भारत तालिबान के बीच काबुल में हुई मीटिंग पाकिस्तान पर क्यों भारी? जानें वजह |… – भारत संपर्क

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भारत तालिबान के बीच काबुल में हुई मीटिंग पाकिस्तान पर क्यों भारी? जानें वजह |… – भारत संपर्क
भारत-तालिबान के बीच काबुल में हुई मीटिंग पाकिस्तान पर क्यों भारी? जानें वजह

तीन दिन पहले भारत और तालिबान के डेलिगेशन ने काबुल में एक अहम बैठक की थी

काबुल में भारतीय और तालिबानी डेलिगेशन के बीच हुई एक मीटिंग ने पाकिस्तान नींद उड़ा दी है. इस मीटिंग में तालिबान के विदेश मंत्री मुत्ताकी भी मौजूद रहे. दिल्ली की तालिबान से बात के बाद इस्लामाबाद के प्राण सूख गए हैं. भारतीय डेलिगेशन की अगुवाई ज्वाइंट सेक्रेटरी जेपी सिंह ने की, जिनकी मुलाकात तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से हुई और विदेश मंत्रालय ने खुद इस मुलाकात की जानकारी दी.

इस बैठक के बाद कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान को अब उसकी अवाम ही आईना दिखाने लगी है. बैठक में तालिबान ने न सिर्फ भारत की मदद के लिए शुक्रिया किया है बल्कि ईरान के चाबहार पोर्ट में 35 मिलियन डॉलर के निवेश का ऐलान किया है. चाबहार पोर्ट वो पोर्ट है जिसके लिए भारत और ईरान ने मिलकर काम किया है. अब अफगान-तालिबान भारत के साथ ट्रेड करने के लिए चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल करेंगे. यही वजह है कि भारत और तालिबान की इस मुलाकात की चर्चा भारत से ज्यादा पाकिस्तान में है.

तालिबान अपनी इकॉनमी को ग्रो करना चाहता है. इसके लिए उन्हें सिर्फ और सिर्फ इंडिया का सपोर्ट चाहिए. ईरान की बात करें तो उसकी ओर से पिछले महीने पाकिस्तान पर 2 अटैक किए गए. ऐसे मे पाकिस्तान की आवाम अब अपनी सरकार से पूछ रही है कि न तो हमारे अफगानिस्तान के साथ ताल्लुकात बेहतर हैं और न ही भारत और ईरान के साथ. इन सूरत-ए-हाल में पाकिस्तान को अपने वजूद के लिए क्या करना पड़ेगा?

जिस देश में पाकिस्तान के दुश्मन, वो भारत के करीब आ रहा

इन्हीं सब को देखते हुए पाकिस्तान को अपने वजूद की फिक्र सताने लगी है. क्योंकि जिस अफगानिस्तान में पाकिस्तान के दुश्मन बैठे हैं वो मुल्क भारत के करीब आ रहा है. भारत ने जून 2022 में काबुल में अपने टेक्निकल मिशन की शुरुआत की थी. तब से भारत लगातार अफगानिस्तान के अधिकारियों से मिलकर मानवीय मदद पहुंचा रहे हैं.

हाल की विजिट में डेलीगेशन ने अफगान अधिकारियों से भी मुलाकात की. डेलीगेशन की मुलाकात पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई से भी हुई. भारत ने अफगानिस्तान के लोगों की मदद के लिए बात की साथ ही अफगान ट्रेडर्स की तरफ से चाबहार पोर्ट के इस्तेमाल पर भी बात हुई. भारत के इसी कूटनीतिक कदम ने पाकिस्तान की रातों की नींद हराम कर दी है क्योंकि तालिबान ने भी साफ कर दिया है कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी देश के खिलाफ नहीं करने देगा. पाकिस्तानी मीडिया ने खुद की सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है.

तालिबान का भारत को भरोसा

तालिबान सरकार के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि अफगान-भारत संबंधों को सामान्य बनाना और इसे सदियों पुरानी दोस्ती के स्तर पर ले जाना दोनों देशों के हित में है. हम किसी को भी भारत या किसी दूसरे देश के खिलाफ अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देंगे.

ये वही तालिबान है जो सिर्फ दो साल पहले अफगानिस्तान में सरकार बनाई. 2 साल के अंदर अफगानिस्तान की नई सरकार ने भारत को साथ लेकर चलने का फैसला कर लिया है. तालिबान को पता है कि भारत के बिना वो अपनी अवाम के लिए कुछ कर नहीं पाएगा. वहीं भारत ने भी लगातार अफगानिस्तान की मदद की है.

पाकिस्तान में गरीबी, भुखमरी और महंगाई चरम पर

पाकिस्तान में गरीबी, भुखमरी, महंगाई चरम पर है लेकिन पाकिस्तान ने आज तक अपनी पॉलिसी नहीं बदली. जहर उगलना बंद नहीं किया, आतंकियों को पालना पोसना बंद नहीं किया. यही वजह है कि पूरी दुनिया भी पाकिस्तान को अच्छे से समझ गई है, लेकिन पाकिस्तान की जुबान पर कश्मीर का ही नाम आ जाता है.

(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)

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