दुनिया के सबसे बड़े रेत के टीलों के रहस्य से उठा पर्दा, वैज्ञानिकों ने पता लगाई उम्र… – भारत संपर्क

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दुनिया के सबसे बड़े रेत के टीलों के रहस्य से उठा पर्दा, वैज्ञानिकों ने पता लगाई उम्र… – भारत संपर्क
दुनिया के सबसे बड़े रेत के टीलों के रहस्य से उठा पर्दा, वैज्ञानिकों ने पता लगाई उम्र

रेत का टीला

दुनिया के कई देशों में बड़े बड़े रेगिस्तान हैं. और इन रेगिस्तान में बड़े बड़े रेत के टीले और उस पर बनी रेत की लकीरें देखने में बेहद खूबसूरत लगती है. ये रेत के टीले लोगों को अपनी तरफ काफी आकर्षित करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ये टीले कैसे बनते हैं, कितने समय तक इनका अस्तित्व रहता है. इनकी उम्र कितनी होती है. चलिए हम आपको बताते हैं.

दरअसल पृथ्वी के सबसे बड़े और सबसे जटिल के रेत के टीलों में से एक की उम्र का पता लगा लिया गया. ये पहला मौका है जब किसी रेत के टीले की उम्र का पता लगाया गया है. तारा टीलों या पिरामिड टीलों का नाम उनके खास आकार के आधार पर रखा गया है और इनकी ऊंचाई सैकड़ों मीटर तक होती है

13 हजार साल पहले बना था लाला ललिया टीला

ये टीले अफ्रीका, एशिया और उत्तरी अमेरिका के साथ-साथ मंगल ग्रह पर भी पाए जाते हैं. लेकिन विशेषज्ञ पहले कभी भी ये बताने में कामयाब नहीं हो पाए थे कि इनका निर्माण कब हुआ था. वहीं अब वैज्ञानिकों ने मोरक्को में बने एक टीले का पता लगा लिया है. जिसका नाम लाला ललिया टीला है. वैज्ञानिकों के मुताबिक ये टीला आज से 13 हजार साल पहले बना था. एबरिस्टविथ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज्योफ डुलर के मुताबिक रेत के इन टीलों का निर्माण दिशा बदलने वाली विपरीत हवाओं द्वारा होता है. टीलों की उम्र को समझने से वैज्ञानिकों को उन हवाओं और उस युग की जलवायु को समझने में मदद मिली है.

100 मीटर ऊंचा और 700 मीटर चौड़ा हैटीला

लाला ललिया टीला दक्षिण-पूर्व मोरक्को में स्थित है. ये टीला 100 मीटर ऊंचा और इसकी चौड़ाई 700 मीटर है, ये टीला काफी चमकदार है. वेज्ञानिकों के मुताबिक लाला ललिया टीला अपने निर्माण के बाद बढ़ना बंद हो गया था. करीब 8 हजार सालों तक इसका आकार नहीं बढ़ा, लेकिन उसके बाद इसका विस्तार काफी तेजी से हुआ है.

हर साल ये टीला 50 सेमी की गति से बढ़ रहा है टीला

प्रोफेसर ज्योफ डुलर ने जानकारी देते हुए बताया कि हर साल ये टीला 50 सेमी की गति से रेगिस्तान में बढ़ रहा है. जो लोगों को काफी आश्चर्यचकित करता है. वैज्ञानिकों ने टीले की उम्र का पता लगाने के लिए ल्यूमिनसेंस डेटिंग नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने रेत के कण सेंपल के तौर पर लिए और पता लगाया कि ये कण खिरी बार दिन के उजाले के संपर्क में कब आए थे. इसके बाद एक लैब में इनका विश्लेषण किया गया.

प्रोफेसर डुलर का कहना है कि रेत के कण को अंधेरे में देखा जाता है. रेत के कण के प्रकाश को परखा जाता है. जितनी तेज इन कणों की रोशनी होती है उतने ही पुराने ये कण होते हैं. इन टीलों में चढ़ना काफी मुश्किल होता है. इसके ऊपर चढ़ने पर इंसान कई बार फिसलता है. प्रोफेसर डुलर का कहना है कि ये टीले ऊपर से बेहद खूबूसूरत होते हैं.

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