गैस सिलेेंडर हुआ महंगा, कोयला जलाना पड़ रहा सस्ता, शाम होते…- भारत संपर्क
गैस सिलेेंडर हुआ महंगा, कोयला जलाना पड़ रहा सस्ता, शाम होते ही सिगड़ी के धुएं से घुटने लगता है दम
कोरबा। कोरबा ऊर्जाधानी नगरी है। यहां प्रदूषण सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। इस समस्या को दूर करने के लिए उज्जवला योजना पर जोर दिया गया था। इस दौरान एक लाख 26 हजार 562 हितग्राही परिवारों को गैस सिलेंडर उपलब्ध कराया गया था, लेकिन गैस सिलेेंडर के बढ़ते दाम की वजह से यह आम लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही है। लोगों ने दूसरे विकल्प के रुप में कोयला सिगड़ी का उपयोग करना एक बार फिर शुरू कर दिया है। लोगों को कोयला व लकड़ी आसानी से मिल जाता है। शहर के चारों तरफ से रेल लाइन गुजरी हुई है। इस रेल लाइन से मालगाड़ी बिना तिरपाल ढंके निकल रही है।कोयला ढुलाई के दौरान मालगाड़ी से कोयला गिर रही है। इन कोयलों को रेल लाइन के किनारे रहने वाली महिलाएं खाना पकाने के लिए उपयोग कर रही हैं। कुछ साल पहले जब उज्जवला योजना की शुरूआत हुई, तब कोयले की खपत कम थी, लेकिन गैस के दाम लगातार बढ़ते चले गए। काफी दिनों तक घरेलू सिलेंडर के दाम 992 रुपए था। चुनावी साल में जरूर दाम में कुछ कटौती की गई है। इस कारण लोग धीरे-धीरे गैस सिलेंडर का उपयोग कम करने लगे हैं। शाम होते ही शहर के संजय नगर, मुड़ापार, सर्वमंगला रोड, पुरानी बस्ती, सीतामणी, मोतीसागर पारा, कुआंभ_ा, बुधवारी बस्ती सहित अन्य क्षेत्रों में धुआं ही धुआं नजर आता है। यह पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है। यह खासकर गृहणियों के स्वास्थ्य के हानिकारक साबित हो सकता है। बावजूद इसके कोयला व लकड़ी की उपयोगिता का कम करने के लिए प्रशासन की ओर से गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।शहर के संजय नगर, मुड़ापार, सर्वमंगला रोड, सीतामणी, कुआंभ_ा सहित कई बस्तियां मुख्य मार्ग के समीप है। महिलाएं सडक़ के किनारे कोयला सिगड़ी जलाकर छोड़ देते हैं। इससे मुख्य मार्ग धुएं के आगोश में आ जाता है। स्थिति यह रहती है कि सामने 100 मीटर की दूरी से आ रही गाडिय़ां व लोग भी नजर नहीं आती है। इससे आए दिन दुर्घटना की स्थिति निर्मित हो रही है। वहीं बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।