24 साल से सत्ता में हैं व्लादिमीर पुतिन, आखिर हर बार जीत कैसे जाते हैं? | russian… – भारत संपर्क

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24 साल से सत्ता में हैं व्लादिमीर पुतिन, आखिर हर बार जीत कैसे जाते हैं? | russian… – भारत संपर्क
24 साल से सत्ता में हैं व्लादिमीर पुतिन, आखिर हर बार जीत कैसे जाते हैं?

रूस के राष्ट्रपति पुतिन. (फाइल फोटो)

रूस में 15 मार्च को राष्ट्रपति के चुनाव होने हैं. चुनाव इतने करीब आने के बाद भी रूस की जनता में चुनावों को लेकर कोई दिलचस्पी नजर नहीं आ रही है. क्योंकि 24 सालों से सत्ता पर व्लादिमीर पुतिन का ही कब्जा है. हालांकि यूक्रेन के साथ जंग को लेकर मॉस्को में कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं और रूस के अंदर पुतिन के खिलाफ लोगों में गुस्सा भी देखा गया है. लेकिन इन सबके बावजूद उम्मीद है कि पुतिन पांचवीं बार राष्ट्रपति बनेंगे. दुनिया भर के चुनावों पर नजर रखने वाले यूरोप के सुरक्षा और सहयोग संगठन ने कहा कि इस बार रूस द्वारा उसके इलेक्शन ऑबजर्वर्स को आमंत्रित नहीं किया गया है. ये संगठन चुनावी प्रक्रिया का निष्पक्ष और स्वतंत्र मूल्यांकन सुनिश्चित कर रिपोर्ट तैयार करता है.

यूं तो रूस के अंदर एक लंबा-चौड़ा सिस्टम है लेकिन असलियत में यहां चलती राष्ट्रपति यानी पुतिन की ही है. क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़ा देश होने के बावजूद यहां चुनाव को लेकर भारत जैसा उत्साह देखने नहीं मिलता. रूसी कानून के हिसाब से कोई भी 21 साल का रूसी नागरिक चुनाव में खड़ा हो सकता है, लेकिन पिछले 25 साल से पुतिन को कोई नहीं हरा पाया है. आइये जानने की कोशिश करते है पुतिन को हाराना इतना मुश्किल क्यों हैं.

किस से है पुतिन का मुकाबला?

चुनाव में इस बार पुतिन के सामने तीन उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है. नेशनालिस्ट कंजर्वेटिव पार्टी से स्लटस्की, कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार निकोलाई खारितोनोव और एक व्यवसायी व्लादिस्लाव दावानकोव. ये तीनों उम्मीदवार यूक्रेन पर आक्रमण के समर्थक हैं. यूक्रेन जंग का विरोध करने वाले संभावित उम्मीदवार बोरिस नादेजदीन और येकातेरिना डंटसोवा थे, लेकिन उनके आवेदन आयोग ने खारिज कर दिए.

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रूस का पॉलिटिकल सिस्टम

भारत की तरह ही रूस की सरकार में भी दो सदन हैं. रूस में सांसद को फेडरल असेंबली कहा जाता है. इसके भी भारत की तरह ही दो हिस्से हैं. काउंसिल ऑफ फेडरेशन यानी कि अपर-हाउज और स्टेट डुमा यानी लॉवर-हाउज हैं. स्टेट डुमा के साथ मिलकर फेडरेशन काउंसिल कानूनों का मसौदा तैयार करने, उनकी समीक्षा करने और कानून को लागू करने पर निर्णय लेती है. इसके अलावा इसके पास राष्ट्रपति द्वारा लगाए जाने वाले सैनिक शासन को भी नामंजूर करने की ताकत होती है. इस सबके बावजूद रूस में असली पावर प्रेसिडेंट के पास ही रहती है. रूस में सबसे शक्तिशाली शख्स राष्ट्रपति को ही माना जाता है.

राष्ट्रपति बने रहने के लिए पुतिन ने बदला कानून

68 साल के पुतिन दो दशकों से ज्यादा समय से सत्ता में हैं. पहले रूस में राष्ट्रपति का कार्याकाल 4 साल का हुआ करता था. पुतिन ने इसको 2012 में 6 साल किया, इसके अलावा 2021 में इलेक्शन रिफॉर्म के नाम पर लाए गए नए कानून पर साइन कर पुतिन ने अपने 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने का रास्ता साफ कर लिया था.

कैसे होगा इस बार चुनाव?

रूस में वोटिंग शुक्रवार को शुरु होकर रविवार को खत्म होगी. रूस में पहले बार मतदान एक दिन की जगह तीन दिन तक चलेगा. पहली बार देश में मतदाताओं को ऑनलाइन वोटिंग का ऑपशन भी दिया जा रहा है. ये सुविधा 27 रूसी क्षेत्रों और क्रीमिया में दी जा रही है. क्रीमिया को मॉस्को ने 10 साल पहले अवैध रूप से यूक्रेन से जंग जीत कर रूस में मिलाया था.

यूक्रेन जंग में जीते इलाकों में भी मतदान

2022 में यूक्रेन पर फुल स्केल इंवेजन करने का बाद हासिल किए गए चार क्षेत्रों में भी रूस इस बार वोटिंग करा रहा है. इनमें कुछ पर तो रूसी सेना का पूरी तरह से नियंत्रण भी नहीं हो पाया है. रूस के इस कदम की यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने निंदा की है.

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