कैसे हैं ताइवान के लोग और उनका खान पान, महिला मंत्री ने भारत के पूर्वोत्तर इलाके से… – भारत संपर्क

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कैसे हैं ताइवान के लोग और उनका खान पान, महिला मंत्री ने भारत के पूर्वोत्तर इलाके से… – भारत संपर्क
कैसे हैं ताइवान के लोग और उनका खान-पान, महिला मंत्री ने भारत के पूर्वोत्तर इलाके से क्यों जोड़ा अपना कनेक्शन?

ताइवान की श्रम मंत्री सू मिंग चुन

ताइवान की श्रम मंत्री हैं सू मिंग-चुन. हाल फिलहाल में उन्होंने भारत पर एक टिप्पणी की थी. जिसे नस्लवादी बयान कहा गया. अब उन्होंने इसके लिए माफी मांग ली है. दरअसल सू मिंग-चुन ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि ताइवान भारत के नॉर्थ ईस्ट यानी उत्तर-पूर्व से लोगों को भर्ती करेगा क्योंकि उनकी स्किन का रंग और खाने की आदतें ताइवान के लोगों से मिलती जुलती है. ताइवान के विदेश मंत्रालय के हालिया बयान के मुताबिक दोनों देशों के बीच श्रम को बढ़ावा देने और ताइवान के इंडस्ट्रीज में लेबर की कमी को कम करने में मदद करने के लिए 16 फरवरी को एक समझौता किया था. उसके बाद ही भारतीय श्रमिकों की भर्ती करने की योजना बनाई गई है. आइए जानते हैं कि ताइवान के लोग और उनका खान-पान में भारत के पूर्वोत्तर इलाकों से कितना मिलता है कितना नहीं.

ताइवान में किस धर्म के लोग ज्यादा हैं?

ताइवान के अस्तित्व पर हमेशा से खतरा मंडराया रहता है. वजह है चीन के साथ चल रहा सदियों पुराना झगड़ा. चीन ताइवान को एक ऐसे प्रांत के रूप में देखता है जो उससे अलग हो गया तो ताइवान को खुद एक अलग देश के रूप में देखता है. बस यही वजह हैं इन दोनों देशों के बीच तनाव की. पर इन सबके बावजूद ताइवान का अपना क्लचर है जो वो अपनाता है. ताइवान की राजधानी है ताइपे. आबादी लगभग 02 करोड़ 38 लाख लोगों की है. यहां लोकतांत्रिक सरकार काम करती है. इसका चुनाव ताइवान के आम लोग करते हैं. यहां की कुल जनसंख्या के लगभग 80% लोग ताइवान के ही मूल निवासी है. वहीं 15 फीसदी लोग चीन से यहां आकर बस गए हैं, बाकी बचे 5% अन्य देशों से आए लोग हैं. ताइवान में लगभग 93% लोग खुद को बौद्ध, ताओवादी या चीनी लोक धर्म में विशवास रखते हैं. ईसाईयों की संख्या लगभग 4.5% है. चाइना सिविल वॉर के दौरान लगभग 20,000 मुसलमान ताइवान भाग गए. 1980 के दशक से, म्यांमार और थाईलैंड के हजारों मुसलमान बेहतर जीवन की तलाश में ताइवान चले गए.

ताइवान में इंडोनेशियाई मुसलमान ज्यादा

हाल के वर्षों में इंडोनेशियाई मुसलमानों में बढ़ोतरी हुई है. एक अनुमान के मुताबिक ताइवान में मौजूदा 53,000 ताइवानी मुसलमानों के अलावा करीब 88,000 इंडोनेशियाई मुसलमान रहते हैं. कुल ताइवान में 140,000 से अधिक मुसलमान है. वैसे सिर्फ मुसलमान ही नहीं, एक और समुदाय भी है, जिसने लंबे समय तक कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की इतनी ज्यादतियां झेलीं कि अब लगभग खत्म हो चुका है. इसका नाम है फालुन गोंग. इसमें खास तरीके से बैठकर या खड़े होकर ध्यान किया जाता है. चीन में तो इस पर बैन है लेकिन ताइवान में लोग इसका अभ्यास करने के लिए आजाद हैं.

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सड़को, घरों में बने हैं छोटे छोटे मंदिर

ताइवान में बड़े मंदिरों के अलावा आपको शहरों, कस्बों के सड़कों के किनारे स्थानीय देवताओं के छोटे मंदिर भी देखने को मिल जाएंगे. भारत की ही तरह ताइवान में कई लोग अपने घरों में भी छोटे मंदिर बनाते हैं. सिर्फ यही नहीं कुछ रेस्तरां ऐसे आपको मिल जाएंगे जहां रसोई देवता की तस्वीर लगी होती है. लोगों का मानना है कि इससे व्यापार में सफलता मिलती है. जैसे भारत में विद्या की देवी सरस्वती हैं वैसे ही ताइवान में स्टूडेंट्स के लिए विद्या के देवता का भी मंदिर हैं जहां वो प्रार्थना कर सकते हैं. यहां के लोगों की खास पहचान संगीत प्रेम और स्वास्थय को लेकर जागरूक होना है.

ताइवान का खान पान कैसा है

दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो जीने के लिए खाते हैं और कई ऐसे जो खाने के लिए जीते हैं. ताइवान के लोग बाद वाली कैटगरी में आते हैं. ताइपे और ताइचुंग जैसे प्रमुख शहरों में हजारों रेस्तरां हैं जो हर बजट और लोगों की पसंद को पूरा करते हैं. मसालेदार सिचुआन (सेचुआन), कैंटोनीज़ और शंघाई-शैली के व्यंजन भी उपलब्ध हैं. बाहर खाना इतना सुविधाजनक और सस्ता है कि बहुत कम अकेले लोग खाना पकाने की जहमत उठाते हैं. ताइवान के लोगों को स्थानीय व्यंजनों का शौक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरे देशों का खाना नहीं मिलता है. ताइचुंग में कुछ अच्छे भारतीय रेस्तरां हैं. तुर्की, जर्मन, लैटिन अमेरिकी और अन्य व्यंजन भी मिल जाएंगे. कॉफ़ी की दुकानें भी अब हर जगह है.

उत्तर पूर्व भारत की संस्कृति

उत्तर पूर्व भारत दुनिया के सबसे सांस्कृतिक रूप से विविध क्षेत्रों में से एक है. यह 200 से अधिक जनजातियों का घर है. जिनमें अफ़ीम धूम्रपान करने वाली जनजातियां है, नागालैंड में हेडहंटर जनजातियाँ, चेहरे पर टैटू गुदवाने वाली, सूर्य और चंद्रमा की पूजा करने वाली, अरुणाचल प्रदेश के जीरो वैली में अपातानी जनजाति शामिल हैं. यहां असमियां, बंगाली, हिंदीं, खासी, मिजों, गारों, कार्बी, नेपाली, बोडो जैसी भाषाएं प्रमुख रूप से बोली जाती हैं. ईसाई धर्म नागालैंड, मिजोरम और मेघालय राज्यों में प्रमुख धर्म है. भोजन की बात करें तो पूर्वोत्तर भारत के लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों पसंद करते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग चिकन, पोर्क, बीफ और मटन जैसे मांसाहारी खाना पसंद करते हैं. हालांकि असम में लोग मछली खाना ज्यादा पसंद करते हैं.

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