सिंगल या दो नहीं इतने कमरों का घर चाहते हैं दिल्ली एनसीआर के…- भारत संपर्क

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सिंगल या दो नहीं इतने कमरों का घर चाहते हैं दिल्ली एनसीआर के…- भारत संपर्क

रियल एस्टेट मार्केट में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. जहां एक ओर कीमतों में इजाफा हुआ है. वहीं दूसरी ओर डिमांड में कोई कमी देखने को नहीं मिली है. अब लोगों ने छोटे घरों तलाश करने की जगह बड़े घरों को तलाशना शुरू कर दिया है. ये बात हम नहीं बल्कि एक सर्वे में निकलकर सामने आई है. दिल्ली-एनसीआर के अलावा देश के बड़े शहरों और महानगरों में लोग 3 बीएचके घर को पसंद करते हैं. ऐसे लोगों की संख्या 50 फीसदी बताई जा रही है. आइए आपको भी बताते हैं आखिर ये सर्वे किसने किया है और इस सर्वे में किस तरह के आंकड़ें बाहर निकलकर सामने आए हैं.

ये फिक्की-एनारॉक की ओर किया गया है. जिनकी कंज्यूमर सेंटीमेंट सर्वे रिपोर्ट से पता चला है कि​ बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और दिल्ली-एनसीआर जैसे शहरों में 50 फीसदी होम बॉयर्स 3-बीएचके पसंद करते हैं. एनारॉक रिसर्च कंपनी ने इस सर्वे को जुलाई-दिसंबर 2023 तक ऑनलाइन तरीके से अंजाम दिया. जिसमें 5,510 पार्टीसिपेंट्स ने ईमेल कैंपेन, वेब लिंक और मैसेजेस समेत अलग’अलग डिजिटल सोर्स के थ्रू अपना रिस्पांस दिया. ये सर्वे 14 शहरों में किया गया था. सर्वे के दौरान पार्टीसिपेंट्स की एज 22-76 वर्ष के बीच देखने केा मिली. खास बात तो ये है कि इस सर्वे की अहम बातें 5 मार्च को दिल्ली में फिक्की रियल एस्टेट शिखर सम्मेलन में निकलकर सामने आईं.

सर्वे की अहम बातें

  • 50 फीसदी लोग की इच्छा 3 बीएचके के आशियाने की है.
  • 38 फीसदी लोग 2 बीएचके के मकान के फेवर में दिखाई दिए.
  • मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन और पुणे में अभी भी ज्यादातर लोग छोटे घरों को पसंद करते हैं.
  • रियल एस्टेट मार्केट में लगातार तेजी बनी हुई है.
  • कीमतों में तेजी के बाद भी बड़े घरों की डिमांड में इजाफा देखने को मिल रहा है.
  • लोगों को डेढ़ करोड़ की कीमत वाले मकान ज्यादा पसंद आ रहे हैं.
  • दूसरी ओर अफोर्डेबल हाउसिंग की डिमांड में गिरावट देखने को मिली है.
  • अफो​र्डेबल हाउसिंग की डिमांड 2020 में 40 फीसदी, 2021 में 25 फीसदी और 2023 में 21 फीसदी रह गई है.

डिमांड मुताबिक हो रही सप्लाई

एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन अनुज पुरी के मुताबिक जिस तरह से बड़े घरों की डिमांड देखी जा रही है उनकी सप्लाई भी उसी के अनुसार देखने को मिल रही है. एनारॉक के मुता​बिक देश के टॉप 7 शहरों में औसत फ्शीलैट के साइज में पिछले साल सालाना 11 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. 2022 में जिसका साइज 1,175 वर्ग फुट था, साल 2023 में 1,300 वर्ग फुट तक आ गया है. सर्वे में खास जानकारी ये निकलकर आई कि पहली बार लॉन्च हो रहे घरों की डिमांड रेडी टू मूव घरों की डिमांड से ज्यादा है.

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बालकनी घरों की डिमांड ज्यादा

सर्वे में छोटे और बड़े शहरों की ओर घर खरीदने वालों के बढ़ते रुझान पर प्रकाश डाला गया. यह उछाल कोविड-19 महामारी के बाद रिटर्न टू ऑफिस (आरटीओ) पॉलिसी के कारण देखने को मिला है. सर्वे के अनुसार 30 ​फीसदी पार्टिसिनेंट्स ने अपना आशियाना खरीदने के लिए सब-अर्बन एरिया की ओर मूव कर रहे हैं. साल 2021 में यह आंकड़ा 25 फीसदी देखने को मिल रहा था. सर्वे के अनुसार 76 फीसदी लोग अब बालकनी वाले घरों की डिमांड ज्यादा कर रहे हैं, जबकि 74 फीसदी होम बायर्स क्वालिटी पर ध्यान दे रहे हैं.

इस वजह से बड़े घरों की डिमांड ज्यादा

क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष और गौड़ ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ के अनुसार पिछले कुछ समय से गौर करें तो होम बायर्स बड़े घर को लेकर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. खासकर कोविड के बाद लोगों के कामकाज करने और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा जगह और एक्स्ट्रा कमरों की मांग कर रहे हैं. इंवेस्टमेंट में भी बायर्स बड़े घरों के ओर ज्यादा रुख कर रहे हैं जिससे लग्जरी रियल एस्टेट में ज्यादा लॉन्च देखे गए हैं. एसकेए ग्रुप के डायरेक्टर संजय शर्मा के मुताबिक वर्क फ्रॉम होम की वजह से लोगों को 1 और 2 बीएचके फ्लैट छोटे पड़ रहे हैं. उन्हें अब ज्यादा जगह की जरूरत महसूस हो रही है, इसलिए लोग अब बड़े घरों की ओर आकर्षित हो रहे हैं.

क्यों पसंद आ रहे हैं बड़े फ्लैट

एस्कॉन इन्फ्रा रियलटर्स के एमडी नीरज शर्मा के अनुसार बड़े घरों की मांग ने रियल एस्टेट मार्केट को कई तरह से प्रभावित किया है. बड़े घरों की डिमांड सिर्फ शहरी इलाकों में ही नहीं, बल्कि उनके आस-पास के इलाकों जैसे नोएडा एक्सप्रेसवे, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, जेवर में भी किफायती घर आज भी मौजूद हैं. काउंटी ग्रुप के डायरेक्टर अमित मोदी के अनुसार, घर से काम करने वाले अधिक लोगों के लिए एक अलग रूम होना प्राथमिकता बन गया है, जिस वजह से ज्यादा कमरों वाले घरों की डिमांड बढ़ी है. 360 रियलेटर्स के डायरेक्टर संजीव अरोड़ा के मुताबिक दिल्ली से सटे एनसीआर में वन और टू बीएचके फ्लैट की मांग कम होने से पता चलता है कि देश के बड़े शहरों में अब बड़ी बिल्डिंग में फ्लैट लेने का सपना मध्यम वर्ग के बजट से बाहर होता जा रहा है. साथ ही इन शहरों में लोग छोटे फ्लैट को रिसेल में लेना काफी पसंद कर रहे हैं.

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