जानिए ब्रिटेन में अब किसे माना जाएगा चरमपंथी, बढ़ते प्रदर्शन के बाद फैसला | UK… – भारत संपर्क


ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक
ब्रिटेन की सरकार इन दिनों सुरक्षा की दृष्टि से काफी सतर्क नजर आ रही है. मौजूदा ऋषि सुनक सरकार इसी सिलसिले में चरमपंथ की एक नई परिभाषा लेकर आई है. ऐसा सुनक सरकार को लंदन में लगातार हो रहे इजराइल विरोधी प्रदर्शन और दूसरी उकसावे वाली घटनाओं के बाद करना पड़ा है. हालिया प्रदर्शनों में 7 अक्टूबर के हमास के हमले के बाद ‘इजराइली कार्रवाई’ की आलोचना की जा रही.
ब्रिटेन सरकार की नई परिभाषा के मुताबिक हिंसा, घृणा या असहिष्णुता पर आधारित किसी भी विचारधारा का प्रचार-प्रसार उग्रवाद या अतिवाद माना जाएगा. नई परिभाषा की मानें तो वैसे किसी भी ग्रुप और व्यक्ति को चरमपंथी माना जाएगा जो अपनी विचारधारा के जरिये दूसरों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाएगा. साथ ही, अब से यूनाइटेड किंगडम की ‘उदार संसदीय लोकतंत्र और लोकतांत्रिक अधिकारों’ को कमजोर करने की किसी भी कोशिश को चरमपंथ से जोड़कर देखा जाएगा.
पुरानी परिभाषा क्या थी?
वहीं जो पुरानी परिभाषा थी, वह उग्रवाद या अतिवाद को ब्रिटेन के मौलिक मूल्यों जैसे पारस्परिक सम्मान और सहिष्णुता के सक्रिय विरोधी के तौर पर देखती थी. चर्च के धर्मगुरूओं ने नई परिभाषा के बाद चेतावनी दी है कि इससे मुस्लिम समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने का खतरा है. ऋषि सुनक ने मार्च महीने के शुरुआत ही में दावा किया था कि ब्रिटेन में चरमपंथ और आपराधिक गतिविधियों में चौंकाने वाली बढ़ोतरी दिखी है और देश भीड़ वाले शासन की ओर बढ़ता नजर आ रहा है.
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‘नई परिभाषा ज्यादा सटीक’
नई परिभाषा के बाद ब्रिटेन ने कहा है कि ये किसी को चुप कराने के लिए नहीं है बल्कि उनकी पहचान करने के लिए है जो और लोगों के मौलिक अधिकार को कुचल रहे हैं. ब्रिटेन का कहना है कि वह अपनी विविधता के कारण मजबूत है लेकिन ब्रिटेन के लोकतंत्र और सहिष्णुता को चरमपंथियों से चुनौती मिल रही है.
सुनक की सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी को हाल के हफ्तों में इस्लामोफोबिया से संबंधों को लेकर निशाना भी बनाया गया. ऐसे में, सरकार नई परिभाषा लेकर आई है. सरकार का कहना है कि नई परिभाषा 2011 की पिछली परिभाषा की तुलना में ज्यादा सटीक है.