ऋषभ पंत के लिए ‘गुरु’ बन सकते हैं युवराज, दोनों ने करीब से देखी है मौत | ri… – भारत संपर्क

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ऋषभ पंत के लिए ‘गुरु’ बन सकते हैं युवराज, दोनों ने करीब से देखी है मौत | ri… – भारत संपर्क

युवी को गुरु बनाना ऋषभ पंत के लिए क्यों जरूरी है? (PC-युवराज सिंह इंस्टाग्राम)
मैदान में वापसी ऋषभ पंत की हो रही है लेकिन बात युवराज सिंह से शुरू करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि 2011 में युवी ने भी मौत को बहुत करीब से देखा था. उन्होंने भी कैंसर का इलाज कराने के बाद मैदान में वापसी की थी. लेकिन वापसी के बाद वो पहले वाले युवराज नहीं थे. ऋषभ पंत भी पहले वाले पंत नहीं रहेंगे. पहले बात युवराज सिंह की. 2011 विश्वकप में युवी प्लेयर ऑफ द सीरीज थे. टूर्नामेंट में उन्होंने साढ़े तीन सौ से ज्यादा रन बनाए थे. बल्लेबाजी में 90 से ज्यादा की औसत थी. 15 विकेट लिए थे. वर्ल्ड कप के ऐन बाद पता चला था कि युवराज सिंह को एक दुर्लभ किस्म का कैंसर है. वर्ल्ड कप के दौरान उन्हें क्रीज पर बैठकर खांसते हुए समूचे हिंदुस्तान ने देखा था. उनकी खांसी से खून आ रहा था. युवराज सिंह तय कर चुके थे कि अब इलाज की प्रक्रिया वर्ल्ड कप के बाद ही शुरू होगी. 2 अप्रैल को जब उन्होंने धोनी के साथ मिलकर टीम इंडिया को फाइनल जीता दिया तो उनकी आंखों में आंसू थे. लेकिन जल्दी ही उनके लाखों फैंस की आंखों में भी आंसू थे क्योंकि उनके कैंसर की खबर जंगल में आग की तरह फैली थी.
युवराज विदेश चले गए. वहां उनका इलाज चला. कीमोथेरेपी से युवी के बाल झड़े. लेकिन युवी ने उसकी तस्वीर भी साझा की. युवी को हिम्मत देने के लिए उनकी मां साथ थीं. कुछ करीबी दोस्त भी थे. युवी ठीक हुए. मैदान में वापसी की. इस वापसी के बाद भी उन्होंने अच्छी खासी क्रिकेट खेली. लेकिन ये क्रिकेट उस बदले हुए युवराज सिंह ने खेली जिसने मौत को बहुत करीब से देखा था.
युवराज सिंह में क्या बदल गया?
युवराज सिंह जब कैंसर से जंग जीतकर लौटे तो मैंने उनका इंटरव्यू किया था. उस इंटरव्यू में हम दोनों भावुक थे. युवराज सिंह ने कहा- “अब मैं आम आदमी की अहमियत समझता हूं. उसका दर्द समझता हूं. अब मैं जिंदगी को ज्यादा ‘एप्रिसिएट’ करता हूं. क्योंकि मैं ऐसी जगह से लौटा हूं जहां से यही नहीं पता था कि लौटूंगा या नहीं.” दरअसल अमेरिका में जब युवराज सिंह का इलाज शुरू हुआ तो उन्हें यही नहीं पता था कि आगे कभी खेल पाएंगे या नहीं. जिंदगी बचेगी या नहीं. उस वक्त लगता था कि क्रिकेट तो बाद की बात है पहले जिंदगी तो बचे. जिंदगी ही नहीं रहेगी तो क्रिकेट कहां से आएगा. ऐसे मुश्किल वक्त में लांस आर्मस्ट्रॉंग ने उन्हें प्रभावित किया. जो कैंसर से जंग जीतकर आए थे.
युवराज सिंह ठीक होकर लौटे तो ये भी बोले- अब अच्छे खान- पान और सांस लेने की अहमियत समझ आई है.” युवराज सिंह को पैसे या किसी और संसाधन की कमी नहीं थी. लेकिन जिंदगी में बुनियादी बातों की अहमियत उन्हें समझ आ चुकी थी. युवी कहते थे- “कैंसर मेरे शरीर पर एक निशान छोड़कर गया है. मैं चाहूंगा मुश्किल परिस्थियों से सीखूं. आम लोगों के लिए, सोसाइटी के लिए कुछ करूं.” युवी ने कैंसर से लड़ने के ‘यूवी कैन’ नाम की संस्था शुरू की. वो कैंसर से पीड़ित छोटे बच्चों को चिट्ठियां लिखते हैं, आंखों में आंसू आते हैं लेकिन वो कहते हैं- “कैंसर के रोगियों को सिम्पैथी नहीं प्यार चाहिए.”
पंत के लिए ‘गुरु’ बन सकते हैं युवराज
ऋषभ पंत ने भी मौत को बहुत करीब से देखा है. फर्क ये है कि वो सड़क हादसे का शिकार हुए थे. उन्हें समय से अस्पताल पहुंचाने वाले लोग मिल गए. समय से उनका इलाज शुरू हो गया. उन्हें बीसीसीआई ने पूरा ‘सपोर्ट’ दिया. उनकी सर्जरी हुई. लेकिन इन सारी बातों से अहम उनकी वो पहली पोस्ट थी जिसमें उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने की तस्वीर पोस्ट की थी. इसके बाद ऋषभ पंत की मेहनत का दौर शुरू हुआ. वो लगातार अपनी फिटनेस के अपडेट्स डालते रहे. जब उन्होंने जिम में ‘वेट ट्रेनिंग’ के वीडियो डालने शुरू किए. सर्जरी के बाद अपने पैर पर चलना, दौड़ना, वेट ट्रेनिंग करना ये सब ऋषभ पंत के लिए ‘लग्जरी’ हो गए. उन बातों में उन्हें सुख मिलने लगा जो कुछ महीनों पहले तक वो रोज किया करते थे. यही बदलाव है.
पंत को भी एक्सीडेंट के बाद जब होश आया होगा तो क्रिकेट से पहले जिंदगी की अहमियत समझ आई होगी. अब वो मैदान में वापसी के लिए तैयार हैं. उन्हें एनसीए से फिटनेस सर्टिफिकेट मिल गया है. वो अपनी फ्रेंचाइजी के लिए अहम खिलाड़ी हैं. टीम के कप्तान हैं. इस सीजन में जिस दिन उनकी टीम पहली बार मैदान में उतरेगी वो दिन ऋषभ पंत के लिए ‘डेब्यू’ की तरह होगा. इस सीजन के कुछ अच्छे मैच उन्हें टी20 वर्ल्ड कप की टीम में जगह दिला सकते हैं. पंत के लिए अगले कुछ दिन बहुत अहम रहने वाले हैं. वो युवराज सिंह को ‘फॉलो’ कर सकते हैं.

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