साब! इस महंगाई में और बच्चे नहीं चाहिए…कलेक्टर से लगाई नसबंदी की गुहार | … – भारत संपर्क

0
साब! इस महंगाई में और बच्चे नहीं चाहिए…कलेक्टर से लगाई नसबंदी की गुहार | … – भारत संपर्क

जबलपुर डीएम ऑफिस
मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक अजीब मामला देखने को मिला है. यहां एक युवक ने अपने पत्नी के साथ कलेक्टर ऑफिस में आकर नसबंदी की गुहार लगाई है. युवक ने कहा कि इस महंगाई में बच्चे पालना बहुत मुश्किल हो गया है. चूंकि यहां नसबंदी बंद है, ऐसे में लगातार बच्चे पैदा होते जा रहे हैं. आदिवासी समुदाय के इस युवक की गुहार ने समाजिक व्यवस्था पर सवाल उठा दिया है. पता चला कि युवक अपनी गुहार लेकर तीन साल से कलेक्टर ऑफिस में चक्कर काट रहा है.
मामला मंगलसार को कलेक्ट्रेट में आयोजित एसपी डीएम की जनसुनवाई के दौरान का है. इसमें बरेला ब्लॉक के खैरी गांव निवासी प्रेम कुमार बैगा नामक युवक कलेक्टर के सामने अपनी पत्नी के साथ पहुंचा और हाथ जोड़कर विनती करते हुए पत्नी की नसबंदी की इजाजत मांगी. कहा कि इतनी महंगाई में और बच्चे कैसे पाले. कहा कि दो बच्चे पहले से हैं, उनका ही पालन पोषण करने में ही काफी मुश्किल आ रही है. कहा कि अब और बच्चे पालने की हिम्मत नहीं बची.कहा कि या तो सरकार उसके बच्चों का पालन पोषण करे या नसबंदी की अनुमति दे.
तीन साल से काट रहा चक्कर
प्रेम बैगा ने कहा कि इस कार्यालय में वह तीन साल से लगातार आ रहा है. उसने कई बार अर्जी लगाई, लेकिन किसी ने उसकी अर्जी पर सुनवाई नहीं की. अभी पता चला कि नए कलेक्टर साहब आए हैं, इसलिए वह एक बार फिर अपनी अर्जी लेकर हाजिर हुआ है. जनसुनवाई में कुछ मीडियाकर्मी भी मौजूद थे. मीडियाकर्मियों ने उसकी गुहार सुनने के बाद उससे बात की. इसमें प्रेम कुमार बैगा ने बताया कि 2018 में उसकी शादी डिंडोरी जिले के डोकरघाट की रहने वाली 28 वर्षीय कमलवती बैगा के साथ हुई थी.
ये भी पढ़ें

पहले से हैं एक बेटा और एक बेटी
इस शादी के बाद उसे एक पांच साल की बेटी और तीन साल का बेटा है. बड़ी मुश्किल से वह अपने दोनों बच्चों का पालन कर पा रहा है. अब वह नहीं चाहता कि उसके घर में तीसरा बच्चा हो. इसलिए वह तीन साल से लगातार कलेक्टर ऑफिस और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से गुहार कर रहा है. जब वह स्वास्थ्य विभाग के ऑफिस जाता है तो कलेक्टर ऑफिस भेज दिया जाता है और जब यहां आता है तो स्वास्थ्य विभाग के ऑफिस जाने को कह दिया जाता है.
संरक्षित जाति है बेगा
इस मामले में क्षेत्रीय स्वास्थ्य संचालक संजय मिश्रा का कहना है कि बैगा जाति में नसबंदी पर रोक है. यदि यह जरूरी हुआ तो इसके लिए कलेक्टर की अनुमति आवश्यक है. वहीं जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि प्रेम कुमार बैगा की अर्जी मिली है. इस अर्जी पर विचार करने के बाद नियमानुसार उसकी मदद की जाएगी.बता दें कि जनसंख्या नियंत्रण एवं मातृ शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में छोटा परिवार सुखी परिवार का अभियान भी चलाया जा रहा है.
छोटे परिवार के लिए देश भर में अभियान
इसी अभियान के तहत पुरुषों को नसबंदी पर तीन हजार रुपए और महिलाओं को दो हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दिया जा रहा है. इसी प्रकार महिला एवं पुरुषों को नसबंदी के लिए प्रेरित करने वाले पुरूष प्रेरकों को 400 प्रति केस एवं महिला प्रेरकों को 300 प्रति केस के हिसाब से दिया जा रहा है. यह व्यवस्था पूरे देश में लागू है. वहीं दूसरी ओर, आदिवासी वैगा समुदाय की पांच संरक्षित जनजातियों बैगा, अबुझमाड़िया, बिरहोर, पहाड़ी कोरवा और कमार को इससे पूरी तरह से मुक्त रखा गया है. बल्कि इन परिवारों की नसबंदी पर प्रतिबंध है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

‘राजा ने मेरे मुंह पर गुटखा थूका, पेशाब भी पिलाने लगा था…’, आदिवासी युवक … – भारत संपर्क| Sarangarh News: हत्या का प्रयास और डकैती:  पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 7 आरोपी गिरफ्तार – भारत संपर्क न्यूज़ …| SSC CGL Exam 2025: एसएससी सीजीएल के 14582 पदों के लिए फटाफट करें अप्लाई, बस आजभर…| बस्तर से सरगुजा तक डिजिटल क्रांति का विस्तार, 5000 मोबाइल टावर का लक्ष्य तय – भारत संपर्क न्यूज़ …| Viral Video: खेल दिखाकर जाजूगरनी बन रही थी बेटी, सामने से पापा ने ऐसे किया खेल खत्म