1 लाख रुपये से ज्यादा सैलरी वाली नौकरी…इस एशियाई देश पर सऊदी अरब मेहरबान | Saudi… – भारत संपर्क

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1 लाख रुपये से ज्यादा सैलरी वाली नौकरी…इस एशियाई देश पर सऊदी अरब मेहरबान | Saudi… – भारत संपर्क
1 लाख रुपये से ज्यादा सैलरी वाली नौकरी...इस एशियाई देश पर सऊदी अरब मेहरबान

पिछले साल भी श्रीलंका से सऊदी अरब करीब 63 हजार लोग रोजगार के लिए गए थे. Image Credit source: AP

श्रीलंका पिछले कुछ सालों से वित्तीय संकट से गुजर रहा है. ऐसे में श्रीलंका सरकार कर्जे और मदद के लिए IMF से लेकर UN तक का दरवाजा खटखटा चुकी है. लेकिन इन सब के बीच सऊदी अरब श्रीलंका का सबसे बड़ा मददगार बनकर सामने आया है. श्रीलंका के लोगों को रोजगार देने के मामले में सऊदी अरब दुनिया का नंबर एक देश बन गया है. यूं तो सऊदी अरब रोजगार की तलाश में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे एशियाई देशों से लोग जाते हैं लेकिन साल 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, श्रीलंका से 63,000 से अधिक लोगों को सऊदी में रोजगार मिला है जोकि एशिया में सबसे ज्यादा है.

ऐसा ही कुछ इस साल भी देखने मिलने वाला है, श्रीलंका की सैकड़ों नर्स सऊदी अरब के अस्पातालों में काम करने जा रही हैं. इसको लेकर शुरुआती प्रक्रिया भी पूरी हो गई है. देश की लेबर एंड फॉरेन एम्प्लॉयमेंट मिनिस्ट्री के मीडिया सचिव ने बताया कि मेडिकल क्षेत्र में बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए श्रीलंका से डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ सऊदी जाएंगे. उन्होंने ये भी बताया कि भर्ती के पहले दौर के इंटरव्यू पिछले सप्ताह कोलंबो में हुए हैं.

एक साल में एक हजार नर्स को नौकरी

शुरुआती चरण में 12 महीने के रोलिंग प्रोग्राम में 1,000 नर्सों को रिक्रूट करने का प्लान है. पहले राउंड में 400 अवेदकों में से 95 नर्सों को सऊदी के सरकारी अस्पातालों में सेवा देने के लिए चुना गया है. पैरामेडिकल स्टाफ की मांग को पूरा करने के लिए दूसरा राउंड इस साल अगस्त में शुरू होगा. श्रीलंका के मेडिकल वर्कर्स के सऊदी अरब में काम करने से उनको एक अच्छी सैलरी पर काम करने का मौका मिलेगा.

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कितनी मिलेगी सैलरी

मंदी की मार झेल रही श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर इन नौकरियों का बड़ा असर देखने मिल सकता है. इन नर्सों की औसत आय करीब 5,250 रियाल (लगभग $1,400) है, जोकि श्रीलंका में किसी नर्स को मिलने वाली सैलरी से कहीं ज्यादा है. बता दें विदेशों में रोजगार के अवसरों की तलाश में लगभग 20 लाख श्रीलंकाई लोगों के सालाना पलायन को देखते हुए, देश 2022 के बाद से अपने सबसे गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है. देश की अर्थव्यवस्था इस विदेशी मुद्रा पर बहुत अधिक निर्भर है.

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