टाटा, मारुति से लेकर हुंडई तक हर महीने 1 नई इलेक्ट्रिक गाड़ी…- भारत संपर्क

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टाटा, मारुति से लेकर हुंडई तक हर महीने 1 नई इलेक्ट्रिक गाड़ी…- भारत संपर्क

भारत सरकार ने हाल ही में ईवी पॉलिसी में बदलाव किया है. जिसमें इंपोर्टिड ईवी को काफी रियायत दी गई है. जिससे टेस्ला जैसी गाड़ियों की एंट्री काफी आसान हो जाएगी. ऐसे में इंडियन प्लेयर्स ने भी कमर कस ली है. भारत के मार्केट में कब्जा जमाने के लिए देश के मेन ऑटो प्लेयर्स मारुति सुजुकी, हुंडई और टाटा मोटर्स तक ने अगले दो सालों में हरेक महीने एक इलेक्ट्रिक कार लॉन्च करने का मन बना लिया है. ताकि कंज्यूमर्स को ज्यादा से ऑप्शन मिल सके. साथ ही कीमतों का दबाव भी कम हो सके. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर भारत की ऑटो कंपनियां किस प्लान पर काम कर रही हैं.

ईवी सेल कम होने के कारण

मारुति सुजुकी के सीनियर एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (मार्केटिंग और सेल्स) शशांक श्रीवास्तव ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि देश में पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में ईवी अडॉप्शन काफी स्लो देखने को मिला है. मौजूदा समय में जीएसटी रेट में रियायत के बाद भी अडॉप्शन लेवल 2.2 फीसदी है. जिसके 3 प्रमुख कारण हैं. पहला हाई कॉस्ट जोकि गैसोलीन कारों के मुकाबले 1.3 से 1.7 गुना ज्यादा महंगी है. दूसरा प्रमुख कारण चार्जिंग इंफ्रा में कमी है, जिसकी वजह से संभावित खरीदारों में डर बना हुआ है. तीसरा प्रमुख कारण मॉडल और ऑप्शन काफी कम है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि जैसे-जैसे बैटरी की कीमतें कम होंगी और जैसे-जैसे ज्यादा मॉडल लॉन्च होंगे और रेंज की चिंता दूर होगी, ईवी खरीदने वालों की संख्या में इजाफा देखने को मिलेगा.

20 फीसदी हो जाएगी हिस्सेदारी

उन्होंने आगे कहा कि उम्मीद है कि साल 2030 तक भारत में ईवी की पहुंच लगभग 20 फीसदी हो जाएगी. आने वाले दिनों में मार्केट में मिड एसयूवी सेगमेंट की 12 गाड़ियां लॉन्च हो सकती हैं. जिसमें हुंडई क्रेटा और मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा जैसे लोकप्रिय मॉडल हो सकता हैं. सब-कॉम्पैक्ट, कॉम्पैक्ट और प्रीमियम एसयूवी कैटेगिरी में आधा दर्जन एसयूवी लॉन्च होने की संभावना है. इसके अलावा एंट्री और प्रीमियम सेगमेंट में एक-एक इलेक्ट्रिक हैच, एक प्रीमियम इलेक्ट्रिक सेडान जैसी ईवी भी लॉन्च होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

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कितने प्रोडक्शन का अनुमान

मौजूदा समय में 30 लाख रुपए तक की कीमत वाली लगभग छह इलेक्ट्रिक कारें हैं, कस्टमर्स के लिए ऑप्शन को काफी कम कर देती हैं. नए प्रोडक्ट्स के आने के बाद स्थानीय ऑटो कंपनियों को उम्मीद है कि 2030 तक इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री दस गुना से अधिक बढ़कर 1-1.5 मिलियन यूनिट प्रति वर्ष हो जाएगी. कैलेंडर ईयर 2023 में देश में लगभग 83,000 इलेक्ट्रिक कारें बेची गईं. वित्त वर्ष 2025 में ही, कार मेकर मारुति सुजुकी eVX, टाटा कर्व, किआ EV9 और महिंद्रा XUV e8 सहित 10 EV लॉन्च करने के लिए तैयार हैं. किआ इंडिया के नेशनल हेड (सेल्स और मार्केटिंग) हरदीप सिंह बराड़ ने कहा कि 30 लाख रुपए तक की कीमत वाले केवल सीमित मॉडल हैं, जिससे बड़े पैमाने पर बाजार में कस्टमर्स के लिए ऑप्शन काफी कम हो गए हैं.

ईवी चार्जिंग इंफ्रा पर हो रहा काम

देश में लगभग 12,000 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन हैं, जबकि 68,000 फ्यूल स्टेशन पेट्रोल और डीजल डिस्ट्ररब्यूट करते हैं. सरकार, प्राइवेट सेक्टर के सहयोग से, पहले से ही देश भर में ईवी चार्जिंग इंफ्रा के विस्तार की दिशा में काम कर रही है. पिछले साल, भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने 7,432 पब्लिक ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए सरकारी ऑयल कंपनियों को कैपिटल सब्सिडी के रूप में 800 करोड़ रुपए मंजूर किए थे. मंत्राालय की ओर से अन्य संस्थाओं को भी 148 चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की भी मंजूरी दी.

ईवी पसंद करने वालों की संख्या में इजाफा

उद्योग का अनुमान है कि जैसे—जैसे नई कारों की लॉन्चिंग होगी और चार्जिंग इंफ्रा में इजाफा होगा वैसे—वैसे ईवी को पसंद करने वालों की संख्या में भी इजाफा होगा, जोकि 3 गुना तक बढ़ सकता है. चार्जिंग इंफ्रा के बनने के साथ दशक के अंत तक नई कारों की बिक्री में इलेक्ट्रिक व्हीकल की हिस्सेदारी मौजूदा 2 फीसदी से बढ़कर 18-30 फीसदी होने की संभावना है. इसका मतलब साल 2030 तक हर साल बाजार में लगभग दस लाख इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री होगी.

तो कितना बढ़ जाएगा प्रोडक्शन

एसएंडपी ग्लोबल मोबिलिटी के एसोसिएट डायरेक्टर गौरव वांगल ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसे कार मेकर्स की प्लानिंग को देखने के बाद ऐसा लगता है कि भारत में इलेक्ट्रिक लाइट व्हीकल का प्रोडक्शन 2030 तक 1.5 मिलियन यूनिट प्रति वर्ष तक हो सकता है. उन्होंने कहा कि यहां तक कि मार्केट लीडर्स मारुति सुजुकी और हुंडई ने भी दशक के अंत तक इस सेक्टर में लगभग एक दर्जन मॉडल लॉन्च करने की योजना की घोषणा की है. उसने कहा कि हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि हाइब्रिड, सीएनजी, इथेनॉल और फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल पर बहुत काम हो रहा है.

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