यूं ही नहीं मिली Godrej को सफलता, ऐसे तय किया ‘तिजोरी’ से…- भारत संपर्क

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यूं ही नहीं मिली Godrej को सफलता, ऐसे तय किया ‘तिजोरी’ से…- भारत संपर्क
यूं ही नहीं मिली  Godrej को सफलता, ऐसे तय किया 'तिजोरी' से 'चांद' तक का सफर

Adi Godrej ने लिखी गोदरेज की नई कहानीImage Credit source: TV9 Graphics

पुराने जमाने में लोग कीमती सामान रखने के लिए दीवार में या पूजा घर में बड़ी-बड़ी तिजोरियां लगवाते थे. आपने भी हो सकता है अपने दादा की दुकान की गद्दी या दादी के कमरे में इस तरह की तिजोरी देखी हो. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में इन तिजोरियों कनेक्शन हमेशा से गोदरेज कंपनी से रहा है, और अब यही कंपनी चांद तक पहुंच चुकी है. आखिर इस कंपनी ने सफलता की ये इबारत लिखी कैसे?

गोदरेज की सफलता असलियत में देखी जाए, तो वह इसके मानद चेयरमैन आदि गोदरेज की सफलता है. आदि गोदरेज ही वह इंसान हैं जिसने गोदरेज ग्रुप को ताला-चाबी बनाने वाली कंपनी से लेकर देश की सबसे बड़ी रियल्टी कंपनियों में से एक बनाया. इतना ही नहीं, उन्होंने गोदरेज ग्रुप को एफएमसीजी सेक्टर से लेकर सैटेलाइट मेकिंग तक में देश की प्रमुख कंपनी बनाया. आज बुधवार यानी 3 अप्रैल को वह 82 साल के हो गए हैं.

1963 में शुरू हुआ सफर

आदि गोदरेज ने गोदरेज ग्रुप की सफलता की कहानी 1963 में लिखनी शुरू की, यही वो साल था, जब उन्होंने गोदरेज ग्रुप यानी अपने पारिवारिक बिजनेस के साथ काम करना शुरू किया. कंपनी में काम करने के दौरान उन्हें जल्द ही समझ में आ गया कि अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा काम करने का पुराना ढर्रा यहां नहीं चलेगा. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती कंपनी के कामकाज के तरीके को बदलने की थी, और जल्द ही उन्होंने इसे अचीव कर लिया.

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आदि गोदरेज ने कंपनी में परिवार के लोगों की भूमिका को सीमित किया, खासकर के निर्णय लेने की प्रक्रिया में प्रोफेशनल्स को लेकर आए. कंपनी में परिवार से बाहर के लोगों को सीईओ और सीओओ जैसे पद दिए गए. यहीं गोदरेज ग्रुप के ग्लोबल कंपनी बनने का रास्ता साफ हो गया.

तिजोरी से चांद तक का सफर

गोदरेज समूह देश में 1897 से ताला-चाबी बनाने का काम रहा था. उसके बाद कंपनी ने एफएमसीजी सेक्टर में कदम रखा और पहली बार वेजिटेबल फैट से साबुन बनाकर ‘Godrej No. 1’ ब्रांड लॉन्च किया. उससे पहले देश में साबुन बनाने के लिए अधिकतर एनिमल फैट का इस्तेमाल होता था. फिर गोदरेज की स्टील की अलमारी से लेकर गोदरेज की तिजोरी तक लोगों के घर में पहुंचना शुरू हो गई. इतना ही नहीं पहले चुनावों में इस्तेमाल होने वाली मतपेटी भी गोदरेज ग्रुप ही बनाया करता था.

इसके बाद कंपनी के काम करने में बड़ा बदलाव तब आया, जब वह सैटेलाइट बनाने में इसरो की मदद करने लगी. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के पहले चंद्रयान मिशन और मंगलयान मिशन के लिए लॉन्च व्हीकल बनाने का काम भी गोदरेज ग्रुप ने ही किया था.

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