भारत का सेमीकंडक्टर पर ऐसा प्लान, देखते रह गए कोरिया, चीन और…- भारत संपर्क

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भारत का सेमीकंडक्टर पर ऐसा प्लान, देखते रह गए कोरिया, चीन और…- भारत संपर्क
भारत का सेमीकंडक्टर पर ऐसा प्लान, देखते रह गए कोरिया, चीन और ताइवान

भारत अगले पांच सालों में सेमीकंडक्‍टर के सेक्‍टर में सुपर पॉवर बनकर उभरेगा.

कोविड के दौरान दुनिया को सेमीकंडक्टर और चिप की कमी का सामना करना पड़ा था. जिसके कारण मोबाइल हेंडसेट से लेकर गाड़ियों तक की सप्लाई की कमी का सामना करना पड़ा था. उस दौरान सबसे ज्यादा बुरा असर भी ऑटो और इलेक्ट्रोनिक सेक्टर में देखने को मिला था. कोविड से पहले चीन में 80 फीसदी से ज्यादा चिप और सेमिकंडटर का निर्माण होता था. सख्त कोविड प्रतिबंधों की वजह से चीन में मैन्युफैक्चरिंग बंद हुई. जिसका असर पूरी दुनिया में देखने को मिला. चीन की इसी मोनोपॉली को खत्म करने के लिए भारत सामने आ गया है. कई अमेरिकी कंपनियों की मदद से भारत ने सेमीकंडक्टर को लेकर ऐसा प्लान बनाया है, जिसके इंप्लीमेंटेशन के बाद अगले पांच साल में भारत ग्लोबल सेमीकंडक्टर में सुपर पॉवर बनकर उभरकर सामने आ जाएगा. चीन, कोरिया और ताइवान जैसे देश की मोनोपॉली पूरी तरह से खत्म हो जाएगी. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इस बारे में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने क्या जानकारी दी.

भारत बनेगा ग्लोबल लीडर

केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि भारत अपनी डिजाइन क्षमता और 10 अरब डॉलर के प्रोत्साहनों के साथ अगले पांच साल में ग्लोबल सेमीकंडक्टर सेक्टर में एक मजबूत ताकत बनकर उभरेगा. उन्होंने कहा कि ग्लोबल मैन्युफैक्चरर में नए फैब और यूनिट्स स्थापित करने के लिए आकर्षित होंगे तथा इस सेक्टर में ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन जैसे देशों का दबदबा कम होगा. वैष्णव ने एक इंटरव्यू में कहा कि ग्लोबल कंपनियों की सोच अब बदल रही है और वे भारत में जल्द निवेश करना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि बेहतर तरीके से तैयार पॉलिसीज की की वजह से मैन्युफैक्चरर यहां नई फैब (सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट) यूनिट्स लगाना चाहते हैं. ऐसे में वे रिलेटिड सेक्टर्स में निवेश कर रहे हैं.

सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के लिए आवश्यक पार्ट है. इसका यूज वाहनों से लेकर कंप्यूटर, मोबाइल फोन और यहां तक कि वॉशिंग मशीन में भी होता है. भारत में पहले से दुनिया की सर्वश्रेष्ठ व्हीकल कंपनियों मसलन रेनो-निसान से लेकर हुंदै के कारखाने हैं. इसके अलावा यहां कंप्यूटर कंपनियों डेल के अलावा एपल के सप्लायर्स भी मौजूद हैं. इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां सैमसंग की भी यहां मौजूदगी है.

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सरकार ने दिया है इंसेंटिव

अब भारत तेजी से बढ़ते सेमीकंडक्टर विनिर्माण में मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू चेन का विस्तार करना चाहता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने माइक्रोन और टाटा सहित चार खिलाड़ियों को 76,000 करोड़ रुपए का इंसेंटिव दिया है. वैष्णव ने कहा कि डिजाइन प्रतिभाओं का एक-तिहाई भारत में है. भारत अब खुद को चीन के स्थान पर एक लोकतांत्रिक और भरोसेमंद टेक सेक्टर के रूप में पेश कर रहा है. वैष्णव ने कहा कि उनका दृढ़ मत है कि आज प्रत्येक बड़ा सेमीकंडक्टर प्लेयर अपनी निवेश योजना पर नए सिरे से विचार करना चाहता है और भारत आना चाहता है. इसकी वजह सावधानी से तैयार की गई पॉलिसीज हैं.

भारत आना चाहती है ग्लोबल कंपनिया

उन्होंने कहा कि भारत अपनी डिजाइन क्षमता पर आगे बढ़ेगा. इस सेक्टर में देश के पास पहले से ही अंतर्निहित और साबित क्षमता है. वैष्णव ने कहा कि प्रस्तावित फैब (चिप फैब्रिकेशन प्लांट) और तीन एटीएमपी (असेंबली और टेस्टिंग) यूनिट्स के साथ भारत के पास अब सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. मंत्री ने कहा कि जो लोग पहले सोचते थे कि हमें भारत कब जाना चाहिए या क्या हमें भारत जाना चाहिए… अब वे पूछ रहे हैं कि हम कितनी जल्दी भारत जाएं. यही बदलाव है, जो आज हो रहा है. व्यावहारिक रूप से इसका मतलब है कि अब हर बड़ा प्लेयर अपनी निवेश योजनाओं पर नए सिरे से विचार करना चाहेगा और भारत आना चाहेगा.

क्यों अहम हो गया है सेमीकंडक्टर सेक्टर

यह पूछे जाने पर कि भारत कब तक दुनिया के ज्ञात सेमीकंडक्टर गंतव्यों के समक्ष एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में उभरेगा, वैष्णव ने कहा कि निश्चित रूप से अगले पांच साल में. इंफो टेक और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि अमेरिका-चीन तनाव के बीच सेमीकंडक्टर जियो पॉलिटिकल वॉर एरिया में एक नए मोर्चे के रूप में उभर रहा है. वहीं भारत तेजी से कदम उठाते हुए प्रोत्साहनों की पेशकश कर रहा है जिससे खुद को परिचालन का विस्तार करने के लिए विकल्पों की तलाश कर रही वैश्विक कंपनियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य में रूप में पेश कर सके. इसके अलावा इससे घरेलू क्षेत्र की चैंपियन कंपनियां भी ऐसे हाई टेक सेक्टर में उतरने के लिए तैयार होंगी.

1.26 लाख करोड़ के निवेश को मंजूरी दी

वास्तव में भारत के ठोस कदमों और अनुकूल नीतियों की वजह से देश में पहले कमर्शियल ?फैब का प्रस्ताव मिला है. इस सप्ताह सरकार ने 1.26 लाख करोड़ रुपए के कुल निवेश के साथ टाटा ग्रुप के विशाल फैब के साथ तीन सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने के प्रस्तावों को मंजूरी दी है. भारत अब खुद को चिप मैन्युफैक्चरर के बीच एक ताकत के रूप में पेश कर रहा है. वैष्णव ने समझाते हुए कहा कि किसी भी विकासशील देश के लिए, हमारे साइज की इकोनॉमी के लिए, देश के भीतर सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन का होना बहुत महत्वपूर्ण है. हमारे पास बहुत मजबूत डिजाइन क्षमता है. डिजाइन क्षमताओं के साथ हमारे पास मैन्युफैक्चरिंग क्षमता भी होनी चाहिए, तभी इसमें और वैल्यू एड किया जा सकता है.

रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

वैष्णव का मानना है कि सेमीकंडक्टर योजनाएं भारत को आत्मनिर्भर बनाएंगी. इकोनॉमी और विभिन्न उद्योगों पर मल्टीपल प्रभाव डालेगी, रोजगार पैदा करेंगी और आजीविका को बढ़ावा देंगी. हाल में की गई घोषणा के अनुसार, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लि. ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प के साथ भागीदारी में गुजरात के धोलेरा विशेष औद्योगिक क्षेत्र में सेमीकंडक्टर फैब की स्थापना करेगी. इस संयंत्र की क्षमता मासिक आधार पर 50,000 वैफर्स बनाने की होगी. इसमें 91,000 करोड़ रुपए का निवेश होगा. इसके अलावा सरकार ने सरकार ने असम के जगीरोड में नए सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग प्लांट के टाटा के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है. यह सुविधा 27,000 करोड़ रुपए के निवेश के साथ स्थापित की जाएगी. इससे इस सेक्टर में 27,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है.

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