत संपर्क
Explainer: क्या होती है हॉर्स ट्रेडिंग, क्या चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में हुआ इस्तेमाल?

चंडीगढ़ चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह

‘हॉर्स ट्रेडिंग’ ये शब्द आजकल आपने गाहे-बगाहे सुना ही होगा. हिंदी में अनुवाद करने पर इसका सीधा सा मतलब है ‘घोड़ों का व्यापार’, खालिस व्यापार की दुनिया का ये शब्द आजकल राजनीतिक हलकों में क्यों इस्तेमाल होता है? हाल में जब केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में मेयर का चुनाव हुआ तो धांधली के आरोप लगे और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूढ़ ने भी ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ को लेकर चिंता व्यक्त की है.

हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर प्रचलित कहानी ये है कि पहले के समय में अरब देशों से घोड़े का व्यापार खूब होता था. ये पूर्व में भारत और चीन तक फैला था. तब जगह-जगह पशु मेले लगते थे, जैसा आजकल राजस्थान के पुष्कर में लगता है. इन मेलों में घोड़ों की खरीद-फरोख्त होती थी. तब कई बार हॉर्स सेलर अपने घोड़ों की बढ़ा-चढ़ाकर तारीफ (झूठ बोलना) करते थे, लेकिन वो घोड़े असल में किसी के काम के नहीं होते थे. ऐसे में अक्सर नुकसान खरीदार के गले पड़ता था. इस तरह ‘घोड़ों के व्यापार’ के साथ ”बेईमानी’ जुड़ता चला गया.

आम लोगों के बीच कैसे प्रचलित हुआ ये शब्द?

अमेरिका में 1880 के दशक में व्यापार नैतिकता या एथिक्स से परे जाकर ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट मेकिंग ही रह गया था. तब अमेरिका में एक कानून का मसौदा तैयार हुआ, जो मीडिया पर उसके सर्कुलेशन को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने पर रोक लगाता था. इसी संदर्भ में न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक लेख लिखा जिसमें कहा गया कि अगर सरकार ‘झूठ’ बोलने पर भी रोक लगाएगी, तो ‘घोड़ों का व्यापार’ ही बंद हो जाएगा.

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हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी लिखती है, ”बिजनेस करने का वो तरीका, जहां एक व्यक्ति सामने वाले को अपनी बातों में चालाकी से फंसाता है और अंत में अपने फायदे वाला ही सौदा करता है.” हॉर्स-ट्रेडिंग को आसान भाषा में ‘मोल भाव’ करना कहा जा सकता है. अगर इसे और बेहतर तरीके से समझना हो तो दिल्ली के सरोजिनी नगर मार्केट या पालिका बाजार में होने वाले व्यापार को देखकर समझा जा सकता है.

राजनीति में क्यों प्रयोग होता है ‘हॉर्स ट्रेडिंग’?

राजनीति की दुनिया में हॉर्स ट्रेडिंग को वोट ट्रेडिंग भी कहा जाता है. जर्मनी में इसे ‘काउ ट्रेडिंग’ जैसे शब्द से भी इंगित किया जाता है. आसान भाषा में समझें तो हॉर्स ट्रेडिंग तब होती है, जब एक राजनीतिक दल अपने विरोधी या दूसरे राजनीतिक दल के सदस्यों को अपने में शामिल करने के लिए लालच देता है. इसके लिए हर तरह के मोलभाव परदे के पीछे या इनफॉर्मल तरीके से होते हैं. ऐसे में जिस राजनीतिक दल में टूट होने वाली होती है, उसे इसकी भनक तक नहीं लगती.

अब चंडीगढ़ मेयर चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वोटिंग प्रक्रिया की पूरी वीडियो पेश करने के लिए कहा है. इस मामले की सुनवाई आज ही होनी है.

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