निवेश से पहले जान लें म्यूचुअल फंड में कैसे काम करती है…- भारत संपर्क

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निवेश से पहले जान लें म्यूचुअल फंड में कैसे काम करती है…- भारत संपर्क
निवेश से पहले जान लें म्यूचुअल फंड में कैसे काम करती है रिटर्न की गणित, फिर हो जाएंगे मालामाल

SIP में निवेश के फायदे

एसआईपी या सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान इंटरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाने इन्वेस्टमेंट टर्म हैं. देश में बहुत से निवेशक Mutual Fund में पैसा लगाकर मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं. लेकिन इसकी जानकारी सभी को नहीं मिल पाती है. कई लोग तो यह भी नहीं समझ पाते हैं कि म्यूचुअल फंड में रिटर्न की गणित कैसे काम करती है. अगर आप निवेश करते हैं तो कैसे आपका प्रॉफिट मिलता है. शेयर मार्केट से कितना गुना रिस्क होता है. आज की स्टोरी में हम आपके इन सभी सवालों का जवाब देने वाले हैं.

ये है कैलकुलेशन

टैक्सेशन के हिसाब से म्यूचुअल फंड की दो हिस्सों में बांट लें. पहले हिस्से में इक्विटी ऑरिएंटेड फंड्स आते हैं तो दूसरे में अन्य सभी म्यूचुअल फंड्स आते हैं. शेयर बाजार पर लिस्ट घरेलू कंपनी में 65 फीसदी निवेश कर रहे हैं तो ऐसी स्कीम इक्विटी ऑरिएंटेड स्कीम होती हैं. इसमें 12 महीने से ज्यादा वक्त तक मुनाफा रिडीम नहीं किया जाता है. ऐसे में यह लॉन्ग टर्म माना जाएगा. अगर आपने 12 महीने के अंदर ही मुनाफा भुना लिया तो यह शॉर्ट टर्म में शामिल हो जाएगा.

इक्विटी ऑरिएटेंड स्कीम के अलावा अन्य सभी स्कीम दूसरी कैटेगरी में आते हैं. इनमें डेट, लिक्विड, शॉर्ट टर्म डेट, इनकम फंड्स, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज, फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान आते हैं. गोल्ड ETF, गोल्ड सेविंग्स फंड, इंटरनेशनल फंड भी इसमें शामिल होते हैं. इस श्रेणी में निवेश 36 महीने पुराना तो लॉन्ग टर्म हो जाता है और 36 महीने से पहले बेचा तो शॉर्ट टर्म माना जाएगा.

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SIP में पैसा लगाते वक्त इसका रखें ध्यान

SIP या STP से जब आप निवेश करते हैं तो हर SIP/STP एक नया निवेश माना जाता है. यहां टैक्सेशन के लिए यूनिट अलोटमेंट की तारीख देखते हैं. यूनिट अलोटमेंट डेट के आधार पर ही लॉक इन पीरियड की जाती है.

मान लीजिए आपने एक साल पहले SIP निवेश शुरू किया. सबसे पहली SIP आपकी एक साल बाद लॉन्ग टर्म होगी. बाद की अन्य SIP पहली SIP के साथ लॉन्ग टर्म नहीं होंगी. SWP यानी सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान का मुनाफा फर्स्ट इन, फर्स्ट आउट (FIFO) मेथड से तय होता है. ऐसे में जो यूनिट सबसे पहले खरीदी, वही यूनिट सबसे पहले भुनाई जाएगी. अलग-अलग डीमैट अकाउंट में यूनिट्स रखी हैं. ऐसे में हर डीमैट अकाउंट एंट्री के आधार पर होल्डिंग पीरियड होगा.

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