रूसी सैनिकों में ‘बाबा यगा’ का खौफ, रूस यूक्रेन युद्ध में बच्चों को खाने वाली चुड़ैल… – भारत संपर्क

0
रूसी सैनिकों में ‘बाबा यगा’ का खौफ, रूस यूक्रेन युद्ध में बच्चों को खाने वाली चुड़ैल… – भारत संपर्क
रूसी सैनिकों में 'बाबा यगा' का खौफ, रूस-यूक्रेन युद्ध में बच्चों को खाने वाली चुड़ैल की चर्चा क्यों?

वैंपायर ड्रोन और बाबा यगा.Image Credit source: पीटर जॉर्डन

यूक्रेन में जंग लड़ने गए रूसी सैनिक डरे हुए हैं. उन्हें डर है ‘बाबा यगा’ का. यानी ऐसा राक्षस जो कहीं से-कभी भी ऐसा हमला कर सकता है जिसमें जीतने की गुंजाइश है ही नहीं. बाबा यगा रूस की लोककथाओं की एक पात्र हैं, जिसे ‘बच्चों को खाने वाली चुड़ैल’ कहा जाता है. रूस के सैनिकों में इसका खौफ साफ नजर आ रहा है.

यूक्रेन की सेना गोलों की कमी से जूझ रही है. तोपें शांत हैं. ऐसे में रूस की अग्रिम पंक्ति पर हमले की कमान संभाली है वैम्पायर ड्रोन ने, बमों से लैस ये ड्रोन दुश्मन की आंखों में धूल झोंककर उन्हें तबाह कर रहे हैं. रूसी सैनिक इनसे कितना डरते हैं इसका उदाहरण बाबा यगा का वो नाम है जो रूसी सैनिकों ने ही इस ड्रोन को दिया है. यह बिल्कुल ऐसे हमला करते हैं जैसे कंप्यूटर पर कोई वीडियो गेम खेला जा रहा हो. पहले आसानी से दुश्मन तक पहुंचते हैं और फिर पलभर में ही उन्हें तबाह कर देते हैं.

यूक्रेन ने खाई ये कसम

तोपों के शांत होने के बाद यूक्रेन के वैंपायर ड्रोन रूसी सेना पर बरस रहे हैं. ये तोपों के मुकाबले सस्ते हैं, लेकिन उनसे ज्यादा घातक साबित हो रहे हैं. यूक्रेन अभी तक रूस के सामने टिके रहने में इनकी बड़ी भूमिका मान रहा है, इसीलिए अब यूक्रेन ने इस साल तकरीबन दस लाख वैंपायर ड्रोन बनाने की तैयारी कर ली है.

ऐसे करते हैं दुश्मन पर हमला

रूसी बंकरों पर हमला करने के लिए एक साथ 4 वैंपायर ड्रोन लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं, इसके लिए रात का वक्त चुना जाता है. सबसे खास बात ये है कि दुश्मन की नजर से बचने के लिए ये चंद्रमा की रोशनी का प्रयोग करते हैं और बिना रोशनी ही बढ़ते जाते हैं. इन पर बेस से नजर रखी जाती है. द सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन वैंपायर ड्रोनों में बम फिट होते हैं, बेस से संपर्क स्थापित करने के लिए इनमें एक एंटीना होता है जो सीधा उपग्रह से कनेक्ट होकर बेस तक अपनी तरंगे भेजते हैं.

कुपियांस्क में रूसी सेना को रोका

कुपियांस्क शहर में यूक्रेन से ताबड़तोड़ हमलों से रूस की सेना को पीछे हटना पड़ा था. अब गोलों की कमी के बाद एक बार फिर रूस की सेना ने इस शहर पर कब्जा करने की कोशिश शुरू की. ऐसे में वैंपायर ड्रोन ही थे, जिन्होंने रूस की सेना को रोका. विशेषज्ञों के मुताबिक गोलों की आपूर्ति की व्यवस्था करते वक्त रूस की सेना को रोकना बहुत मुश्किल था, लेकिन वैंपायर ड्रोन ने काफी हद तक यूक्रेन की मुसीबत को आसान कर दिया.

सेकेंड हैंड कार से भी कम है कीमत

रूस की सेना पर बरस रहे वैंपायर ड्रोन की कीमत एक सेकेंड हैंड कार से भी कम है. ये यूक्रेन की आर्मी ऑफ ड्रोंस की पहल पर क्राउंड फंडेड होते हैं. इनमें एंटी टैंक ग्रेनेड, छर्रे और विस्फोटकों से भरे मोर्टार लोड होते हैं. इनमें छह इंजन होते हैं जो औसतन चार बमों के साथ उड़ान भरते हैं. थर्मल कैमरे से इन पर लाइव नजर रखी जाती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Viral Video: नई कार की डिलीवरी के समय शोरूम में ही नाचने लगे बुजुर्ग दंपति, कैमरे में…| ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो को 27 साल जेल की सजा, क्या है पूरा मामला? – भारत संपर्क| Rajesh Hamal: नेपाल सिनेमा का ‘महानायक’ कहलाता है ये एक्टर, करोड़ों में है… – भारत संपर्क| शादी के बाद रिलेशनशिप में आते हैं ये 6 स्टेज, तीसरा होता है सबसे अहम| Asia Cup 2025 Points Table: बांग्लादेश की टीम का जीत के साथ आगाज, फिर भी पॉ… – भारत संपर्क