अपनी कमाई का मोटा हिस्सा पान गुटखा पर खर्च कर रहे लोग, हर…- भारत संपर्क
कमाई का मोटा हिस्सा पान-गुटखा पर उड़ा रहे लोग, हर साल इतना बढ़ रहा बोझ
समय-समय पर सरकार नशा-मुक्ति के लिए काम करती रहती है, इसके लिए कई अभियान भी चलाए जाते हैं. लेकिन, फिर भी लोग इन पर अपनी कमाई का मोटा हिस्सा उड़ा देते हैं. भले ही सरकार कितने भी अभियान चला ले या कितनी भी भयानक चेतावनी दे, लोग इसकी अनदेखी करते दिख रहे हैं. इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि इन उत्पादों पर होने वाला पिछले 10 साल में काफी बढ़ गया है.
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 10 साल में पान, तंबाकू और अन्य नशीले पदार्थों पर खर्च बढ़ा है. लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा ऐसे उत्पादों पर खर्च कर रहे हैं. पिछले हफ्ते जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 से पता चलता है कि कुल घरेलू खर्च के एक हिस्से में पान, तंबाकू और नशीले पदार्थों पर खर्च ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बढ़ गया है.
इतना बढ़ गया जेब खर्च
आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में इन मदों पर खर्च 2011-12 के 3.21 फीसदी से बढ़कर 2022-23 में 3.79 फीसदी हो गया है. इसी तरह शहरी क्षेत्रों में खर्च 2011-12 के 1.61 फीसदी से बढ़कर 2022-23 में 2.43 फीसदी हो गया.
पढ़ाई पर खर्च घटा
शहरी क्षेत्रों में शिक्षा पर खर्च का अनुपात 2011-12 के 6.90 फीसदी से घटकर 2022-23 में 5.78 फीसदी रह गया. ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात 2011-12 के 3.49 फीसदी से घटकर 2022-23 में 3.30 फीसदी रह गया. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने अगस्त, 2022 से जुलाई, 2023 तक घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) किया.
पैकेज्ड फ़ूड पर खर्च
घरेलू उपभोग व्यय से संबंधित इस सर्वेक्षण का मकसद प्रत्येक परिवार के मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) के बारे में जानकारी हासिल करना है. इसके तहत देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों और विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों के लिए अलग-अलग रुझानों का पता लगाया जाता है.
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि शहरी क्षेत्रों में पेय पदार्थों और प्रोसेस्ड फूड पर खर्च 2011-12 के 8.98 फीसदी से बढ़कर 2022-23 में 10.64 फीसदी हो गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 2011-12 के 7.90 फीसदी से बढ़कर 2022-23 में 9.62 फीसदी हो गया.