भारत की इकोनॉमी रोज गाड़ रही झंडे, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की…- भारत संपर्क

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भारत की इकोनॉमी रोज गाड़ रही झंडे, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की…- भारत संपर्क
भारत की इकोनॉमी रोज गाड़ रही झंडे, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ पहुंची 5 महीने के हाई पर

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में दिखी ग्रोथ (फाइल फोटो)

इकोनॉमी के मोर्चे पर भारत रोज नए झंडे गाड़ रहा है. पहले अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़े आए, तो इसमें सालाना आधार पर डबल ग्रोथ दिखी और देश की आर्थिक वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही. अब फरवरी के महीने में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 5 महीने के हाई पर पहुंच गई है. सरकार ने जीडीपी में ग्रोथ की वजह भी कंस्ट्रक्शन और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां बढ़ना बताई है.

देश में डिमांड बढ़ने के साथ ही फैक्टरियों में प्रोडक्शन भी बढ़ा है, जिसके चलते फरवरी में भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ 5 महीने के हाई लेवल पर पहुंच गई है. हर महीने कंपनियों के परचेजिंग मैनेजर्स के बीच होने वाले सर्वे की रिपोर्ट ‘पीएमआई इंडेक्स रिपोर्ट’ शुक्रवार को रिलीज हुई. ये रिपोर्ट देश में मैन्यूफैक्चरिंग आउटलुक के बेहतर होने की तस्वीर पेश करती है. सितंबर 2023 के बाद यह पहली बार है जब इस सेक्टर में बेहतर ग्रोथ दिख रही है.

पीएमआई इंडेक्स में तेजी बरकरार

एचएसबीसी इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई फरवरी में बढ़कर 56.9 पॉइंट हो गया, जबकि जनवरी में यह 56.5 पॉइंट पर था. पीएमआई इंडेक्स का 50 पॉइंट से ऊपर रहना, उस सेक्टर में एक्टिविटीज बढ़ने की ओर इशारा करता है. जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है.

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इस सर्वे के मुताबिक फरवरी महीने में फैक्टरी उत्पादन 5 महीनों में सबसे तेज गति से बढ़ा है. इससे पहले सितंबर में ही बढ़िया ग्रोथ देखने को मिली थी. फरवरी में घरेलू बिक्री में ग्रोथ हुई है और एक्सपोर्ट के ऑर्डर भी 21 महीनों में सबसे मजबूत हुए हैं. एचएसबीसी की अर्थशास्त्री इनेस लैम का कहना है कि पीएमआई डेटा से पता चलता है कि डोमेस्टिक और आउटबॉन्ड, दोनों लेवल पर मांग में ग्रोथ हुई है.

रोजगार के लेवल पर दिखा बदलाव

वृद्धि की रफ्तार तेज होने के बावजूद भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार को लेकर थोड़ा बदलाव आया है. सर्वे के मुताबिक काम पर रखे गए कर्मचारियों की संख्या वर्तमान जरूरतों के लिए पर्याप्त थी. जबकि महंगाई के मोर्चे पर कंपनियों की कॉस्टिंग 43 महीने के निचले स्तर पर आई है. कच्चे माल की लागत में साढ़े तीन साल में सबसे धीमी वृद्धि देखी गई. इससे कंपनियों के मार्जिन में सुधार हुआ.

मजबूत घरेलू मांग के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोप, इंडोनेशिया, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात से भी डिमांड बढ़ी है और एक्सपोर्ट ऑर्डर 2 वर्ष में सबसे तेजी से बढ़े हैं.

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