मंडला लोकसभा सीट: कभी कांग्रेस के लिए थी सेफ हाउस, अब बीजेपी का गढ़ बनी | L… – भारत संपर्क

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मंडला लोकसभा सीट: कभी कांग्रेस के लिए थी सेफ हाउस, अब बीजेपी का गढ़ बनी | L… – भारत संपर्क

मध्य प्रदेश के महाकौशल क्षेत्र में पड़ने वाली मंडला लोकसभा सीट कई मामलों में बेहद महत्वपूर्ण है. एक वक्त था जब यह सीट कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश में सबसे सुरक्षित सीटों में से एक थी. लेकिन, धीरे-धीरे कांग्रेस ने इस सीट पर अपना बजूद खो दिया और बीजेपी ने अपनी पकड़ मजबूत कर ली. मंडला लोकसभा सीट से फग्गन सिंह कुलस्ते 1996 से 2004 तक लगातार चुनाव जीते हैं. 2009 में कांग्रेस ने इस सीट पर वापस कब्जा जमाया था लेकिन 2014 में कुलस्ते ने फिर बाजी मारी और 2019 का चुनाव भी इन्होंने बीजेपी के नाम किया. शहडोल की तरह यह संसदीय क्षेत्र भी नर्मदा से सुंदर घाटों से भरा हुआ है.
पूरे देश और विदेशों तक वाइल्ड लाइफ के लिए फेमस कान्हा नेशनल पार्क मंडला में ही है. यहां पर हर साल हजारों देसी-विदेशी सैलानी घूमने के लिए आते हैं. यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है. यहां पर अन्य दर्शनीय स्थलों की बात की जाए तो मंडला शहर से मात्र तीन किलोमीटर दूरी पर नर्मदा के बेहद सुंदर घाट हैं जिसे सहस्त्र धारा के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि यहां से नर्मदा हजार धाराओं में बहती हैं जो कि कई छोटे-बड़े झरने बनाती हैं. इनकी खूबसूरती बस देखते ही बनती है. यहां पर नर्मदा नदी काले ग्रेनाइट पत्थर और बेसाल्ट के बीच से कल-कल कर बहती हैं.
इनके अलावा मंडला में ऐतिहासिक धरोहरों को अपने अंदर समेटे हुए रामनगर के महल भी दर्शनीय हैं. यहां पर मोती महल, राय भगत की कोठी, बेगम महल और प्रसिद्ध विष्णु मंदिर है. विष्णु मंदिर की स्थापना राजा हिरदय शाह की पत्नी सुंदरी देवी ने करवाया था. इसके शिखर का आकार गुंबदाकार है, हालांकि इस मंदिर में अब कोई मूर्ति नहीं है. नर्मदा के कई घाट भी यहां पर बहुत खूबसूरत हैं प्रसिद्ध हैं जिनमें रपटा घाट, रंगरेज घाट, नाव घाट, किला घाट, हनुमान घाट, नाना घाट आदि हैं. यहां एक गर्म पानी का कुंड भी प्रसिद्ध है.
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राजनीति ताना-बाना
इस सीट का निर्वाचन 1952 में ही किया गया था, तभी से यहां पर कांग्रेस का काफी स्टॉन्ग होल्ड रहा है. यहां से सबसे पहली बार कांग्रेस के मंगरू गनु उइके ने चुनाव जीता था. इसके बाद लगातार यहां पर कांग्रेस लोकसभा चुनाव जीतती रही है. 1977 में श्यामलाल धुर्वे ने जनता पार्टी से चुनाव लड़ा और जीत गए. हालांकि इसके बाद फिर से यह सीट कांग्रेस के पास चली गई. 1991 में आखिरी बार यहां से कांग्रेस ने चुनाव जीता था जिसमें मोहन लाल झिकराम ने तीसरी बार लगातार जीत हासिल की थी.
1996 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया. इसके बाद यहां बीजेपी की जड़ें बढ़ती ही गईं. लगातार चार बार जीत दर्ज करने के बाद 2009 में यह सीट बसोरी सिंह मसराम ने फिर कांग्रेस के पाले में कर दी. हालांकि 2014 में फिर से कुलस्ते ने वापसी की और फिर लगातार 2 बार जीत दर्ज की. मंडला सीट पर बीजेपी के लिए फग्गन सिंह सबसे ज्यादा भरोसेमंद नाम हैं.
पिछले चुनाव में क्या रहा?
2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो यहां पर बीजेपी से फग्गन सिंह कुलस्ते खड़े थे जबकि कांग्रेस ने कमल सिंह मरावी को टिकट दिया था. इस चुनाव में जीजीपी यानी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार खड़ा किया था. चुनावी नतीजों ने कांग्रेस की सारी मेहनत पर यहां पानी फेर दिया था. बीजेपी के फग्गन सिंह ने कांग्रेस के मरावी को करीब 1 लाख वोटों से हराया था. फग्गन को इस चुनाव में 7.37 लाख वोट मिले थे, जबकि कमल सिंह मरावी को 6.38 लाख वोट मिले थे. वहीं जीजीपी के रामगुलाम को 48 हजार वोटों से ही संतोष करना पड़ा था.

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